सीएम इंफ्रा योजना को एक साल से राशि का इंतजार

सीएम इंफ्रा योजना

वित्त विभाग नहीं है राशि आवंटित करने को तैयार, चौथा चरण अटका

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी साल होने के बाद भी वित्त विभाग मुख्यमंत्री अधोसंरचना की मद में राशि देने को तैयार नही है, जिसकी वजह से न तो तीसरा चरण पूरा हो पा रहा है और न ही इसका चौथा चरण शुरु हो पा रहा है, जबकि यह मुख्यमंत्री की फ्लैगशिप योजना है। यही नहीं इसकी वजह से तीसरे चरण के भी काम आधे अधूरे पड़े हुए हैं। इसकी वजह से इस मद से कराए जाने वाले नए काम भी शुरु नहीं हो पा रहे हैं। खास बात यह है कि इसका चौथ चरण एक साल पहले शुरु होना था , लेकिन वित्त विभाग ने बीते साल भी कोई राशि नहीं दी और इस साल भी अब तक कोई राशि जारी करने को तैयार नहीं है। अगर समय पर राशि आंवटित कर दी जाती तो अब तक इस मद के कई काम पूरे हो गए होते। दरअसल इस मद में चौथे चरण के तहत करीब दो हजार करोड़ रुपए के काम होने थे , जिसमें कम्युनिटी हॉल, पार्क, खेल मैदान, ग्रीन एरिया व सडक़ों समेत अन्य कार्य कराए जाना है। यही नहीं वित्त विभाग ने सडक़ों के सुधार के लिए कायाकल्प अभियान के लिए भी अब तक 400 करोड़ रुपए जारी नहीं किए हैं। जिसकी वजह से यह काम भी शुरु नहीं हो पा रहा है। जबकि यह काम बीते साल तक पूरे करने का लक्ष्य तय किया गया था।  दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा इसकी शुरुआत 2011-12 में की गई थी। इसके साथ ही इसके पहले चरण की शुरुआत की गई थी। इस योजना से हुए विकास कामों की वजह से ही भाजपा 2013 के विधानसभा चुनाव में शहरी इलाकों में 80 प्रतिशत सीटें जीतने में सफल रही थी। भाजपा ने भी अपनी रिपोर्ट में जीत के लिए इस स्कीम का बड़ा योगदान माना था। लिहाजा 2016 में भी शि सरकार द्वारा इस स्कीम का दूसरा चरण लाया गया, लेकिन उसमें देरी होने से भाजपा को इसका फायदा नहीं मिल सका था। इसके बाद कांग्रेस की सरकार बनने पर कमलनाथ ने भी इसकी अहमियत समझी और इसका तीसरा चरण 2019 में लॉन्च कर दिया था। यह चरण अब तक पूरा नहीं हो पाया है। दरअसल इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में सडक़ों, नाली जैसा बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का काम किया जाता है।  इसके पहले चरण में 1034 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे। इस राशि से भोपाल, इंदौर समेत सभी निकायों में काम हुए थे। फिर दूसरे चरण में 1300 करोड़ रुपए शासन की ओर से दिए गए थे। इसके बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आ गई और सीएम इंफ्रा का बजट घटाकर महज 536 करोड़ रुपए कर दिया गया। अब सीएम इंफ्रा फेज-4 पर अमल किया जाना है। इस बार योजना में यह बदलाव किया गया कि सडक़ों के लिए कम राशि प्रस्तावित की गई है, क्योंकि यह काम कायाकल्प योजना के तहत किया जा रहा है। चौथे चरण के लिए नगरीय विकास विभाग ने एक साल पहले करीब दो हजार करोड़ रुपए की मांग वित्त को भेज दी थी, जिसे वित्त विभाग अब तक मंजूर करने को तैयार नही है, जबकि प्रदेश में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं।
750 करोड़ मंजूर, 350 करोड़ मिला, कैसे सुधरेंगी सडक़ें
प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में बारिश व अन्य कारणों से खराब हुई सडक़ों की मरम्मत व नवीनीकरण के लिए मुख्यमंत्री ने पिछले साल दिसंबर में कायाकल्प अभियान शुरू करने की घोषणा की थी। उन्होंने इस साल फरवरी में सभी नगरीय निकायों की सडक़ों के लिए 750 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। इसके साथ ही सीएम ने सभी शहरों में सडक़ों की मरम्मत का कार्य बारिश के पहले पूरा करने का अल्टीमेटम दिया था। बीओटी सडक़ें 30 जून तक बनाई जाना है। ऐसा हो पाने की संभावना कम है। इसके पीछे वजह यह है कि कायाकल्प अभियान के लिए अब तक 350 करोड़ रुपए ही मिल पाया है। बाकी 400 करोड़ रुपए की मंजूरी वित्त विभाग के पास अटकी है। यह राशि मिले बगैर सभी सडक़ें सुधारने की सीएम की मंशा पूरी नही हो पाएगी। इस बीच 10 जून तक वर्क ऑर्डर न करने वाले निकायों के कार्य निरस्त करने के निर्देश विभाग की और से दिए गए हैं। यह राशि अन्य जिलों को ट्रांसफर करने के लिए कहा गया है। इससे भोपाल समेत अन्य निकायों की दिक्कत और बढ़ गई है। हालत यह है कि राजधानी में कुछ सडक़ों के लिए अब तक निर्माण एजेंसी का चयन तक नहीं हो पाया है।
यह है सीएम इंफ्रा योजना
इस योजना के तहत सडक़, शहरी यातायात, नगरों को सुंदर बनाने, सामाजिक अधोसंरचना विकसित करने संबंधी नवीन योजनाएं ली जाती हैं। राज्य सरकार योजना की लागत का 30 फीसदी अनुदान देती है, जबकि 70 प्रतिशत राशि निकायों को ऋण के रूप में उपलब्ध करवाई जाती है।  ऋण राशि और ब्याज की अदायगी 15 से 20 वर्ष की अवधि में शासन और शेष 25 प्रतिशत राशि निकाय द्वारा की जाएगी। इस योजना के तहत उन निकायों को जल्दी पैसा दिया जाता है, जो तेजी के साथ काम करते हैं।

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