नाबालिग छात्रों का शोषण किए जाने पर आयोग की सख्ती

मानव अधिकार आयोग

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के आदिवासी छात्रावासों में नाबालिगों के साथ मानसिक और शारीरिक शोषण की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। यहां तक कि पॉस्को एक्ट में भी कार्रवाई पर लापरवाही बरती जा रही है। यही वजह है कि अब मानव अधिकार आयोग ने इस पर संज्ञान लेकर कड़ा रुख अपनाया है और पॉस्को एक्ट में लापरवाही सामने आने पर आयोग की सख्ती के बाद अब सरकार द्वारा ऐसे पीड़ित छात्रों को पांच हजार रुपए देकर मदद की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में 593 आदिवासी बालक और 957 बालिका छात्रावास संचालित हो रहे है।  इन छात्रावासों में छात्र-छात्राओं के साथ कई बार रैगिंग, दुर्व्यवहार शारीरिक शोषण के मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन जनजातीय विभाग में बैठे अधिकारियों द्वारा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया बल्कि इसे नजरअंदाज किया जाता रहा। हालांकि अब मानव अधिकार आयोग की सख्ती के बाद सरकार हरकत में जरूर आई है और सरकार को इन छात्र-छात्राओं की सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। बता दें कि वर्तमान में इन छात्रावासों में 23 हजार 846 बालिकाएं और 58 हजार 758 बालक निवास करते हुए पढ़ाई करते हैं।
अब सरकार का फोकस छात्र-छात्राओं की सुरक्षा पर
उल्लेखनीय है कि आयोग के सख्त रवैये के बाद सरकार चेती है। यही वजह है कि अब जनजातीय विभाग द्वारा नियमों की का कड़ाई से पालन करने के लिए आदेश जारी किया गया है। इन आदेशों में कहा गया है कि पास्को एक्ट की धारा 19 के अनुसार बच्चों का शारीरिक, लैंगिक शोषण की जानकारी होने पर विद्यालय के प्राचार्य इसकी सूचना निकटतम थाना प्रभारी को देंगे। मंदबुद्धि और नि:शक्त छात्र-छात्राओं के मामले में विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए। नाबालिग छात्रों के साथ मानसिक एवं शारीरिक शोषण करने वाले व्यक्ति के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाना चाहिए। साथ ही बालिका छात्रावासों में महिला डॉक्टर रहेंगे और सप्ताह में एक बार अनिवार्य रूप से छात्राओं का मेडिकल चेकअप भी होना चाहिए।
छात्रावास में प्रवेश के समय जन्मतिथि का प्रमाण पत्र नगरीय निकाय और पंचायत से लेना अनिवार्य किया गया है। हर जिले में आकस्मिक निरीक्षण के लिए टीमें गठित हों एवं पीड़ितों को पांच हजार रुपए की क्षतिपूर्ति राशि तत्काल देने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसके अलावा निदेर्शों में कहा गया है कि जिले के वरिष्ठ अधिकारी नियमित रूप से छात्रावासों का निरीक्षण करेंगे।
अधिकारी नहीं देते ध्यान
हालांकि ऐसा नहीं है कि इसकी शिकायतें प्रशासन को नहीं मिलती है। बावजूद इसके अधिकारी इस पर कोई कार्यवाही नहीं करते हैं। आदिवासी छात्रावास में छात्रों के साथ शारीरिक शोषण दुर्व्यवहार आदि की शिकायतें लगातार मिल रही है, लेकिन जनजातीय कार्य विभाग में ऐसे मामलों में कोई तवज्जो नहीं दी जाती।

Related Articles