भाजपाई दिग्गजों में चल रहा कोल्डवार

भाजपाई दिग्गजों
  • वर्चस्व के लिए जूतमपेजार…

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। पार्टी विद द डिफरेंस और अनुशासन के नारे के साथ अपने संगठन को भाजपा देश और दुनिया का सबसे बड़ा और काबिल संगठन बताती है। लेकिन जब मध्यप्रदेश में तीन चौथाई बहुमत वाली भाजपा की सरकार राज कर रही है, तब सत्ताधारी दल की आपसी लड़ाई रोजाना सडक़ और सदन पर नजर आ रही है। खासकर बुंदेलखंड में भाजपाई नेताओं में सियासी टकराव चरम पर है। बुंदेलखंड में भाजपाई दिग्गजों में इस कदर कोल्डवार चल रहा है, जिसकी गूंज भोपाल और दिल्ली में भी सुनाई दे रही है।
    मध्य प्रदेश और खासकर बुंदेलखंड में जिस तरह से भाजपा के नेता आपस में झगड़ रहे हैं और गुटबाजी कर रहे हैं, पार्टी की जमकर किरकिरी हो रही है। भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले बुंदलेखंड में भाजपा के नेता खंड-खंड नजर आ रहे हैं। बुंदेलखंड इन दिनों गुटबाजी और सियासी घमासान की चपेट में है। संभागीय मुख्यालय सागर के दिग्गज नेताओं के बीच प्रभुत्व और वर्चस्व की लड़ाई अब सडक़ों पर उतर आई है। गुटबाजी की आंच से छतरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना जिले के वरिष्ठ नेता भी अछूते नहीं। क्षेत्र की पब्लिक भौंचक है जबकि विपक्षी नेता मजे लेकर तमाशा देख रहे हैं। बुंदेलखंड अंचल से केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व कर रहे वीरेंद्र कुमार की निर्वाचन क्षेत्र के दोनों टीकमगढ़-छतरपुर जिलों के प्रमुख नेताओं से पटरी नहीं बैठ पा रही। सागर में मंत्री गोविंद राजपूत और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के सियासी मतभेद छिपे नहीं। इनमें सुलह के प्रयास विफल रहे। दरअसल बुंदेलखंड में एक समय ऐसा था कि तीन-तीन कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे। लेकिन आज सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री है और वो भी सिंधिया के साथ कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा के दिग्गज नेता भूपेन्द्र सिंह और गोपाल भार्गव जैसे नेता भारी भरकम वोटों से जीतने के बाद भी मंत्री नहीं बन सके हैं। यहां तक तो ठीक था, लेकिन मंत्री भूपेन्द्र सिंह इलाके में हस्तक्षेप, उनके समर्थकों को परेशान किए जाने जैसी घटनाओं को लेकर खुलकर सामने आ गए हैं। मामला इतना ज्यादा बढ़ गया है कि भूपेन्द्र सिंह खुलकर सरकार और संगठन को चुनौती देते नजर आ रहे हैं।
    जैसीनगर का नाम बदलने पर भूपेंद्र और गोविंद में ठनी
    ताजा विवाद मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के विधानसभा क्षेत्र सुरखी के जैसीनगर विकासखंड के नाम बदले जाने को लेकर सामने आया है। 25 सितंबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सागर के दौरे पर थे और उन्होंने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के विधानसभा क्षेत्र के जैसीनगर में सभा को संबोधित किया था। तब मांग उठी थी कि जैसीनगर का नाम जय शिवनगर किया जाए। मुख्यमंत्री ने भी प्रस्ताव भेजने की बात कही थी, लेकिन इसके बाद क्षत्रिय महासभा सुझाए गए नाम के खिलाफ सडक़ों पर उतर आई और जयशिवनगर की जगह जयसिंह नगर करने की मांग करने लगी, तो मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने जैसीनगर में आयोजित दशहरा कार्यक्रम के बहाने भूपेंद्र सिंह का नाम लिए बिना उनकी जमकर आलोचना की और अपने विधानसभा क्षेत्र में सियासत न करने की सलाह दी।
    हर स्तर पर वर्चस्व और प्रभुत्व की जंग
    बुंदेलखंड में खासकर सागर में वर्चस्व और प्रभुत्व की जंग देखने को मिल रही है। भाजपा नेताओं के आपसी झगड़ों से सागर नगर निगम भी अछूती नहीं। अभी हाल ही में आयोजित दशहरा महोत्सव और रावण दहन कार्यक्रम भी गुटबाजी का शिकार हो गया। विवाद इतना गहराया कि स्वयं महापौर संगीता सुशील तिवारी ही कार्यक्रम में नहीं पहुंचीं। उनका सीधा आरोप है कि उन्हें किसी के कहने पर निगम कमिश्नर राजकुमार खत्री द्वारा अपमानित किया जा रहा है। मेरे खिलाफ जानबूझकर साजिश की जा रही है। वहीं छतरपुर में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र की क्षेत्रीय नेताओं विधायक ललिता यादव, अरविंद पटेरिया, कामाख्या प्रताप और पूर्व विधायक मानवेंद्र सिंह से पटरी नहीं बैठ रही। इसी तरह टीकमगढ़ में भी संगठन के महामंत्री और विधायक हरिशंकर खटीक और पूर्व विधायक राकेश गिरी से उनके मधुर संबंध नहीं। यही स्थिति पन्ना जिले में भी है जिले के विधायक और संगठन के बीच अनबन चल रही है। खजुराहो सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खिलाफ जिले के पूर्व विधायक पुष्पेंद्र नाथ गुड्डन पाठक मोर्चा खोल चुके हैं। सागर विधायक शैलेंद्र जैन का कहना है कि नेताओं में आपसी सौहाद्र्र नहीं रहा। मामले पर प्रदेश संगठन को हस्तक्षेप करना चाहिए। अनुशासन की सीमाएं निश्चत हों जिससे अनुशासन बना रहे। बुंदेलखंड की राजनीति को समझने वाले जानकार अच्छी तरह से जानते हैं कि उनके निशाने पर बुंदेलखंड के इकलौते कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और उनके विधानसभा क्षेत्र के नेता अरूणोदय चौबे हैं। जो गोविंद सिंह के जरिए भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इसके पहले भूपेन्द्र सिंह सागर में उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल के सामने पुलिस पर सीडीआर के जरिए उनके करीबियों को प्रताडि़त करने का आरोप लगा चुके हैं और जांच की मांग कर चुके हैं।

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