राज्यसभा की चुनावी प्रक्रिया शुरू नामों को लेकर असमंजस जारी

राज्यसभा

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में राज्यसभा की जिन तीन सीटों के लिए निर्वाचन होना है उनके लिए आज से निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नामंकन का आज पहला दिन है , लेकिन शायद ही कोई पर्चा आज दाखिल हो, इसकी वजह है अब तक कांग्रेस व भाजपा द्वारा प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की जाना। भाजपा ने जहां पूरा मामला केन्द्रीय संगठन पर डाल दिया है तो वहीं कांग्रेस में भी दिल्ली से ही नाम तय होना है। हालांकि कांग्रेस से एक बार फिर जाने माने वकील विवेक तन्खा को प्रत्याशी बनाए जाने की पूरी संभावना जताई जा रही है। इन तीनों ही सीटों पर मतदान 10 जून को होना है। इन तीनों सीटों में से भाजपा के खाते में दो और कांग्रेस के खाते में एक सीट जाना लगभग तय है। प्रदेश के खाते से राज्यसभा के लिए भाजपा के मौजूदा सांसद एमजे अकबर, संपतिया उइके और कांग्रेस के सांसद तन्खा का कार्यकाल अगले माह समाप्त हो रहा है। प्रदेश में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं, इनमें से आठ पर भाजपा व तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। प्रदेश की विधानसभा में मौजूदा संख्या के हिसाब से भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट मिलना तय है। राज्यसभा चुनाव के लिए आज से शुरू हुए नामांकन पत्रों के जमा करने अंतिम तिथि 31 मई नियत की गई है। एक जून को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी, जबकि तीन जून तक नामांकन पत्र वापस लिए जा सकेंगे। इसके बाद जरुरत पड़ने पर दस जून को मतदान होगा और उसी दिन शाम पांच बजे से मतों की गणना होगी और उसके बाद परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।
केन्द्र केन्द्रीय मंत्री का आ सकता है नाम
राज्यसभा की तीन सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया भले ही शुरू हो चुकी है , लेकिन अब तक नाम तय न होने की वजह से दोनों दलों के प्रत्याशियों को लेकर सिर्फ कयास ही लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा का नाम लगभग तय माना जा रहा है ,लेकिन भाजपा ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।  प्रदेश संगठन द्वारा यह पूरा मामला ही दिल्ली के खाते में डाल दिया है। भाजपा के मौजूदा राज्य सभा सदस्य एम जे अकबर और सम्पतिया उइके को शायद ही दोबारा मौका मिले। इसकी वजह से जो नाम चर्चा में हैं, उनमें राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ,बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक रहे जयभान सिंह पवैया, मंत्री रहते चुनाव हार चुके लाल सिंह आर्य और किसान नेता बंशीलाल गुर्जर शामिल हैं। इसके अलावा एक नाम दिल्ली से किसी नेता का तय हो सकता है। इधर पिछड़ा वर्ग को लेकर चल रही सियासत को लेकर इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा किसी पिछड़े वर्ग के नेता को भी राज्यसभा भेज सकती है। पवैया मूल रूप से हिंदूवादी नेता रहे हैं। 1999 में वे ग्वालियर संसदीय सीट से सांसद भी रह चुके हैं। इसके बाद वे 2013 में मप्र विधानसभा के सदस्य बने। 2016 में शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रह चुके हैं।  2018 में पवैया विधानसभा चुनाव हार गए थे। पवैया की भूमिका बाबरी मस्जिद ढहाए जाने में भी रही है। बाद में सीबीआई ने उन्हें ढांचा ढहाने के मामले में मुख्य आरोपी भी बनाया था। कुछ महीनों पहले ही वे अदालत से निर्दोष बरी हुए। इसी तरह से विजयवर्गीय लंबे समय से संगठन का काम संभाल रहे हैं। पार्टी ने उन्हें बंगाल का प्रभारी बनाया हुआ है। राज्यसभा के एक अन्य पद के लिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल या किसी अन्य केंद्रीय मंत्री का नाम भेजा जा सकता है।
कांग्रेस में भी कई दावेदार
उधर, कांग्रेस में मौजूदा राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा के नाम पर सहमति बनने के आसार हैं। उन्हें पहले छत्तीसगढ़ से राज्यसभा भेजे जाने की चर्चा की थी ,लेकिन उनकी सक्रियता को देखते हुए माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश से ही उन्हें भेजा जा सकता है। विकल्प के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव का नाम भी चर्चा में है। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ का समर्थन भी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यदि राष्ट्रीय राजनीति के समीकरणों को साधने के लिए किसी व्यक्ति को टिकट दिया जाता है तो वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजे जा सकते हैं।
यह है चुनावी गणित: राज्य सभा चुनाव के लिए अगर प्रदेश की विधानसभा का गणित देखा जाए तो कुल 230 सदस्यों में से भाजपा के 127, कांग्रेस के 96, बसपा के बसपा 2 , सपा का 1 और चार निर्दलीय सदस्य हैं। इनमें से किसी भी दल को एक सीट जीतने के लिए 58 विधायकों के मतों की जरूरत होगी। उस हिसाब से भाजपा के पास दो सीटें जीतने का पूरा आंकड़ा मौजूद है।

Related Articles