श्रेय की होड़ में श्रीमंत व यादव के बीच शुरू हुई टकराहट

श्रीमंत व यादव

– माधव नेशनल पार्क में टाइगर सफारी का मामला

भोपाल/प्रणव बजाज /बिच्छू डॉट कॉम। श्रीमंत व भाजपा सांसद केपी यादव के बीच जारी राजनैतिक अदावद अब भी बनी हुई है। अब यह दोनों नेता एक ही दल में भले हैं, लेकिन उनके मन में जारी एक दूसरे के बीच की कड़वाहट अब भी समाप्त नहीं हुई है। इसकी वजह से अब यह दोनों नेता एक बार फिर शिवपुरी जिले के माधव नेशनल पार्क में टाइगर सफारी शुरू होने के श्रेय को लेकर आमने-सामने आ गए हैं। इसकी वजह से उनके बीच एक बार फिर टकराहट बढ़ती दिखनी शुरू हो गई है। दरअसल श्रीमंत का कहना है कि यह उनके प्रयासों से संभव हो पाया है तो वहीं सांसद यादव इसे अपनी उपलब्धि बता रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यह दोनों नेता पूर्व में एक ही थे, लेकिन किसी बात को लेकर जब उनके बीच अनवन हुई तो यादव को भाजपा ने सदस्यता दिलाकर उन्हें तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमंत के सामने लोकसभा चुनाव में उतार दिया था। यादव ने अपनी जबरदस्त पकड़ और मोदी लहर के चलते पहली बार श्रीमंत को हराकर राजनैतिक रुप से इलाके में सनसनी फैला दी थी। इसके बाद से उनके बीच राजनैतिक रुप से अदावद जारी है। खास बात यह है कि उसके पहले तक यादव की पहचान महज श्रीमंत समर्थक नेता के रुप में ही थी। दरअसल माधव राष्ट्रीय उद्यान में टाइगर सफारी शुरू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा सहमति प्रदान कर दी गई है। हाल ही में दिल्ली में हुई केंद्र स्तरीय बैठक में माधव नेशनल पार्क की ओर से दिए प्रस्तुतीकरण को देखने के बाद केंद्र ने माधव राष्ट्रीय वन उद्यान को टाइगर हेतु अनुकूल व उपयुक्त माना है। अब यहां से राष्ट्रीय वन उद्यान का स्टाफ प्रशिक्षण प्राप्त करने पन्ना भेजा जाएगा। इसके साथ ही इस उद्यान में टाइगर लाने की भी कवायद शुरू हो जाएगी, जिससे एक बार फिर से इस माधव नेशनल पार्क में जल्द ही टाइगर की दहाड़ सुनने को मिलेगी। टाइगर आने के साथ शहर के पर्यटन की दिशा में बड़ा बदलाव होगा। एक बार फिर पर्यटकों का शिवपुरी आना जाना शुरू हो जाएगा, जिसकी वजह से क्षेत्र में रोजगार बढ़ेगा।
लाए जाना हैं तीन बाघ
माधव नेशनल पार्क में तीन बाघ लाए जाएंगे। इसमें एक नर व दो मादा बाघ होंगी। आने वाली टाइगर की तिकड़ी के सहारे पार्क एरिया में बाघ का कुनबा बढ़ाने की कवायद की जाएगी। टाइगर के सॉफ्ट रिलीज के लिए कान्हा टाइगर रिजर्व के घोरेला इन्क्लोजर की तर्ज पर माधव राष्ट्रीय उद्यान में भी करीब 5 से 10 हेक्टेयर का इन्क्लोजर बनाया जाएगा। शाकाहारी प्राणियों के लिए 20 से 25 हेक्टेयर का इन्क्लोजर तैयार होगा। इसी तरह का करीब 25 हेक्टेयर का बाड़ा शाकाहारी वन्यप्राणियों के प्रजनन और संख्या वृद्धि के लिए भी बनाया जाएगा। जब टाइगर नए वातावरण के प्रति अभ्यस्त हो जाएंगे तो फिर उसे पूरे क्षेत्र में घूमने के लिए खुला छोड़ दिया जाएगा। वन विभाग और उद्यान प्रबंधन टाइगर पुर्नवास योजना में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यदि सभी परिस्थितियां ठीक रहीं तो साल 2022 में राष्ट्रीय उद्यान में टाइगर दहाड़ेगा। इसके बाद जल्द ही यहां टाइगर रिजर्व भी बनाया जाएगा।
यह होगा इलाके को फायदा
शहर के लिए टाइगर प्रोजेक्ट किस तरह लाभ देगा इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि जिन शहरों में टाइगर रिजर्व बने हैं वहां पर 1 रुपये के निवेश पर औसतन 2500 रुपये का रिटर्न मिला है। इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट व नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के शोध में यह बात सामने आई है कि टाइगर पर किया गया एक रुपये का निवेश 2500 रुपये का रिटर्न देता है। संस्था द्वारा देश के 10 टाइगर रिजर्व के 27 ईकोसिस्टम पर यह शोध किया गया था। शोध में यह भी बताया गया है कि वर्ष 2019-20 में पर्यावरण मंत्रालय ने टाइगर प्रोजेक्ट के लिए जो बजट दिया था उसकी तुलना में 201 प्रतिशत के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ मिले हैं। इससे प्रत्यक्ष रूप से तो सीमित लाभ सामने दिखाई देते हैं लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से टाइगर रिजर्व के आसपास के क्षेत्र में तेज आर्थिक विकास होता है। वर्तमान में शहर में कोई उद्योग नहीं है तो ऐसे में माधव नेशनल पार्क में टाइगर रिजर्व बनने से बड़ी उम्मीदें हैं। यह टाइगर रिजर्व शिवपुरी को कूनो और रणथंबोर से भी जोड़ेगा जिससे एक नया टूरिज्म सर्कल बनेगा। इससे शहर में हेरिटेज टूरिज्म को भी विकसित करने की योजना है। टाइगर के जरिए रोजगार सृजन, कल्चरल व स्प्रिचुअल टूरिज्म, मछली उद्योग, मिट्ट सरंक्षण, जल शोधन, जीन पूल संरक्षण आदि लाभों के साथ दूसरी इंडस्ट्रीज भी खड़ी होती हैं।

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