
- 2029 के बाद बिजली संकट की आशंका…पावर परचेज एग्रीमेंट करेगी सरकार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। बिजली उत्पादन में सरप्लस राज्य माने जाने वाले मप्र को लेकर एक नई चिंता उभर रही है। 2029 के बाद बिजली की कमी की आशंका जताई गई है। इसी के मद्देनजर मप्र विद्युत विनियामक आयोग (एमपीईआरसी) ने 4100 मेगावाट नई बिजली व्यवस्था की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें से 3200 मेगावाट के थर्मल प्लांट और 900 मेगावाट की खरीद की योजना बनाई गई है। प्रदेश में औद्योगिक उत्पादन में तेजी, शहरीकरण, ग्रामीण विद्युतीकरण योजनाओं के विस्तार और बढ़ते कृषि पंप कनेक्शनों के चलते बिजली की खपत में निरंतर बढ़ोतरी दर्ज हो रही है। सीईए की रिपोर्ट बताती है कि अगले तीन वर्षों में मध्यप्रदेश में औसत बिजली मांग 8-10 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ सकती है। उद्योगों में निवेश, नए औद्योगिक क्षेत्र, आईटी और डेटा सेंटर प्रोजेक्ट, मेट्रो रेल और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट जैसे बड़े बुनियादी ढांचा कार्यों के लिए बिजली की भारी खपत होगी। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू बिजली कनेक्शनों की संख्या में तेजी से इजाफा होने से भी मांग का ग्राफ ऊपर जाएगा।
जानकारी के अनुसाी, मप्र विद्युत विनियामक आयोग (एमपीईआरसी) ने राज्य की भविष्य की बिजली जरूरतों को देखते हुए बिजली खरीदी को मंजूरी दे दी है। प्रदेश में 3200 मेगावॉट बिजली नए पावर प्रोजेक्ट्स से और शेष 900 मेगावॉट पुराने पावर प्लांटों से खरीदी जाएगी। हालांकि 900 मेगावॉट की बिजली खरीदी के लिए विस्तृत विश्लेषण कर फिर से आवेदन करने को कहा गया गया है। नए पॉवर प्रोजेक्टों से 3200 मेगावॉट खरीदी की मंजूरी मिल चुकी है। नए और पुराने प्रोजेक्टों से 4100 मेगावॉट बिजली खरीदी जाएगी। यह खरीदी 25 साल की अवधि के पावर परचेज एग्रीमेंट के तहत होगी। प्रदेश में मप्र जनरेटिंक कंपनी के ताप विद्युत ग्रह से 5400 मेगावाट, मप्र जनरेटिंक कंपनी के जल विद्युत ग्रह से 921.58 मेगावाट, संयुक्त क्षेत्र के जल विद्युत गृह और अन्य से 2484.13 मेगावाट, केंद्रीय क्षेत्र के ताप विद्युत गृह 5251.74 मेगावाट, दामोदर घाटी विकास निगम के ताप विद्युत गृह 3401.5 मेगावाट, नवकरणीय ऊर्जा स्रोत 5171 मेगावाट बिजली मिलती है। इस तरह प्रदेश में कुल बिजली उत्पादन क्षमता 22730 मेगावाट की है। अभी प्रदेश में बिजली की डिमांड 14 से 15 हजार मेगावाट है। प्रदेश में वर्तमान में सरप्लास बिजली 8 से 9 हजार मेगावाट है।
22,000 मेगावॉट के आसपास जाएगी डिमांड
आयोग के अनुसार, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि वर्ष 2027-28 तक मध्यप्रदेश में बिजली की मांग में वृद्धि होगी। वर्तमान प्रदेश में बिजली की मांग 19,000 मेगावॉट के करीब पहुंच चुकी है, जो आने वाले वर्षों में 22,000 मेगावॉट के आसपास हो सकती है। इसको देखते हुए बिजली की उपलब्धता बढ़ाई जा रही है। नए अनुबंध के तहत कोयला आधारित सुपरक्रिटिकल तकनीक वाले थर्मल पावर प्लांटों और कुछ अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली ली जाएगी। 900 मेगावॉट क्षमता राज्य के पहले से चालू और सक्षम पुराने पावर स्टेशनों से मिलेगी, जिससे तत्काल जरूरत की आपूर्ति हो सकेगी। आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस मंजूरी का मतलब बिजली खरीदी की दर (टैरिफ) तय होना नहीं है। बिजली कंपनियों को इसके लिए अलग से टैरिफयाचिका दायर करनी होगी, जिसमें प्रस्तावित दरें, लागत का आधार, ईधन आपूर्ति समझौते और अन्य वित्तीय विवरण पेश किए जाएंगे। इसके बाद उपभोक्ताओं और हित धारकों से आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे।