
- लोक परिसंपत्तियों को बेंचने पर मिला 1000 करोड़ का इन्सेटिव
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। हर माह लगातार कर्ज लेकर काम चला रही प्रदेश की शिव सरकार को केन्द्र सरकार से बड़ी राहत मिली है। इसकी वजह है केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में प्रदेश को लोक परिसंपत्तियों को बेंचने पर दिया गया एक हजार करोड़ से अधिक का का इन्सेटिव। उधर, दिल्ली दौरे पर गए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते दो -तीन साल से केन्द्र पर बकाया चल रही छह हजार करोड़ रुपए के भुगतान का भी केन्द्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल से आग्रह किया है। यह राशि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मप्र सरकार द्वारा की जाने वाली गेहूं, चावल की खरीदी (प्रिक्योर ) की बकाया है।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से उनके कार्यालय में भेंट कर प्रदेश में परिसम्पत्ति प्रबंधन से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया कि मध्यप्रदेश पहला ऐसा राज्य है, जिसने सार्वजनिक परिसंपत्तियों के प्रबंधन के लिए पब्लिक एसेट मैनेजमेंट कंपनी बनाई है।
इसके प्रोत्साहनस्वरूप केन्द्र शासन ने प्रदेश के लिए 1055 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि जारी की है। चौहान ने इस प्रोत्साहन राशि देने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। दरअसल सरकार द्वारा यदि परिसम्पत्ति प्रबंधन का काम शासकीय विभाग द्वारा कराया जाता है तो उसे पूँजी लाभ कर नहीं लगता है। उन्होंने अनुरोध किया कि राज्य शासन की नीति में सार्वजनिक परिसम्पत्तियों के प्रबंधन के लिए बनाई गई स्पेशल पर्पज व्हीकल कम्पनियों को भी पूँजी लाभ कर की छूट प्रदान की जाय। दरअसल मप्र सरकार पब्लिक असेट मैनेजमेंट कंपनी बनाकर उसे ठीक से मैनेज कर रहा है। मप्र पहला राज्य है, जो केंद्र की नीति के आधार पर लोक परिसंपत्तियों को बेच रहा और इसके एवज में ही केंद्र से इन्सेटिव मिल रहा है। सीएम ने वित्त मंत्री से आग्रह किया कि अगर हम अलग कंपनी बनाकर संपत्तियों को बेच रहे है, तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स ना लगाया जाए। मुख्यमंत्री ने इसके बाद केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात कर पीडीएस के तहत खरीदे जाने वाले गेहूं-चावल का क्लेम करीब 6 हजार करोड़ रुपए बकाया है, उसे रिलीज करने की मांग की। इसके अलावा उन्होंने समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली ग्रीष्मकालीन मूंग के लिए लक्ष्य बढ़ाने की मांग की है। अभी 2.14 लाख टन लक्ष्य है, जबकि उत्पादन 16 लाख टन का अनुमान है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को बताया कि प्रदेश में फसल विविधीकरण में दलहन फसलों को विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि अधिक उत्पादन के कारण ग्रीष्मकालीन मूंग का प्रचलित बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चला गया है। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री श्री गोयल से अनुरोध किया कि उत्पादन में वृद्धि और किसानों के हित देखते हुए विपणन वर्ष 2022-23 में प्राइस स्टेबिलिटी फण्ड से मूंग के कुल उत्पादन 16 लाख मीट्रिक टन की 25 प्रतिशत मात्रा 4 लाख मीट्रिक टन के उपार्जन की अनुमति प्रदान की जाय।