मां नर्मदा परिक्रमा पर सीएम डॉ. मोहन यादव के बहु-बेटे

  • ओंकारेश्वर से शुरू की यात्रा, परंपरा, आस्था और सादगी का दिखा अद्भुत संगम

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सादा जीवन और उच्च विचारों के लिए जाने जाते हैं। उनकी यही सोच और संस्कार उनके सार्वजनिक जीवन के साथ-साथ पारिवारिक परंपराओं में भी दिखाई देते हैं। हाल ही में सामूहिक विवाह सम्मेलन में विवाह बंधन में बंधे उनके पुत्र डॉ. अभिमन्यु यादव और पुत्रवधू डॉ. इशिता इन दिनों मां नर्मदा की परिक्रमा पर निकले हैं। यह यात्रा मुख्यमंत्री परिवार की आस्था, संस्कार और सनातन परंपरा का जीवंत उदाहरण बन गई है। डॉ. अभिमन्यु और डॉ. इशिता ने 22 दिसंबर को ओंकारेश्वर से नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत की। उनके साथ बड़े भाई वैभव-भाभी और बड़ी बहन-जीजाजी भी हैं। यह परिक्रमा मां नर्मदा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने, नवदाम्पत्य जीवन की मंगल कामना, पारिवारिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति और समाज कल्याण के संकल्प के साथ की जा रही है। इससे पहले भी मुख्यमंत्री के बड़े पुत्र वैभव यादव नर्मदा परिक्रमा कर चुके हैं, जिससे यह परंपरा परिवार में श्रद्धा का प्रतीक बन गई है।
नंगे पांव परिक्रमा पर निकले डॉ. अभिमन्यु और डॉ. इशिता
परिक्रमा की शुरुआत डॉ. अभिमन्यु और डॉ. इशिता ने नंगे पांव, सिर पर कलश रखकर की। दोनों ने सादा सफेद कुर्ता-पायजामा धारण किया था। यात्रा से पहले उन्होंने मां नर्मदा की विधिवत पूजा-अर्चना की, आरती उतारी और ब्राह्मणों को भोज कराया। डॉ. अभिमन्यु ने बताया कि यह परिक्रमा पौष मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि से प्रारंभ हुई है और लगभग 15 दिनों में पूर्ण होगी।
बचपन से मिले संस्कार जीवन का मार्गदर्शन करते हैं: डॉ. अभिमन्यु
उन्होंने कहा कि उनका पालन-पोषण उज्जैन में हुआ, जहां महाकाल और मां शिप्रा का सान्निध्य मिला। बचपन से मिले धार्मिक संस्कार आज भी जीवन का मार्गदर्शन करते हैं। डॉ. अभिमन्यु ने कहा कि वे और उनकी पत्नी धार्मिक यात्राओं और तीर्थ स्थलों के माध्यम से आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करना चाहते हैं। वर्तमान में दोनों अध्ययनरत हैं, इसलिए सीमित समय में यह धार्मिक यात्रा की जा रही है। डॉ. अभिमन्यु ने कहा कि राष्ट्र सेवा सर्वोच्च धर्म है। और सनातन संस्कृति हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखती है। कोई भी पेशा हमें हमारी सांस्कृतिक पहचान से दूर नहीं कर सकता। उन्होंने युवाओं में बढ़ती संस्कार और जिम्मेदारी की भावना की भी सराहना की।
सामूहिक सम्मेलन में हुआ था मुख्यमंत्री के बेटे का विवाह
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 30 नवंबर को अपने पुत्र अभिमन्यु का विवाह सामूहिक विवाह सम्मेलन में कराकर सादगी की मिसाल पेश की थी। इस सम्मेलन में 21 जोड़ों का विवाह हुआ था। शिप्रा नदी के तट पर आयोजित इस विवाह समारोह में न तो कोई वीआईपी व्यवस्था थी, न भव्य सजावट और न ही अलग मंडप। दूल्हा-दुल्हन ने उपहार लेने से भी इंकार कर दिया था। मुख्यमंत्री ने इसे दिखावे वाली शादियों के खिलाफ एक संदेश बताया था। उन्होंने कहा था कि विवाह में सादगी, सामाजिक समरसता और सबका साथ, सबका विकास का भाव झलकना चाहिए। इससे पहले फरवरी 2024 में उनके बड़े पुत्र वैभव यादव का विवाह भी राजस्थान के पुष्कर में सादगी के साथ संपन्न हुआ था।

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