सरकार की नाक के नीचे सीएम हेल्पलाइन हेल्पलेस

 सीएम हेल्पलाइन

भोपाल नगर निगम में शिकायतों का नहीं किया जा रहा निराकरण …

भोपाल/गौरव चौहान//बिच्छू डॉट कॉम।
आम जनता की शिकायतों और समस्याओं के निराकरण के लिए शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन सरकार की नाक के नीचे ही यानी भोपाल में ही हेल्पलेस है। आलम यह है की भोपाल नगर निगम में शिकायतों का अंबार लगा हुआ है, लेकिन अफसरों की रूचि उनके निराकरण में नहीं है। इस कारण भोपाल नगर निगम सीएम हेल्पलाइन के निराकरण में फिसड्डी साबित हो रहा है।
सीएम हेल्पलाइन में पहुंचीं शिकायतों के निपटारे के आधार पर नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय ने सभी नगर निगमों की ग्रेडिंग लिस्ट जारी की है।  जिसमें यह तथ्य सामने आया है कि जहां सीएम रहते हैं, वहीं की सीएम हेल्पलाइन में पहुंचीं शिकायतों के निपटारे में भोपाल नगर निगम प्रदेश के 16 नगर निगमों में फिसड्डी आया है।
भोपाल नगर निगम फिसड्डी
नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय द्वारा नगर निगमों की जारी रिपोर्ट के अनुसार संतुष्टि के साथ बंद की गईं शिकायतों के वैटेज में भोपाल नगर निगम को महज 41.22 फीसदी अंक ही मिल सके हैं। इस ग्रेडिंग लिस्ट में बुरहानपुर को पहला स्थान मिला है। इससे पहले भी भोपाल नगर निगम सिर्फ एक बार ही टॉप 3 पोजिशन हासिल कर पाया है। नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय हर महीने ग्रेडिंग लिस्ट जारी करता है। इस लिस्ट में रैंकिंग का आधार संतुष्टि वैटेज के साथ ही कम समय में शिकायत का निवारण करना भी है। नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी का कहना है कि ग्रेडिंग लिस्ट संतुष्टि के वैटेज के आधार पर हर महीने जारी की जाती है। इस महीने हमारी ग्रेडिंग बहुत कमजोर है। संतुष्टि का स्तर सुधारने की कोशिश की जा रही है।
भोपाल निगम के पिछड़ने की वजह
नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय की रिपोर्ट के अनुसार भोपाल नगर निगम के फिसड्डी होने की कई वजह है। इनमें संतुष्टि के पैरामीटर बढ़ना एक वजह है। पहले शिकायतें 50 प्रतिशत संतुष्टि के साथ बंद होती थीं। दो महीने पहले पैरामीटर्स बदलकर संतुष्टि लेवल 60 प्रतिशत किया गया। दूसरी वजह शिकायतों का बोझ बढ़ना है। 2-3 महीने पहले तक निगम से जुड़ी शिकायतें महज 3-4 हजार तक ही सीमित रहती थीं। अब ये आंकड़ा 5-6 हजार से भी ज्यादा जा रहा है। इसके पीछे लोगों में बढ़ती जागरूकता बड़ा कारण माना जा रहा है। तीसरी वजह है रेगुलर कम्प्लेनर्स। निगम सूत्रों का कहना है कि भोपाल में रेगुलर कम्प्लेनर्स की संख्या भी काफी है। कुछ एक ही शिकायत को कई बार करते हैं तो कुछ अपने क्षेत्र को छोड़ दूसरे क्षेत्रों की शिकायत में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं। चौथी वजह है चुनाव ड्यूटी। दरअसल चुनाव में भी स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई थी। ज्यादातर शिकायतों का निपटारा वार्ड-जोन प्रभारी और एएचओ स्तर पर किया जाता है।
28 कैटेगरी में की जाती हैं शिकायतें
सीएम हेल्पलाइन पर भोपाल निगम की 28 कैटेगरी में शिकायतें की जाती हैं। जून में भोपाल में सबसे ज्यादा 1263 शिकायतें सीवेज से जुड़ी और साफ-सफाई/स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी शिकायतें 1221 हैं। पेयजल से जुड़ शिकायतों का आंकड़ा भी 1203 है। इनके अलावा आवारा कुत्ते, लाइट व्यवस्था, स्मार्ट सिटी, सिविल, सीवेज प्रकोष्ठ, भवन अनुज्ञा, आवारा सुअर, यांत्रिकी योजना प्रकोष्ठ, अस्थाई अतिक्रमण, आवारा पशु, समस्त जन कल्याणकारी योजनाएं, जन्म-मुत्यू एवं विवाह पंजीयन, उद्यानिकी, राजस्व, नर्मदा परियोजना, अवैध कॉलोनी, स्थाई अतिक्रमण, सामान्य प्रशासन, झील संरक्षण, पार्किंग, बीआरटीएस एवं बीसीएलएल, जनसंपर्क, मुख्यमंत्री युवा स्वाभिमान योजना, होर्डिंग और एनयूएलएम योजना शामिल है।

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