पीसीबी को दरकिनार कर उलझन में ट्रीटमेंट प्लांट

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में शहरी वेस्ट वॉटर को उपचारित करने  के लिए बन रहे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के मामले में नगरीय निकायों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दरकिनार कर मनमाने तरीके से काम शुरू कर दिया है। इसकी वजह से अब इन पर संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश के शहरी इलाकों में ऐसे प्लांट 44 जगहों पर बनाए जा रहे हैं। इनमें भोपाल के अलावा इंदौर भी शामिल है।
खास बात यह है कि इन मामलों में जिम्मेदारों द्वारा खुलकर नियमों व प्रावधानों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। हाल यह है कि इनके निर्माण से लेकर इनके संचालन के लिए तक मंजूरी नहीं ली गई है। यह हाल तब है जबकि निर्माणाधीन संस्था के साथ अनुबंध की शर्त में यह  तय किया था कि मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इसे बनाने व चलाने की स्वीकृति संबंधित नगर निगम, नगर पालिका, नगर पालिका परिषद व नगर परिषद द्वारा स्वयं ली जाएगी। जिम्मेदारों ने इस कवायद से बचने के लिए सभी जगहों पर यह काम भी निर्माण एजेंसियों पर ही डाल दिया है।

भोपाल में बनने हैं तीन
राजधानी में तीन जगहों पर यह प्लांट बनना हैं। इनमें प्रोफेसर कॉलोनी, जमुनिया छीर व शाहजहांनी पार्क शामिल है। इसमें से शाहजहांनी पार्क की लोकेशन बदल दी गई है। फिलहाल प्रोफेसर कॉलोनी और जमुनिया छीर में काम जारी है। इसके अलावा बड़े-छोटे तालाब, कालियासोत और शाहपुरा में एसटीपी का निर्माण प्रस्तावित है। खास बात यह है कि इनके निर्माण व संचालन की अनुमति के लिए भोपाल और इंदौर नगर निगम ने आवेदन तक नहीं किया है। इसी तरह की स्थिति प्रदेश के 37 अन्य निकायों में भी है।

इन निकायों ने आवेदन तक नहीं किए
खरगोन, उज्जैन, सतना, जबलपुर, इंदौर, गुना, दतिया, भोपाल, नीमच, रतलाम, कटनी, सिंगरौली, सतना, रीवा, भिंड और सागर के निकायों द्वारा अब तक मंजूरी के लिए आवेदन तक नहीं किए गए हैं। इसमें ग्वालियर में जरूर 4 जगहों के लिए आवेदन कुछ दिन पहले दिए गए हैं। खास बात यह है कि सीहोर के जुनियावाड़ा में तो बगैर मंजूरी के ही निर्माण पूरा कर दिया गया है।

Related Articles