
– भोपाल में बनेगा स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ एवं पैरामेडिकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट …
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी में जल्द ही एम्स की तरफ से इंटीग्रेटेड स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ एवं पैरामेडिकल ट्रेनिंग सेंटर शुरू करने की तैयारी है। इस संस्थान में गंभीर बीमारियों और आम जनता में स्वास्थ्य से संबंधित हो रहे बदलावों का अध्ययन अब सिर्फ डॉक्टर नहीं बल्कि आम जनता भी कर सकेगी। देश में पहली बार इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है। यह प्रदेश का सबसे बड़ा पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट होगा। इसके लिए एम्स को बर्रइ में 30 एकड़ जमीन आवंटित करने की तैयारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार तीन साल पहले तत्कालीन निदेशक डॉ. सरमन सिंह ने इसके लिए कलेक्टर से जमीन मांगी थी, लेकिन यहां जमीन नहीं मिल पाई। इसे देश का सबसे बड़ा पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट बनाने की तैयारी थी। देहरी में बन रहे संस्थान में पैरामेकिल कोर्स संचालित होंगे। इसके अलावा पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट की ट्रेनिंग की भी इस संस्थान में दी जाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं, नई बीमारियों, रोगों के नियंत्रण एवं उन्मूलन के लिए चलने वाले प्रोग्राम के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए यह प्रदेश के सबसे बड़ा संस्थान होगा।
होगा एमओयू: अगस्त माह में राज्य सरकार की तरफ से जमीन उपलब्ध कराने का आग्रह एम्स के कार्यपालक निदेशक डा. अजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से किया है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए पूरी मदद देने का भरोसा दिलाया है। वहीं एम्स में मप्र के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के डाक्टर विभिन्न बीमारियों की पहचान, रोकथाम, इलाज, उपकरणों से जांच आदि के लिए ट्रेनिंग ले सकेंगे। इसके लिए बाकायदा एमओयू होगा। चिकित्सा शिक्षा विश्वास सारंग ने एम्स के निदेशक से इसके लिए पहल करने को दिन पहले सौजन्य मुलाकात के दौरान कहा थी। अब सीएम से मुलाकात के बाद भी इस पर सहमति बनी है।
बर्रई में नई बिल्डिंग होगी तैयार
यह एक अलग ही तरह का अस्पताल होगा, जिसमें छात्र स्थानीय स्तर पर पनपने वाली बीमारियों और इनके कारणों का अध्ययन करेंगे और इससे प्राप्त परिणामों के आधार पर लोगों को क्षेत्रीय बीमारियों से दूर रखने की कोशिश करेंगे। इसी अध्ययन के आधार पर इलाज दिया जाएगा। अब तक एम्स द्वारा पैरामेडिकल की पढ़ाई नहीं करवाई जाती थी लेकिन अब यहां पैरामेडिकल कोर्स में बीएससी और एमएससी सहित टेक्निकल कोर्स की भी पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए बरंई में नई बिल्डिंग तैयार होगी। हावर्ड विवि में इस तरह का स्कूल है और इसमें वहीं के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। यहां शोध होगा। इस प्रोजेक्ट पर केंद्र सरकार यहां छात्रों को अलग-अलग विषयों में भी सहमति जता चुका है। बर्रई और झागरिया में 30 एकड़ जमीन एम्स प्रबंधन को पसंद आ गई है और इसके लिए आवंटन की तैयारी भी प्रशासन द्वारा शुरू कर दी गई है। इसके साथ ही रातीबड़ में भी जमीन की तलाश प्रशासन कर रहा है। यहां पर भी प्रबंधन को तीस एकड़ जमीन की जरूरत है।
रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे
विषाणुजनित और असंक्रामक बीमारियां जन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में बड़ी बाधा हैं। स्कूल में इन बीमारियों में मरीज की क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार उपचार किया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार दोनों तरह की बीमारियों में मरीज की जीवन शैली के साथ ही उसके आसपास का माहौल और परिस्थितियां ज्यादा प्रभाव डालती हैं। इसलिए इस कोर्स के साथ ही गुड गवर्नेस और आपदा प्रबंधन जैसी महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम भी इस कोर्स में शामिल किया गया है, ताकि यह कोर्स रोजगार परख बनाया जा सके। इसका लाभ ऐसे विद्यार्थियों को मिलेगा, जो पब्लिक हेल्थ में अपना कॅरियर बनाना चाहते है।
भोपाल आएंगे 3 और बड़े इंस्टीट्यूट
राजधानी के आसपास आने वाले समय में कई बड़े सरकारी संस्थान आकार लेंगे। इसी के तहत पब्लिक हेल्थ एवं पैरामेडिकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बनाया जा रहा। यहां पर मरीजों के इलाज करने वाले पैरामेडिकल स्टॉफ को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके अलावा भी तीन बड़े संस्थानों को जमीन देने की प्रक्रिया या तो पूरी कर ली गई है या चल रही है। इन संस्थाओं के आकार लेने से फॉरेंसिक साइंस, मेडिको लीगल, साइबर सिक्योरिटी, वायरस की जांच आसान हो सकेगी। अफसरों को दूसरे राज्यों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। साथ ही कम समय में सटीक रिपोर्ट मिल सकेगी। जिला प्रशासन के अफसरों ने बताया कि भोपाल में तीन बड़े संस्थानों नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, स्कूल आॅफ पब्लिक हेल्थ एवं पैरामेडिकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट और एनसीडीसी सेंटर को जमीनें आवंटन करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसमें नेशनल फॉरेंसिक लैब को बरखेड़ा बोंदर में 15 एकड़ जमीन का आवंटन कर दिया गया था, लेकिन बाद में अतिरिक्त 12 एकड़ जमीन आवंटित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।