
- पंकज जैन, धार
फंसे नशे के जाल में, बच्चे और बुजुर्ग
झुग्गी जैसा तन बना, जो पहले था दुर्ग।
मन से कुंठित हो गया, लगा नशे का रोग,
हैय दृष्टि से देखते, उसको सारे लोग।
नशे के खिलाफ इससे बेहतरीन और कोई दोहा क्या हो सकता है?
तन का नाश, मन का नाश, धन का नाश और अंत मे पूरी बर्बादी।
नशे की तमाम सारी बुराइयों को देखते हुए गत माह मप्र पुलिस ने अपना नैतिक दायित्व समझते हुए तमाम मादक नशो के खिलाफ जन जागरूकता की सफलतम मुहिम चलाई, और गर्व की बात यह है कि इस पूरी मुहिम का नेतृत्व पुलिस महकमे के सर्वोच्च अधिकारी डीजीपी कैलाश मकवाणा ने किया।
स्कूल गोइंग फ्रेंड होने नाते भाई कैलाश को हम सब मित्र लोग अच्छे से जानते है, वे खुद हमेशा एक प्रकार के नशे मे रहते है, उन्हें नशा है कर्तव्यनिष्ठा का, ईमानदारी का, भृष्ठाचार को जड़ से मिटाने का, जनसेवा का और जिन्हे ऐसा नशा होता है, वे उस नशे के खिलाफ जिनसे पीडिय़ा बर्बाद हो रही है, अपने पुरे दम खम से खड़े होते है, औऱ लोग ऐसे लोगो की बात सिर्फ इसलिए नहीं सुनते कि वे आला अफसर है, बल्कि इसलिए कि ऐसे शख्स की अमली और असली जिंदगी एक होती है। कैलाश ऐसे ही एक बिरले इंसान है।
आमतौर पर डीजीपी जैसी पोस्ट तक पहुंचने के बाद किसी भी अधिकारी के पास बमुश्किल डेढ़ दो साल ही रहते है, इतने कम समय मे बहुत ज्यादा कुछ करने को नहीं रह जाता है, बशर्ते वह अधिकारी कुछ करने की ठान न ले, पर, यदि बात कैलाश मकवाणा की आती है तो बात एकदम अलग हो जाती है, लगातार भ्रष्टाचार पर प्रहार, सही अधिकारियों कर्मचारियों की हौसला अफजाई, कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल, आम जनता की तकलीफ सुनने के लिए जनता दरबार, और नैतिक दायित्व को समझ कर नशे के खिलाफ स्वयं मुहिम चलाना, ये तमाम सारे काम भाई कैलाश महज इसलिए कर पाते है, क्युकि उन्हें है ऐसा नशा जो नशे की बुराइयों का समूल नाश करना चाहता है।
अत्यंत कम समय मे मप्र पुलिस की इस मुहिम को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मान्यता मिली है, इसके लिए पूरा विभाग बधाइ का पात्र है।
यह सही है कि इस मुहिम से प्रदेश नशामुक्त नहीं हो जाएगा, किन्तु आज का यह छोटा कदम भविष्य की बड़ी छलांग साबित होगा, यह पूर्ण विश्वास है।
पुन: बधाई भाई कैलाश, बधाई मप्र पुलिस।