
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सरकारी विभाग कितने सजग और कर्तव्यनिष्ठ हैं इसका खुलासा विभागों की वेबसाइट में दर्ज जानकारी से हो रहा है। प्रदेश के कई प्रमुख विभाग ऐसे हैं जो आम जानकारी तो ठीक अपने विभागों की उपलब्धियों तक को अपडेट नहीं करते हैं। हालात यह है कि कई विभागों द्वारा जिन कामों के लिए टेंडर बुलाए गए थे उनकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद काम समाप्ती पर पहुंच चुका है , लेकिन अब भी उनकी वेबसाइट पर उन कामों के लिए टेंडरिंग प्रोसेस बताई जा रही है। इसकी वजह से शासन से लेकर विभाग तक की बदनामी हो रही है , लेकिन जिम्मेदार अफसर अपने में ही मस्त बने हुए हैं।
ऐसा नहीं है कि इस तरह का कोई एक मामला हो , बल्कि हजारों की संख्या में ऐसे मामले हैं। यह खुलासा होने के बाद अब संबंधित विभागों से ऐसे मामलों में समीक्षा कर इसकी फाइनेंशियल इवैल्यूएशन की प्रक्रिया जल्द पूरा करने को कहा गया है। कई विभागों ने इस तरह के मामले में चार से पांच साल पुराने टेंडर्स की सूची मंगाई है और इसकी समीक्षा करने जा रहे हैं। ताजा मामला जल संसाधन विभाग का है। इस मामले के चर्चा में आने के बाद प्रमुख अभियंता जल संसाधन ने सभी चीफ इंजीनियर और परियोजना संचालकों को अब निर्देश जारी किए है कि ऑनलाइन पोर्टल पर फाइनेंशियल इवैल्यूएशन और एओसी की कार्यवाही पूरी कर जानकारी भेंजे। विभाग ने कहा है कि वर्ष 2018 से अब तक जिलों में पदस्थ कार्यपालन यंत्रियों द्वारा ऑनलाइन निविदा की कार्यवाही पूरी होने के बाद उसका फाइनेंशियल इवैल्यूएशन नहीं किया है जिससे यह टेंडर अभी भी प्रोसेस में बताए जा रहे हैं जबकि वास्तविक स्थिति यह है कि हजारों टेंडर हुए और उनके काम शुरू होकर पूरे होने का सिलसिला भी जारी है।
पोर्टल पर नहीं करते दर्ज
यह जानकारी सामने आने के बाद अपर मुख्य सचिव जल संसाधन ने आगामी विभागीय वीडियो कांफ्रेंसिंग में इस तरह के मामलों की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। सभी कार्यपालन यंत्रियों से ऑनलाइन लंबित टेंडर में फाइनेंशियल इवैल्यूएशन की प्रक्रिया पूरी कराने और आने वाले समय में टेंडर होते ही इसे ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज करने के लिए कहा गया है ताकि टेंडर पेंडिंग न प्रदर्शित हो। अफसरों के मुताबिक अकेले जल संसाधन विभाग में करीब चार हजार टेंडर एक साल में पूरे प्रदेश में ऑनलाइन प्रक्रिया के द्वारा कराए जा रहे हैं। इस तरह 2018 से अब तक करीब 12 हजार टेंडर हो चुके हैं और इन्हें ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज नहीं किए जाने से काम अधूरे दिख रहे हैं। विभाग द्वारा 15 हजार से अधिक के काम टेंडर के जरिये ही कराए जाते हैं।
इन विभागों में बनी है यह स्थिति
सबसे अधिक टेंडर निर्माण विभागों में ही होते हैं। ऐसे विभागों में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, लोक निर्माण विभाग, नगरीय विकास और आवास, हाउसिंग बोर्ड, नर्मदा घाटी विकास, विभिन्न विकास प्राधिकरण, पर्यटन निगम समेत अन्य विभाग और निगम शामिल हैं। इनके भी टेंडर आनलाइन आमंत्रित तो होते हैं पर इन्हें पोर्टल पर समय पर दर्ज नहीं किए जाने से इन कामों के पूरे होने की स्थिति स्पष्ट नहीं होती है।