
- पार्टी के नाम या अपने काम के दम पर जीते पार्षद
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल। राजधानी सहित प्रदेशभर में संपन्न हुए नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की वजह चुनावी मैदान से संगठन का नदारद रहना भी है। पार्टी ने मंडलम-सेक्टर और पोलिंग बूथ के गठन का जो दावा किया था, वह मैदान में कहीं नजर नहीं आया। आलम यह था कि पार्षद प्रत्याशी अपने दम पर चुनाव लड़े। प्रदेशभर में कांग्रेस के जो पार्षद जीते हैं वे या तो पार्टी के नाम या अपने काम के दम पर जीते हैं। इस स्थिति ने 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को पसोपेस में डाल दिया है।
गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कई मौकों पर मंच से खुलकर कह चुके हैं कि हमारा मुकाबला भाजपा से नहीं, बल्कि भाजपा के मजबूत संगठन से है। हमें अपने संगठन को मजबूत करना है। कमलनाथ के निर्देश पर संगठन को मजबूत करने के लिए प्रदेश में मंडलम-सेक्टर व पोलिंग बूथ के गठन की प्रक्रिया जारी है। समय-समय पर कमलनाथ इसकी समीक्षा भी करते हैं। लेकिन निकाय चुनाव में पार्षद प्रत्याशी अकेले नजर आए। मप्र युवा कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष विवेक त्रिपाठी का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव में मिली सफलता में युवा कांग्रेस की टीम का भी योगदान है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने भी हमारी टीम के काम की तारीफ की है। चुनाव की समीक्षा में युवा कांग्रेस की तरफ से कोई कमी सामने आएगी, तो उसे दूर कर लिया जाएगा।
मंडलम, सेक्टर और पोलिंग बूथ की खुली पोल
कमलनाथ जब भी समीक्षा करते थे तो पार्टी नेताओं की तरफ से कहा गया है कि अधिकतर विधानसभाओं में पोलिंग बूथ स्तर तक प्रभारियों की तैनाती कर दी गई है, लेकिन नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी के मंडलम, सेक्टर और पोलिंग बूथ के गठन की पोल खुल गई। चुनाव में कांग्रेस का संगठन पूरी तरह से नदारद रहा। पार्षद पद के प्रत्याशी खासी मशक्कत के बाद भी ब्लॉक अध्यक्ष, मंडलम सेक्टर व पोलिंग बूथ प्रभारियों को ढूंढ नहीं पाए। ऐसे में प्रत्याशी खुद ही अपने घर-परिवार के सदस्यों और आस-पड़ोस के लोगों के साथ डोर टू डोर प्रचार में जुटे रहे। कांग्रेस के कई पार्षद प्रत्याशियों के हारने की एक मुख्य वजह उन्हें संगठन का साथ नहीं मिलना भी रहा। कांग्रेस के फ्रंटल आॅर्गेनाइजेशन महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस, किसान कांग्रेस आदि ने भी पोलिंग बूथ पर कार्यकर्ताओं की तैनाती का दावा किया था, लेकिन निकाय चुनाव में उनके कार्यकर्ता नदारद रहे।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रदेश में जिन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक हैं, वहां पार्षद प्रत्याशियों को विधायकों का सहयोग मिल, लेकिन जिन विस क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक नहीं हैं, वहां पार्षद पद के प्रत्याशियों को मुश्किल का सामना करना पड़ा। उन्हें वोटर लिस्ट तक के लिए मशक्कत करना पड़ी। चुनाव में कांग्रेस के अधिकतर जिलाध्यक्ष अपने करीबी पार्षद प्रत्याशियों का सहयोग करने में जुटे रहे, अन्य प्रत्याशियों की तरफ उन्होंने ध्यान नहीं दिया।
विधानसभा चुनाव से पहले चिंताजनक स्थिति
प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव तो संपन्न हो गए, लेकिन पंद्रह महीने बाद विधानसभा का चुनाव होना है। कांग्रेस विधानसभा चुनाव जीतने और सरकार बनाने का दावा कर रही है, लेकिन कमजोर संगठन के बलबूते पर विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाने की डगर आसान नहीं है। इसलिए मप्र कांग्रेस कमेटी को अब मंडलम, सेक्टर और पोलिंग बूथ के गठन पर गंभीरता से ध्यान देना होगा। एक-एक विधानसभा में मंडलम्, सेक्टर व पोलिंग बूथ के गठन की जमीनी हकीकत का पता करना होगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने गत 17 फरवरी को जिलाध्यक्षों की बैठक में मंडलम्, सेक्टर के गठन की समीक्षा की थी। बैठक में मंडलम्, सेक्टर के प्रदेश प्रभारी एनपी प्रजापति के गृह जिले नरसिंहपुर में पार्टी के जिलाध्यक्ष मैथिलीशरण तिवारी ने कहा कि था कि मैं पार्टी का जिला अध्यक्ष हूं, मुझसे हस्ताक्षर कराए बिना ही जिले में कमेटी बनाकर प्रदेश प्रभारी प्रजापति ने मंजूर कर ली। मुझे जानकारी ही नहीं है, कौन सा मंडलम, सेक्टर बन रहा है। बैठक में कमलनाथ ने 25 फरवरी तक हर हाल में चंद्रप्रभाष शेखर, प्रदेश कांग्रेस मंडलम्, सेक्टर का गठन करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक पूरे प्रदेश में मंडलम, सेक्टर नहीं बन पाए हैं। हालांकि प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर का कहना है कि पीसीसी चीफ कमलनाथ के निर्देश पर प्रदेश में मंडलम, सेक्टर व पोलिंग बूथ के गठन की प्रक्रिया जारी है।