
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। हाल ही में जिन चार सीटों पर उपचुनाव हुए हैं, उनमें से कांग्रेस अपनी परंपरागत जोबट की आदिवासी बाहुल्य सीट पर भी हार गई है, इसके बाद से कांग्रेस ने आगामी आम विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आदिवासी वोट बैंक व नए युवाओं को पार्टी से जोड़ने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। दरअसल जोबट सीट पर कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया और उनके परिवार का बड़ा प्रभाव माना जाता है। इसके पहले इस सीट पर उनकी भतीजी कलावती भूरिया ही विधायक थीं, उनके निधन की वजह से ही यह सीट रिक्त हुई थी। इसी तरह से खंडवा लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। इस सीट पर भी लगभग 6 लाख से अधिक आदिवासी मतदाता हैं जो जीत-हार के फैसले में अहम भूमिका निभाते हैं। दरअसल प्रदेश में सत्ता की सीढ़ी आदिवासी मतदाताओं के पास ही मानी जाती है। आगामी विधानसभा चुनावों के लिए इसे कांग्रेस पार्टी के लिए खतरे की घंटी के रुप में देख रही है। यही वजह है कि अब पार्टी ने आदिवासी मतदाताओं पर फोकस करने का फैसला किया है। इसकी वजह से अभी से कांग्रेस ने खासतौर पर प्रदेश की आदिवासी बाहुल्य सीटों के लिए भविष्य की विशेष रणनीति तैयार करने का फैसला किया है। इसके लिए पार्टी के आदिवासी नेताओं की 24 नवंबर को बैठक बुलाई गई है। इसके साथ ही पार्टी का दूसरा फोकस नए मतदाताओं पर भी है। इसके लिए दो दिन बाद 14 नबंवर को प्रदेश में बाल कांग्रेस का भी गठन किया जा रहा है। इसके माध्यम से कांग्रेस युवाओं को पार्टी से जोड़ने का लक्ष्य लेकर चल रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा 24 नवंबर को बुलाई गई बैठक में पार्टी के सभी आदिवासी विधायक और पार्टी के अनुसूचित जनजाति विभाग के पदाधिकारियों को बुलाया गया है। बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर आदिवासी सीटों पर पकड़ मजबूत करने के लिए मंथन कर रणनीति बनाई जाएगी। इससे पहले कांग्रेस 15 नवंबर को जबलपुर में जनजातीय महासम्मेलन का आयोजन करने जा रही है। दरअसल बीते आम चुनाव में कांग्रेस को आदिवासी सीटों पर अच्छी खासी जीत मिली थी, जिसकी वजह से ही कांग्रेस को डेढ़ साल बाद सत्ता में वापसी का मौका मिला था। उल्लेखनीय है कि बीजेपी आदिवासी वोट बैंक को रिझाने के लिए अभी से पूरी ताकत से लग गई है, जिसकी वजह से कांग्रेस को भी अपने परंपरागत आदिवासी वोट बैंक को बचाने की कवायद शुरू करनी पड़ रही है। ज्ञात हो की प्रदेश में आदिवासी (अनुसूचित जनजाति) वर्ग के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं। इसके अलावा सामान्य वर्ग की 31 सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी मतदाता निर्णायक हैं। इनके लिए आरक्षित 47 सीटों में 2013 में भाजपा को 32 सीटें मिली थीं, जो 2018 में घटकर 16 रह गई थीं। जबकि कांग्रेस को 30 सीटों पर जीत मिली थी।
बाल कांग्रेस का यह होगा स्वरुप
खिसकते जनाधार को हासिल करने के लिए मप्र में कांग्रेस नए युवाओं को जोड़ने के प्रयास शुरू करने जा रही है। इसके लिए कांग्रेस द्वारा बाल कांग्रेस नाम से नया संगठन खड़ा किया जा रहा है। 14 नवंबर को बाल दिवस के दिन गठित किए जाने वाले बाल कांग्रेस की शुरुआत कमलनाथ द्वारा कांग्रेस कार्यालय में किशोरों और युवाओं को सदस्यता देकर की जाएगी। इसके माध्यम से एक साल में बाल कांग्रेस के पांच लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसमें 16 से 20 साल के किशोर व युवाओं को सदस्य बनाया जाएगा। इसकी कमान इंदौर के लक्ष्य गुप्ता को देना तय किया गया है। बाल कांग्रेस के गठन का मकसद किशोरों और युवाओं को कांग्रेस की मूल विचारधारा पार्टी के गौरवशाली इतिहास, उसके महान नेताओं और देश के विकास में कांग्रेस के योगदान के बारे में जानकारी देना है। इससे मप्र ऐसा पहला राज्य बन जाएगा जहां बाल कांग्रेस का गठन किया है। इस संगठन में प्रदेश अध्यक्ष के अलावा ग्वालियर-चंबल, बुंदेलखंड, मालवा, निमाड़, महाकौशल, विंध्य और भोपाल के लिए क्षेत्रीय प्रमुखों की नियुक्ति की जाएगी। इसके अलावा हर जिले में एक जिला अध्यक्ष के अलावा उसके तहत आने वाली हर विस क्षेत्र के हिसाब से एक- एक उपाध्यक्ष और उतने ही महामंत्रियों की नियुक्ति की जाएगी। इसके अलावा प्रदेश स्तर पर एक 10 सदस्यीय मॉनिटरिंग कमेटी बनाई जाएगी, जो बाल कांग्रेस को जिला स्तर तक के लिए साप्ताहिक रूप से कार्यों का आवंटन कर उसकी साप्ताहिक रिपोर्ट प्राप्त कर उसकी समीक्षा करेगी।