जनहितैषी मुद्दों को धार नहीं दे पाई कांग्रेस

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  • विधानसभा में रूप बदल-बदलकर प्रहसन करती रही कांग्रेस

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र विधानसभा का मानसून सत्र भले ही दो दिन पहले सिमट गया, लेकिन इस दौरान कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। पार्टी न सदन में और न ही सदन के बाहर जनहितैषी मुद्दों को धार दे पाई। मानसून सत्र जितने दिन चला, उतने दिन कांग्रेस के विधायक रूप बदल-बदलकर विधानसभा आते रहे। इस दौरान कांग्रेस विधायक बड़े-बड़े मुद्दे लेकर विधानसभा तो पहुंचे, लेकिन मुद्दों से अधिक विधायकों की रूपरेखा चर्चा में रही। कांग्रेस विधायक कभी भैंस, कभी गिरगिट, कभी इंजेक्शन की मालाएं और कभी यूरिया की बोरियों के साथ तो कभी पुलिस की वर्दी में पहुंचे।  जो मात्र प्रहसन बनकर रह गया।
 विधानसभा के मानसून सत्र में सत्ता पक्ष को घेरने कांग्रेस ने कमोबेश हर दिन नए नए स्टंट किए। विधानसभा के इस सत्र में कमोबेश हर दिन कांग्रेस विधायक किसी नए अवतार में पहुंचे। हर दिन मीडिया के कैमरों के सामने नया स्टंट हुआ। विधानसभा में मानसून सत्र में बैठकों की शुरुआत के साथ हुए इन तमाशों को लेकर सत्ता पक्ष का आरोप है कि कांग्रेस ने विपक्ष की भूमिका के साथ न्याय ही नहीं किया। जनता से जुड़े गंभीर मुद्दे उठाने के बजाए पार्टी मीडिया की सुर्खियों में आने के लिए बीन बजाती रही।
वजनदारी से मुद्दे नहीं उठा पाई कांग्रेस
विधानसभा, सरकार और विपक्ष के लिए अपनी बात रखने का सबसे उपयुक्त मंच होता है। 10 दिवसीय सत्र होने के कारण विपक्ष के पास भरपूर अवसर था कि वह वजनदारी से सदन में मुद्दे उठाता और सरकार को मजबूर करता कि वह जवाब दे लेकिन इसके स्थान पर प्रदर्शन में उलझा रहा। सैन्य अधिकारी सोफिया कुरैशी के अपमान का विषय उठाकर जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह को तो घेरा लेकिन परिवहन घोटाले के सौरभ शर्मा को भूल गया। विधानसभा सत्र के पहले कांग्रेस के विधायकों का धार के मांडू में नव संकल्प शिविर हुआ था। दो दिन सबने प्रदेश के मुद्दों पर खूब मंथन किया। इससे उम्मीद बंधी थी कि मानसून सत्र में विधायक दल का प्रदर्शन जबरदस्त रहेगा। मुद्दे उठाकर सरकार को घेरा जाएगा लेकिन दल इसमें चूक गया। सदन के बाद प्रतिदिन प्रदर्शन करके मीडिया में सुर्खियां तो बटोरीं पर ऐसा कोई विषय सदन में खड़ा नहीं कर पाए, जिससे सरकार बैकफुट पर आ गई हो। एक बार यह अवसर अवश्य आया जब जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह को सदन में जवाब देने से रोक दिया। सेना के अपमान का मुद्दा उठाकर जमकर हंगामा किया। हालांकि, संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इसे आदिवासी और कांग्रेस द्वारा सेना के अपमान का मुद्दा बनाकर प्रभाव कम कर दिया। आदिवासियों को वनाधिकार पट्टे का मामला हो या फिर किसानों को खाद की किल्लत, कानून व्यवस्था हो या फिर अन्य विषय, कांग्रेस इन्हें तर्कपूर्ण ढंग से अंजाम तक नहीं पहुंचा पाई। कुछ मामलों में आसंदी के समक्ष नारेबाजी और बहिर्गमन तो किया पर परिवहन घोटाले को तो छुआ तक नहीं। जबकि पिछले सत्र में सौरभ शर्मा के बहाने सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। यह सत्र केवल इस मायने में कांग्रेस के लिए सफल माना जा सकता है कि एकजुटता का जो संदेश देना चाहते थे, वह नजर आया।
 सरकार उपलब्धियों से धार कुद करने में रही सफल
उधर, सरकार इस मंच का भरपूर उपयोग कर विपक्ष की धार कुंद करने में सफल रही। लंबे समय बाद विधेयक चर्चा के बाद पारित हुए। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्षों की जन्म जयंती मनाने की शुरुआत भी हुई। सत्ता पक्ष के सदस्य अनुशासन में रहे। किसी ने भी अपनी ही सरकार को घेरने का काम नहीं किया। दरअसल, इसके पहले ऐसा कोई सत्र नहीं बीतता था, जब वे अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा ना करते हों। इसका लाभ कांग्रेस उठाती थी और ऐसे सदस्य के सुर में सुर मिलाकर भाजपा सरकार को घेरने का प्रयास करती थी। जब कभी ऐसा अवसर भी आया तो मंत्रियों ने स्थिति को संभाला, उन्होंने अडऩे के स्थान पर बीच का रास्ता निकाला। मुख्यमंत्री ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए सरकार द्वारा औद्योगिक विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। एक-एक करके 14 विधेयक पारित कराए। विधानसभा अध्यक्ष अनुभव के आधार पर सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष के बीच संतुलन बनाने में सफल रहे। उन्होंने जहां सत्तापक्ष को प्रश्नों के सीधे उत्तर देने के लिए सचेत किया तो विपक्ष से भी मर्यादित आचरण करने की अपेक्षा की। ध्यानाकर्षण के माध्यम से विपक्ष को अपनी बात उठाने का अवसर दिया और नियम में ढील देकर लंबी चर्चा भी कराई।
सत्र में कांग्रेस के हर दिन नए सियासी स्टंट
मध्य प्रदेश विधानसभा के इस मानसून सत्र को इसलिए भी याद किया जाएगा कि इस सत्र में कांग्रेस ने कमोबेश हर दिन बैठक से पहले किसी भी एक मुद्दे को लेकर अनोखे ढंग से प्रदर्शन किया। 28 जुलाई से शुरू हुए सत्र में कुल 10 बैठके 8 अगस्त तक निर्धारित की गई। 28 जुलाई से ही कांग्रेस ने स्टंट शुरू कर दिए। मुद्दे अलग-अलग और उस उस मुद्दे के हिसाब से कांग्रेस के विधायकों का अवतार। इसके लिए खिलौने भी सदन में आए और मुखौटे भी। बोरियां भी और इंजेक्शन भी। विधायकों का अभिनय पक्ष भी इन्हीं तमाशों में देखने को मिला।

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