आईएएस अवॉर्ड फर्जीवाड़े में सहयोगियों पर… नहीं गिरी अब तक गाज

  • संतोष वर्मा का चिठ्ठा तो सरकार ने भेजा केंद्र को, लेकिन…
  • गौरव चौहान
आईएएस अवॉर्ड फर्जीवाड़े

ब्राह्मण बेटियों को लेकर असभ्य टिप्पणी करने वाले आईएएस अधिकारी और अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (अजाक्स) के प्रदेश अध्यक्ष संतोष वर्मा के विरुद्ध कार्रवाई के लिए राज्य सरकार ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय को लिखा है। इसमें संतोष द्वारा आईएएस संवर्ग में आने के लिए किए गए फर्जीवाड़े का ब्यौरा दिया गया है। लेकिन वर्मा को आईएएस अवॉर्ड दिलाने में सहयोगी रहे आईएएस अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों पर अभी तक कोई आंच नहीं आई है। सरकार ने ऐसे लोगों पर न तो कोई कार्रवाई की है और न ही नोटिस दिया है।
गौरतलब है कि संतोष वर्मा का सेवाकाल विवादों भरा रहा है। उनको आईएएस अवार्ड भी गलत तरीके से हुआ है। अब संतोष वर्मा प्रकरण ने प्रशासनिक व्यवस्था की उस परत को उजागर कर दिया है, जहां एक नहीं बल्कि पूरा तंत्र सवालों के घेरे में है। विवाद की जड़ केवल पूर्व आईएएस वर्मा नहीं, बल्कि वे 21 कद्दावर आईएएस अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी हैं, जिनकी सहमति और मौन समर्थन से वर्मा को भारतीय प्रशासनिक सेवा का अवॉर्ड मिला और बाद में निलंबन के बावजूद बहाली तक का रास्ता साफ हुआ।
किसी सहयोगी पर ठोस कार्रवाई नहीं
संतोष वर्मा की बहाली से लेकर आईएएस अवॉर्ड तक अफसरों और जनप्रतिनिधियों का भरपूर सहयोग मिला। हैरानी की बात यह है कि फर्जी दोषमुक्ति आदेश सामने आने, जांच में गड़बड़ी उजागर होने और शिकायतों के बावजूद इन अधिकारियों और नेताओं पर आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। वर्मा का नाम 2019 में आईएएस में पदोन्नति के लिए शामिल था, तब उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज था। इसके बाद भी उनका नाम अनंतिम रूप से शामिल किया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि अपराध दर्ज था तो नाम अलग करना था। तब राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस थे। वे विभागीय पदोन्नति समिति के भी अध्यक्ष थे। वर्मा ने 8 अक्टूबर 2020 को न्यायालय का एक आदेश विभाग में पेश किया। जिसमें उन्हें दोषमुक्त किए जाने का उल्लेख था। इस आदेश पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक इंदौर से अपील में जाने के संबंध में राय मांगी। जवाब में कथित रूप से तत्कालीन लोक अभियोजक की राय का हवाला देकर अपील में जाने से मना किया।
किसी भी मामले की पूरी जांच नहीं
संतोष वर्मा के फर्जीवाड़े और विवादों को हमेशा अनदेखी किया जाता रहा है। उनके किसी भी मामले की पूरी जांच नहीं की गई। 12 दिसंबर को केंद्रीय कार्मिक विभाग को राज्य द्वारा भेजे गए पत्र में लिखा है कि तत्कालीन समय में दोषमुक्ति के सत्यापन के लिए इंदौर जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा था। इसका जवाब कार्यालय पुलिस महानिदेशक इंदौर जोन से मिला। अब विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं कि जब निचले स्तर के अधिकारी को पत्र लिखा था तो जवाब वरिष्ठ स्तर के अधिकारी द्वारा क्यों दिया गया? इसकी भी जांच होनी चाहिए। विशेषज्ञों का कहना था कि जब मामला संदिग्ध था और शिकायतकर्ता ने दोष मुक्ति वाले पत्र को झूठा करार दिया था तो सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल की कार्मिक शाखा के तत्कालीन अधिकारियों ने पुलिस के कहने पर जिला लोक अभियोजक से राय क्यों मांगी, उक्त पत्र की पुष्टि कोर्ट के रजिस्ट्रार से कराई जानी थी। इसके पीछे, मंशा देखनी चाहिए। तत्कालीन पुलिस महानिदेशक इंदौर जोन और तत्कालीन जिला लोक अभियोजक के पत्र को सही मानते सामान्य प्रशासन विभाग के कार्मिक शाखा के अधिकारियों और राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव ने 16 अक्टूबर 2020 को वर्मा की संनिष्ठा प्रमाणित कर केंदीय कार्मिक विभाग को पत्र भेजा और 6 नवंबर 2020 को उन्हें आइएएस अवार्ड हो गया। इसके बाद 28 अप्रैल 2021 को हर्षिता अग्रवाल ने तत्कालीन मुख्य सचिव को शिकायत की। फिर जांच हुई तो इंदौर पुलिस की राय पर कोर्ट का आदेश फर्जी मिला। वर्मा को निलंबित किया गया, जांच अधिरोपित की लेकिन जांच की कछुआ चाल कभी नहीं बढ़ाई। तब तक वर्मा ने कैट में निलंबन आदेश को चुनौती दी और बहाल हो गए।
भोपाल में ब्राह्मण समाज का उग्र प्रदर्शन
भोपाल में रविवार को ब्राह्मण समाज ने आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी अपनी मांगों को लेकर रोशनपुरा चौराहे से सीएम हाउस की ओर बढ़े। हालात बिगड़ते देख पुलिस को प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वॉटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा। प्रदर्शनकारी रोशनपुरा चौराहे पर पुलिस घेराबंदी को तोड़ते हुए बाणगंगा चौराहे तक पहुंच गए। इस दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने भारी बैरिकेडिंग की, लेकिन प्रदर्शनकारियों के आगे बढऩे की कोशिश जारी रही। स्थिति को संभालने के लिए आखिरकार पुलिस को वॉटर कैनन चलाना पड़ा। वॉटर कैनन और धक्का-मुक्की के दौरान कई बुजुर्ग और महिलाएं घायल हो गईं। मौके पर मौजूद एंबुलेंस और मेडिकल टीम ने घायलों को प्राथमिक उपचार दिया। तनावपूर्ण हालात को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया। प्रदर्शनकारी आईएएस संतोष वर्मा की तत्काल गिरफ्तारी और सेवा से बर्खास्तगी की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

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