सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन मिलेगा सशर्त प्रमोशन

सुप्रीम कोर्ट
  • पदोन्नति में आरक्षण… अगले 10 दिन में हो सकती है पहली डीपीसी

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में पदोन्नति में आरक्षण मामले में अगले 10 दिनो में पहली डीपीसी (वरिष्ठता पात्रता सूची) हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन सशर्त प्रमोशन मिलेगा। सामान्य प्रशासन विभाग में पदोन्नति के लिए डीपीसी सूची जारी की है। मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 दो-तीन दिन में नोटिफाई होंगे। नियम नोटिफाई होते ही पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू होगी। मप्र के 4 लाख अधिकारी-कर्मचारियों का प्रमोशन होना है। हर साल सितंबर से नवंबर के बीच विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक होगी। चयन की पात्रता 31 दिसंबर तक की स्थिति पर तय होगी। एक जनवरी से जैसे-जैसे पद रिक्त होते जाएंगे, पात्र कर्मचारियों को प्रमोशन मिलता जाएगा। प्रत्येक पद के लिए दोगुना उम्मीदवार और अतिरिक्त चार कर्मचारी डीपीसी में बुलाए जाएंगे। पदोन्नति में आरक्षण का मतलब है सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों और जनजातियों (एससी/एसटी) के लिए पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करना, ताकि इन समुदायों को सार्वजनिक सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सके। 81वें संशोधन के जरिए सरकार ने अनुच्छेद 16(4बी) पेश किया है, जिसके तहत पदोन्नति में आरक्षण को नियमित आरक्षण पर निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा को पार करने की अनुमति दी गई। संशोधन ने राज्य को पिछले वर्षों से खाली पदों को आगे बढ़ाने की अनुमति दी। इसे कैरी फॉरवर्ड नियम के नाम से जाना जाता है। गौरतलब है कि वर्ष 2002 में तत्कालीन सरकार ने प्रमोशन के नियम बनाते हुए प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान कर दिया था। ऐसे में आरक्षित वर्ग के कर्मचारी प्रमोशन पाते गए और अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पिछड़ गए। जब इस मामले में विवाद बढ़ा, तो कर्मचारी कोर्ट पहुंचे। उन्होंने कोर्ट से प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने का आग्रह किया। कोर्ट को तर्क दिया कि प्रमोशन का फायदा सिर्फ एक बार मिलना चाहिए। इन तर्कों के आधार पर मप्र हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल, 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 खारिज कर दिया। सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष कोर्ट ने यथास्थिति रखने का आदेश दिया। तभी से प्रमोशन पर रोक लगी है। नौ साल में करीब एक लाख कर्मचारी बगैर प्रमोशन के रिटायर्ड हो गए।
जल्द जारी हो सकता है नोटिफिकेशन
डॉ. मोहन यादव कैबिनेट की ओर से मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम-2025 को मंजूरी देने के साथ ही प्रदेश में नौ साल बाद 4 लाख कर्मचारियों के प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है। अब विभाग और कर्मचारी पदोन्नति के नए नियमों के संबंध में नोटिफिकेशन जारी होने का इंतजार कर रहे हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नोटिफिकेशन जल्द जारी कर दिया जाएगा। नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही सभी विभाग अपनी सहूलियत से कभी भी विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक बुला सकेंगे। कुछ विभागों ने डीपीसी की बैठक बुलाने की प्रारंभिक तैयारियां शुरू कर दी हैं। दरअसल, सरकार को आशंका है कि पदोन्नति के विस्तृत नियम सामने आने के बाद असंतुष्ट कर्मचारी कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इसलिए सरकार फटाफट डीपीसी की बैठकें कर कर्मचारियों को प्रमोशन देने की तैयारी में जुटी है। इस संबंध में विभागों को भी सूचित कर दिया गया है। जीएडी के अधिकारियों का कहना है कि विधि विशेषज्ञों से हुई चर्चा के अनुसार यह स्पष्ट हो गया है कि कर्मचारी पदोन्नति के किन नियमों को कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं, इसलिए कोर्ट में इसका जवाब देने की तैयारी कर ली गई है।
3 हिस्सों में बांटा जाएगा प्रमोशन
पदोन्नति के नए प्रस्ताव के अनुसार प्रमोशन में आरक्षण लागू किया गया है। किसी भी पद के लिए जितनी रिक्तियां होंगी, उसे एससी एसटी और अनारक्षित में बांटा जाएगा। एससी के लिए 16 प्रतिशत और एसटी के लिए 20 प्रतिशत पद आरक्षित होंगे। पहले एससी-एसटी के हिस्से वाले पद भरे जाएंगे। फिर अनारक्षित पदों पर एससी-एसटी से लेकर सभी दावेदार पात्र होंगे। बड़ी संख्या में सामान्य एवं पिछड़ा वर्ग के कर्मचारी इस नियम का विरोध कर रहे हैं। उन्हें नए नियमों के नोटिफिकेशन जारी होने का इंतजार है। विस्तृत नियम सामने आते ही विसंगतियों के विरोध में कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं। नए पदोन्नति प्रस्ताव के अनुसार क्लास-1 अधिकारी (जैसे डिप्टी कलेक्टर) के लिए लिस्ट मेरिट कम सीनियरिटी दोनों के आधार पर बनेगी, जबकि क्लास-2 और नीचे के पदों के लिए सीनियोरिटी कम मेरिट के आधार पर दावेदारों की सूची बनेगी। प्रमोशन में एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट (एसीआर) यानी गोपनीय चरित्रावली को अहम माना जाएगा। नियम के मुताबिक पिछले दो साल की एसीआर में कम से कम एक आउट स्टैंडिंग होना चाहिए या सात साल में चार बार ए प्लस होना चाहिए। प्रस्ताव के अनुसार पूर्व में हुई पदोन्नति को रद्द नहीं किया जाएगा। पदोन्नति के लिए पात्रता का लाभ नोटिफिकेशन जारी होने की दिनांक से मिलेगा। यानी वर्ष 2016 के बाद रिटायर्ड कर्मचारियों को इस नियम का लाभ नहीं मिलेगा।

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