
- सुगम परिवहन सेवा प्रारंभ करने के लिए डेडलाइन तय
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में सीएम परिवहन सेवा की शुरुआत जल्द की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने परिवहन विभाग की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि इस सेवा को जल्द से जल्द शुरू किया जाए। सबसे पहले इसे प्रदेश के सर्वाधिक आबादी वाले महानगर इंदौर से शुरू किया जाए। सीएम ने कहा कि सुगम परिवहन सेवा में यात्रियों की सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। कोशिश की जाए कि इसकी शुरुआत इलेक्ट्रिकल बसों से की जाए। इसके लिए बुनियादी अधोसंरचना विकास के कामों को प्रोत्साहित किया जाए। सुगम परिवहन सेवा प्रारंभ करने के लिए मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने डेडलाइन तय कर दी है। अब हर हाल में मार्च के पहले बसों का संचालन प्रारंभ किया जाएगा। सबसे पहले इंदौर और इसके बाद उज्जैन से सेवा प्रारंभ की जाएगी।
बता दें कि वर्ष 2006 में मप्र राज्य सड़क परिवहन निगम बंद होने के बाद से सार्वजनिक परिवहन की सुविधा नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में सडक़ दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अंतरविभागीय बैठक नियमित रूप से हो। सडक़ों पर सुरक्षा से जुड़ी कमियां पाए जाने पर उन्हें तत्काल दूर किया जाए। बस स्टाप पर नागरिकों को साफ-सफाई के साथ आवश्यक सुविधाएं मिलें। परिवहन विभाग की राजस्व संग्रह निगरानी प्रणाली को और मजबूत करें। वाहनों की गति सीमा पर नियंत्रण बेहद जरूरी है। इसके साथ गाड़ी चलाने वाले व्यक्ति के पास आवश्यक कागजों की वैधता की जांच भी नियमित हो। परिवहन विभाग में बेहतर प्रबंधन के लिए अधिकारी-कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर भी जोर दिया।
उज्जैन में डिटेल सर्वे पूरा
परिवहन सचिव मनीष सिंह ने बताया कि उज्जैन में सार्वजनिक बस संचालन के लिए डिटेल सर्वे पूरा हो गया है। जबलपुर और इंदौर में रूट सर्वे और श्रेणीवार संचालित बसों की संख्या का अनुमान का काम भी लगभग पूरा हो गया है। अब 6 बिंदुओं पर प्राथमिकता से काम होना है। इनमें संस्थागत व्यवस्था व स्टाफ, नियम एवं करों में संशोधन, रूट सर्वे एवं स्कीम की अधिसूचना, आईटी प्लेटफार्म एवं एजेंसी का चयन, परिवहन अधोसंरचना की योजना और ऑपरेटर से चर्चा एवं कैपेसिटी बिल्डिंग पर काम चल रहा है। बैठक में बताया गया कि इस वर्ष 16 लाख 60 हजार वाहनों का पंजीयन किया गया है। इसमें 2 लाख 58 हजार यानी 15 प्रतिशत इलेक्ट्रिकल वाहन हैं। प्रदेश में ऑन रोड वाहनों की संख्या एक करोड़ 80 लाख के करीब है। परिवहन से प्राप्त होने वाली राजस्व में पिछले वर्ष के मुकाबले लगभग छह प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बैठक में राजस्व वृद्धि के किए जाने वाले उपायों पर भी चर्चा की गई।
बसों और स्टॉप पर स्पष्ट पहचान
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि बसों के फ्रंट ग्लास पर शहरों और गांवों के नाम अनिवार्य रूप से प्रदर्शित हों। इसी तरह बस स्टॉप पर भी गांव और नगरों के नाम लिखवाए जाएं, ताकि यात्रियों को आसानी हो। उन्होंने कहा कि सडक़ सुरक्षा के लिए वाहनों की गति सीमा पर सख्ती से नियंत्रण जरूरी है। वाहन चालकों के दस्तावेजों की वैधता की नियमित जांच भी सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारी-कर्मचारियों के प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता पर जोर दिया। परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि विभाग के आधुनिकीकरण की दिशा में लगातार कार्य हो रहा है। नशे की हालत में वाहन चलाने वालों पर कठोर कार्रवाई की जा रही है।
6 प्रतिशत बढ़ा परिवहन राजस्व
बैठक में विभागीय अफसरों ने बताया कि वर्ष 2025 में अब तक प्रदेशभर में 16 लाख 60 हजार वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। इसमें 2 लाख 58 हजार से अधिक इलेक्ट्रिकल व्हीकल हैं। इसके साथ ही प्रदेश में ऑन रोड वाहनों की संख्या 1.80 करोड़ हो गई है। वर्ष 2024-25 में परिवहन विभाग को 4 हजार 874 करोड़ रुपए की राजस्व आय हुई है, जो पिछले साल से 6 प्रतिशत अधिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुगम परिवहन सेवा में यात्रियों की सुविधाओं और कम से कम किराये पर विशेष ध्यान दिया जाए। इसमें इलेक्ट्रिक बसों के उपयोग को प्रोत्साहित करें। परिवहन सेवा के लिए बने नियमों का सख्ती से पालन हो। बसों में शहरों एवं गांवों के नाम सामने के कांच पर अनिवार्य रूप से प्रदर्शित किए जाएं। इसके साथ ही बस स्टाप पर भी गांव और नगरों के नाम लिखे हों। यात्री बसों का बीमा अनिवार्य हो। सभी कार्य नियमों के अंतर्गत हों, पारदर्शिता रहे। दिव्यांग यात्रियों का विशेष ध्यान रखा जाए। बसें फिट हों, स्टाफ का व्यवहार अच्छा हो। अप-डाउनर्स को भी आवश्यक सुविधाएं दी जाएं।