
- किराया देकर कर सकेंगे उपयोग, करनी होगी ऑनलाइन बुकिंग
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में अभी तक विभिन्न विभागों के सरकारी सर्किट हाउस और रेस्टहाउस में अफसरों के अलावा जन प्रतिनिधियों को ही रुकने की सुविधा मिली हुई है, लेकिन अब सरकार इनके दरवाजे आम आदमी के लिए भी खोलने जा रही है। यह बात अलग है की इस सुविधा से प्रदेश के चारों महानगरों को अलग रखा गया है। इस सुविधा के लिए फिलहाल अलग-अलग इलाकों में स्थित 50 सर्किट हाउस और 45 रेस्ट हाउस की सूची तैयार की गई है। इनके कमरों का भी किराया तय कर लिया गया है। यह फैसला सरकार द्वारा उनके रखरखाव पर हर साल होने वाले भारी भरकम खर्च को निकालने के लिए किया गया है। दरअसल अब तक इनका उपयोग या तो फ्री किया जाता है या फिर नाममात्र के शुल्क पर अफसर उपयोग करते हैं।
इसकी वजह से उनके रखरखाव का खर्च तक नहीं निकल पाता है। इनको आम आदमी को देने की शुरूआत करने से पहले सरकार द्वारा उनके रंगरोगन से लेकर अन्य तरह की सुविधाओं को जुटाने के लिए 550 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे, जिससे की उनका कायाकल्प किया जा सके। इस राशि से जो काम कराया जाना प्रस्तावित है, उसमें रंग-रोगन के साथ फर्नीचर, परदे आदि को बदला जाना है। इसी तरह से कमरों में एसी, टीवी व अन्य सुविधाओं को भी जुटाया जाएगा। इसके बाद तैयार सर्किट हाउस-रेस्ट हाउस में रुकने के लिए ऑनलाइन बुकिंग करने पर रुकने की सुविधा मिल सकेगी। तैयार किए गए प्रस्ताव के मुताबिक सर्किट हाउस में एक रात का किराया 2000 रुपए व रेस्ट हाउस का 800 रुपए होगा। इस प्रस्ताव के पर अमल के लिए शासन स्तर से मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। खास बात यह है की सर्किट हाउस और रेस्ट हाउस का स्वरूप बदलने के बाद यदि कोई सरकारी सेवक उसमें रुकेगा तो उसे भी उसका किराया देना होगा। यह बात अलग है की भुगतान की गई राशि का क्लेम वह अपने विभाग से कर सकेगा। किराए की राशि बैंक में जमा की जाएगी। अभी वीवीआईपी, स्टेट गेस्ट , मंत्री सांसद , विधायक और अफसर इनका उपयोग करते हैं। अब नई व्यवस्था के बाद इनके रुकने पर इस मद के लिए आवंटित बजट से भुगतान किया जाएगा। दरअसल दशकों पहले शुरू किए गए अधिकांश सर्किट हाउस अब शहरों के बीच में प्राइम लोकेशन पर आ गए हैं, जिसकी वजह से इनका व्यावसायिक उपयोग करना आसान होगा। इसके अलावा विभाग द्वारा अपने 34 सर्किट हाउस पर्यटन विभाग को भी देने की तैयारी है।
चारों महानगर बाहर
इस योजना में फिलहाल प्रदेश के चारों महानगरों को शामिल नहीं किया गया है। इसमें भोपाल के अलावा इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर शामिल हैं। इन शहरों में कई सर्किट हाउस व रेस्टहाउस मौजूद हैं। चयनित 50 सर्किट हाउस में जिला स्तर के 42 और तहसील स्तर के आठ हैं। रेस्ट हाउस में जिला स्तर के 42 व टूरिस्ट स्थल के तीस हैं। शेष बचे हुए सर्किट व रेस्ट हाउस की संख्या 349 है। इनका भी कायाकल्प किया जाना प्रस्तावित है।
15 सौ कर्मचारियों को रखा जाएगा आउटसोर्स से
इनके संचालन के लिए पीडब्ल्यूडी द्वारा करीब 1458 कर्मचारियों को आउटसोर्स से रखने की तैयारी की जा रही है। इनके वेतन पर हर साल विभाग द्वारा करीब 24.65 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। फिलहाल 4127 पद रिक्त बने हुए हैं। इन्हीं रिक्त पदों के विरुद्ध आउटसोर्स पर कर्मचारियों की नियुक्ति होगी। इन्हें 10 हजार से लेकर 15 हजार रुपए का हर माह भुगतान किया जाएगा। विभिन्न पदों के लिए कर्मचारियों का वेतन भी अलग -अलग होंगे। जिन पदों पर भर्ती की जाना है उनमें 190 खानसामा के पद शामिल हैं। इसके अलावा इतने ही पद केयर टेकर और इतने ही पद अटेंडर सह वेटर के तय किए गए हैं। इनमें प्रत्येक खानसामा और केयरटेकर को हर माह 15 हजार रुपए ,अटेंडर सह वेटर को 13000 रुपए और क्लीनर को वेतन 10000 रुपए प्रति महीना दिया जाएगा। इसी तरह से वही 350 रेस्ट हाउस में विभाग के रिक्त पदों पर आउटसोर्स कर्मचारियों को रखे जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिनमें 349 खानसामा के लिए 13000 रुपए प्रति महीना वेतन, वही 349 अटेंड एरिया वेटर के लिए 10000 रुपए प्रति महीना वेतन तय किया गया है।