- जैसलमेर में स्लीपर बस में आग लगने से मौतों के बाद सबक

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र की सड़कों पर 21 साल बाद एक बार फिर सरकारी बसें चलने वाली है। राज्य परिवहन निगम की जगह सरकार ने यात्री परिवहन एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी बनाई है जो 25 जिलों में बसों का संचालन करेगी। सरकार ने अप्रैल, 2026 से सुगम बस परिवहन सेवा के तहत सरकारी बसें चलाने की तैयारियां तेज कर दी हैं। लेकिन सरकार इस बात का लेकर असमंजस में कि सरकारी बसों में कार्गो का परिवहन किया जाए की नहीं। दरअसल, जैसलमेर में स्लीपर बस में आग लगने से हुई मौतों के बाद सरकार असमंजस में है कि बसों में कार्गो का इस्तेमाल किया जाए की नहीं।
गौरतलब है कि प्रदेश में सुगम बस परिवहन सेवा की शुरुआत इंदौर से होगी। शुरुआत में इंदौर के आसपास 50 किलोमीटर के एरिया में ये बसें चलाई जाएंगी। इंदौर के बाद उज्जैन में बसें चलाई जाएंगी। डॉ. मोहन यादव कैबिनेट ने पिछले साल एक अप्रैल को सुगम बस परिवहन सेवा के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इस प्रस्ताव के अनुसार बसों का संचालन पीपीपी मॉडल पर किया जाएगा। सरकार ने तय किया था कि नई परिवहन नीति में बस चलाने वाली कंपनियों को घाटे से बचाने के लिए सवारियों के साथ कार्गो के लिए भी बसों के इस्तेमाल का प्रावधान किया जाएगा। यानी बसों के जरिए सामान को एक से दूसरे स्थान पर भेजा जा सकेगा।
जैसलमेर हादसे के बाद बढ़ी चिंता
आधिकारिक जानकारी के अनुसार अक्टूबर में राजस्थान के जैसलमेर में स्लीपर बस में आग लगने से 28 लोगों की मौत हो गई थी। जांच में सामने आया था कि बस में रखे कार्गो के कारण यह हादसा हुआ है। इस घटना से सबक लेते हुए परिवहन विभाग यात्रियों के साथ कार्गो के लिए बसों का इस्तेमाल नहीं किए जाने को लेकर फिर से विचार-विमर्श कर रहा है। विभिन्न बिंदुओं पर मंथन के बाद इस संबंध में अंतिम निर्णय जल्द लिया जाएगा। कंपनियों को घाटे से बचाने के लिए कार्गो के स्थान पर अन्य विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक सुगम बस परिवहन सेवा में पीपीपी मॉडल पर बसें चलाने के लिए प्रायवेट ऑपरेटर को हायर किया जाएगा। सरकार एक होल्डिंग कंपनी बनाएगी, जिसका बस संचालन पर पूरा कंट्रोल होगा। नई परिवहन नीति में बसों का संचालन इंदौर, उज्जैन, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, सागर व रीवा संभाग में किया जाएगा। योजना में यात्री बसों के संचालन की त्रिस्तरीय मॉनिटरिंग की जाएगी। इसके लिए प्रदेश मुख्यालय स्तर पर एक राज्यस्तरीय होल्डिंग कंपनी बनाई जाएगी। प्रदेश के संबंधित सात संभागों में 7 क्षेत्रीय सहायक कंपनियां भी गठित की जा रही हैं।
ऐप पर उपलब्ध कराई जाएगी सुविधा
अधिकारियों का कहना है कि यात्री बसों के आवागमन के प्रबंधन में अद्यतन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। सामान्य जन की सुविधा के लिए व्हीकल लोकेशन, बस के आवागमन की सूचना और किराए संकलन की सुविधा ऐप पर उपलब्ध कराई जाएगी। नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित बस व्यवस्था को युक्तियुक्त तरीके से एकीकृत करते हुए नगरीय क्षेत्रों से जुड़े ग्रामीण इलाकों तक आवागमन को सुविधाजनक बनाया जाएगा। बसों का रूट निर्धारित करते समय यह भी देखा जा रहा है कि बस संचालक अपने वाहन केवल मुनाफे वाले रूट पर ही संचालित नहीं करें। पर्यावरण संरक्षण के लिए यात्री परिवहन में लगी 15 साल या उससे पुरानी बसों को ऑफ रूट किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में यात्री परिवहन व्यवस्था का संचालन उबर, ओला के समान बस ऑपरेटरों और मोटर मालिकों के साथ सहभागी आधार पर किया जाएगा। व्यवस्था के सुगम संचालन के लिए इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया जा रहा है। यह प्लेटफॉर्म देश का प्रथम इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर है, जिसमें व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग, ऑटोमेटिक किराया संकलन, अलार्ट मॉड्यूल, शिकायत निवारण जैसे 18 मॉड्यूल शामिल है। सर्वप्रथम यह व्यवस्था इंदौर और उसके बाद उज्जैन से आरंभ होगी। इससे संबंधित सर्वेक्षण, रूट प्लानिंग, निजी ऑपरेटरों के साथ परामर्श जारी है। इंदौर क्षेत्र के अंतर्गत धार, झाबुआ, आलीराजपुर, खरगोन, बुरहानपुर, खंडवा और बड़वानी शामिल होंगे। उज्जैन क्षेत्र में देवास, आगर-मालवा, मंदसौर, नीमच, शाजापुर और रतलाम को शामिल किया गया है।
