
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
सिंहस्थ कुंभ और सालभर शिप्रा नदी को प्रवाहमान बनाने के लिए बनाई जा रही सिलारखेड़ी-सेवरखेड़ी डेम परियोजना का काम पिछले 10 दिन से अधिक समय से बंद है। किसानों के आक्रोश और प्रदर्शन के बाद ग्रामीणों ने मिलकर यहां काम कर रहे 200 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी और मजदूरों को लौटने पर मजबूर कर दिया। किसान डेम के बदले अधिग्रहित की जा रही जमीन के मुआवजे को लेकर विरोध कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि प्रशासन जमीन का मुआवजा सिर्फ 3 से 6 लाख रुपए प्रति बीघा तय कर रहा है, जबकि जमीन का बाजार मूल्य 50 लाख से 1 करोड़ रुपए प्रति बीघा है।
सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर लगा ब्रेक
शिप्रा नदी को प्रवाहमान रखने के लिए शहर से 17 किमी दूर कल्याणपुरा गांव में सीएम मोहन यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट सिलारखेड़ी-सेवरखेडी परियोजना का काम मार्च में शुरू हुआ था। डेम निर्माण का लगभग 25त्न कार्य पूरा हो चुका है। इस परियोजना में सिलारखेड़ी से सेवरखेड़ी तक पाइपलाइन बिछाई जानी है, जिसके लिए 13 गांवों के करीब 300 किसानों की लगभग 400 बीघा जमीन का अधिग्रहण होना है। कल्याणपुरा में डेम का निर्माण शुरू भी हो चुका था, लेकिन मुआवजा राशि कम होने से नाराज किसानों ने 21 नवंबर से काम बंद करवा दिया। किसानों की मांग है कि मुआवजा बढ़ाकर 25 लाख रुपए प्रति बीघा किया जाए।
किसानों ने सीएम से भी की मुलाकात
किसान नेता दिलीप सिंह सिसोदिया ने बताया कि अगस्त में वे उज्जैन कलेक्टर, कमिश्नर, विधायक, एडीएम और एसडीएम सभी से बात कर चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। 29 नवंबर को किसान मुख्यमंत्री से मिले, जिसके बाद सीएम ने प्रशासन को उचित मुआवजा देने के निर्देश दिए थे। फिर भी प्रशासन 17.50 लाख रुपए प्रति बीघा तक ही देने को तैयार है, जबकि किसान 25 लाख रुपए की मांग पर अड़े हैं।
परियोजना का काम फिलहाल बंद
डेम के निर्माण का कार्य किसानों के विरोध के चलते पूरी तरह ठप पड़ा है। समाधान न निकलने पर परियोजना की समय सीमा पर भी संकट खड़ा हो गया है।
