
- आदिवासी कल्याण चार्टर से 2 करोड़ आबादी को साधेगी कांग्रेस
भोपाल/चिन्मय दीक्षित/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र विधानसभा चुनाव के सियासी समीकरण आदिवासी वोट बैंक पर टिके हुए हैं। प्रदेश में विधानसभा की 230 सीट में से 47 आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। वहीं इन सीटों सहित 84 सीटों पर आदिवासी वोटरों का खासा दखल है। प्रदेश में आदिवासियों की कुल जनसंख्या 2 करोड़ से भी अधिक है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल इस वर्ग को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
एक ओर भाजपा सरकार ने इस वर्ग को साधने के लिए पेसा एक्ट लागू किया है, वहीं योजनाओं की बौछार कर दी है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने आदिवासियों को साधने के लिए विशेष प्लान तैयार किया है। इस प्लान के तहत कांग्रेस आदिवासी कल्याण चार्टर ला रही है। इसे पेसा एक्ट की काट माना जा रहा है। मप्र की सियासत में आदिवासियों का बड़ा महत्व है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 47 में से 30 आदिवासी सीटों पर जीत मिली थी। इसलिए इस मप्र सरकार ने 15 नवंबर, 2022 को पेसा एक्ट लागू किया था, जिसमें आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन का अधिकार देने समेत उनके कल्याण के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। भाजपा पिछले साल से आदिवासियों के बीच पेसा एक्ट का जमकर प्रचार-प्रसार कर रही है। उसे उम्मीद है कि पेसा एक्ट चुनाव में आदिवासियों को साधने में बड़ी भूमिका निभाएगा। कांग्रेस का भी पूरा दारोमदार आदिवासी मतदाताओं पर है। यही वजह है कि पेसा एक्ट की काट के लिए कांग्रेस आदिवासी कल्याण चार्टर (शेड्यूल ट्राइब्स वेलफेयर चार्टर) लेकर आ रही है। चुनाव के बाद यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा।
आदिवासी जिसके साथ उसकी सरकार
प्रदेश के चुनावी समीकरणों को देखें तो आदिवासी वर्ग जिस पार्टी का साथ देता है, उसकी सरकार बनती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के वोटों के कारण ही कांग्रेस सत्ता हासिल कर पाई थी। कांग्रेस को 47 में से 30 सीटें मिली थीं। प्रदेश में आदिवासियों की बड़ी आबादी होने से 230 विधानसभा में से 84 सीटों पर उनका सीधा प्रभाव है। प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से भाजपा ने 31 सीटें जीती थीं। कांग्रेस के खाते में 15 सीट आयी थीं। इसलिए आदिवासियों का साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने पूरा जोर लगा दिया है। मप्र में अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 21.04 प्रतिशत है।
आदिवासी कल्याण चार्टर काफी प्रभावी
कांग्रेस का मानना है कि भाजपा सरकार ने जो पेसा एक्ट लागू किया है, वह आदिवासियों के लिए अधिक लाभप्रद नहीं है। कांग्रेस का भी पूरा दारोमदार आदिवासी मतदाताओं पर है। यही वजह है कि पेसा एक्ट की काट के लिए कांग्रेस आदिवासी कल्याण चार्टर लेकर आ रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मप्र सरकार की ओर से लागू किए गए पेसा एक्ट में कई खामियां हैं। सरकार ने इसे सिर्फ कागजों में लागू दिया है। जमीन पर इसका क्रियान्वयन जीरो है। सरकार सिर्फ चुनावी फायदे के लिए पेसा एक्ट लेकर आई है। यही वजह है कि आदिवासी आज भी मूल अधिकारों से वंचित हैं। कांग्रेस के आदिवासी कल्याण चार्टर में वर्तमान में लागू पेसा एक्ट की खामियां दूर करने के साथ ही आदिवासियों को लेकर कई प्रावधान किए गए हैं।
अधिकारों और योजनाओं की निगरानी
कांग्रेस आदिवासी समुदायों के लिए आदिवासी कल्याण चार्टर का जो विशिष्ट प्रस्ताव लाने की तैयारी में उसमें आदिवासियों के अधिकारों और समुदाय के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं की निगरानी शामिल होगी। यह मप्र में आदिवासी लोगों के लिए कानूनी सहायता प्रदान करने सहित विभिन्न सेवाएं भी प्रदान करेगा। यह राज्य में 21 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले आदिवासी समुदाय के सभी वर्गों को सशक्त बनाने के लिए एक विशिष्ट प्रस्ताव होगा और यह कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र से परे होगा। सूत्रों ने कहा कि टीम कांग्रेस को एक विस्तृत चार्ट तैयार करने का काम सौंपा गया है, जिसने इसे लगभग पूरा कर लिया है और इसे अंतिम मंजूरी के लिए कमलनाथ के समक्ष पेश किया जाएगा। एक कांग्रेस नेता ने दावा किया कि यह आदिवासियों के सभी वर्गों जैसे – महिलाओं, युवाओं, वरिष्ठ नागरिकों, श्रमिक वर्ग और किसानों आदि के लिए विशिष्ट योजनाओं और सेवाओं की पेशकश करेगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि चार्टर एसटी/एससी अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन जैसी सेवाएं प्रदान करेगा।