
- भोपाल से कांग्रेस उतारेगी फिर विभा पटेल को तो भाजपा में आ सकता है चौकाने वाला नाम
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा व कांग्रेस संगठन का अब पूरी तरह से निकाय चुनाव पर फोकस हो गया है। कल यानि कि बुधवार को दोनों ही दलों की बड़ी बैठकें होने जा रही हैं। इन बैठकों पर अब दोनों दलों के दावेदारों की निगाहें लगी हुई हैं। इस बीच कांग्रेस ने एक दर्जन से अधिक महापौर पद के प्रत्याशी के नाम तय कर लिए हैं, जिनके नामों की घोषणा कल होने की संभावना जाताई जा रही है। इनमें चारों महानगरों के प्रत्याशियों के भी नाम शामिल हैं। उधर, भाजपा में भी महापौर और पार्षद के टिकटों को लेकर कवायद शुरू कर दी गई है। इसके तहत महापौर उम्मीदवार के लिए आए फीडबैक और संभावित प्रत्याशियों के नामों पर कल मंथन किया जाएगा। इसके साथ ही कल ही प्रदेश चुनाव समिति के साथ कोर ग्रुप की बैठक भी बुलाई गई है। इसमें महापौर उम्मीदवार के चयन और चुनाव प्रचार को लेकर मंथन किया जाएगा।
बैठक में उम्मीदवार चयन के लिए तय की जाने वाली गाइडलाइन पर भी बात होना तय है। पार्टी सूत्रों की मानें तो प्रदेश स्तर पर कुछ जिलों के नामों की सूची आ गई है और प्रदेश स्तर से भी अधिकांश जगहों का फीडबैक लिया जा चुका है। इसकी वजह से पार्टी द्वारा पहले चरण के तहत होने वाले 11 नगर निगमों के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा भी एक दो दिन में करने की तैयारी की जा रही है। माना जा रहा है कि भाजपा इस बार भोपाल सहित कई जगहों पर चौंकाने वाले प्रत्याशियों को उतार सकती है। दरअसल प्रदेश में नगर निगम के चुनाव दो चरणों में हैं। हालांकि पार्टी सभी सोलह नगर निगमों के प्रत्याशियों की घोषणा एक साथ करने की मंशा भी रखती है। माना जा रहा है की इसी वजह से संगठन द्वारा कल एक साथ तीन बैठकें बुलाई गई हैं। उधर, बीते रोज पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा भोपाल के कांग्रेस विधायकों के साथ की गई बैठक में बनी सहमति के आधार पर भोपाल नगर निगम के महापौर पद के लिए मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष विभा पटेल का नाम तय कर लिया है। उनके नाम की घोषणा भी कल की जा सकती है। इसके अलावा सागर से पूर्व विधायक सुनील जैन की पत्नी निधि जैन को प्रत्याशी बनाया जा रहा है। निधि बीते रोज कमल नाथ से मुलाकात कर चुकी हैं। इसके अलावा इंदौर से विधायक संजय शुक्ला का नाम तो पहले ही तय कर लिया गया था। सूत्रों की माने तो कमल नाथ ने महापौर पद का चुनाव लड़ने के लिए कुछ प्रत्याशियों को फोन करके तैयार रहने को पहले ही कह दिया है। इसमें विभा पटेल का नाम भी शामिल है। पटेल ने वर्ष 1999 ने महापौर का चुनाव लड़ा था और भाजपा की राजो मालवीय को हराया था। 2008 में पार्टी उन्हें गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ा चुकी हैं। हालांकि, वे पराजित हो गई थीं। पार्टी ने उन्हें मार्च में मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया था। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का कट्टर समर्थक माना जाता है।
ग्वालियर व मुरैना में फंसा पेंच
कांग्रेस ने ग्वालियर में विधायक सतीश सिकरवार की पत्नी शोभा सिकरवार को महापौर पद का प्रत्याशी बनाने का तय किया है , लेकिन उनके नाम पर एक राय नहीं बन पा रही है। स्थानीय कार्यकर्ता वहां पर किसी दूसरे के लिए टिकट देने की मांग कर रहे हैं। यही वजह है की ग्वालियर नगर निगम चुनाव के प्रभारी पूर्व मंत्री मुकेश नायक कार्यकर्ताओं के बीच सामंजस्य बनाने के प्रयासों में लगे हुए हैं। इसी तरह से मुरैना में शारदा सोलंकी और अर्चना मालवीय के बीच भी पेंच फंसा हुआ है। उधर, जबलपुर से शहर कांग्रेस अध्यक्ष जगत बहादुर सिंह अन्नू, उज्जैन से विधायक महेश परमार का नाम भी लगभग तय माना जा रहा है। रीवा में अजय मिश्रा और सिंगरौली से अरविंद सिंह के नाम पर भी सहमति बन चुकी है। खंडवा और बुरहानपुर नगर निगम के महापौर पद के प्रत्याशी के लिए पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव से नाम मांगे गए हैं।
मंत्रियों को मिला जिताने का लक्ष्य
जिला पंचायत और जनपद अध्यक्ष के पदों को जीतने का जिम्मा भाजपा ने प्रभारी मंत्रियों को सौंप दिया है। बीते रोज कैबिनेट के बाद हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों से बात की और कहा कि वे प्रभार वाले जिलों के साथ खुद के जिले में पंचायत और निकाय चुनाव का पूरा काम देखें। जिला पंचायत व जनपद सदस्यों के निर्वाचन के बाद अध्यक्ष पद का चयन होना है, इसमें यह कोशिश की जाए कि ज्यादा से ज्यादा पदों पर भाजपा के लोग आएं।
विंध्य बनेगा मुश्किल
पृथक विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर आंदोलनरत विंध्य पुनर्निर्माण मंच द्वारा इलाके में निकाय चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारे जाने की घोषणा की वजह से भाजपा व कांग्रेस के सामने नई मुश्किल आ गई है। इसके लिए बीते रोज हुई बैठकों में मंच ने सतना,रीवा, शहडोल, अनूपपुर जिलों में अपने प्रत्याशी उतारे जाने का तय किया है। माना जा रहा है की कांग्रेस व भाजपा के जिन दावेदारों को टिकट नहीं मिलेगा वे मंच का दामन थाम सकते हैं। बताया जा रहा है की मंच 12 जून को अपनी सूची जारी करेगा। मंच के प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरने से भाजपा व कांग्रेस के समीकरण बिगड़ने का अंदेश्खा अभ्ज्ञी से जताया जा रहा है।