जांच एजेंसियों की इकाइयों की कमान आईपीएस अफसरों को मिलने का रास्ता साफ

आईपीएस

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में अब तक जिन जांच एजेंसियों की इकाइयों की कमान राज्य पुलिस सेवा के वरिष्ठ अफसरों के हाथों में हैं, अब उनकी जगह यह कमान आईपीएस अफसरों को थमाने का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए पूर्व में राज्य सरकार द्वारा भेजे गए कैडर रिव्यू के प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा हाल ही में स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इस प्रस्ताव में आईपीएस अफसरों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 39 पदों की मांग की गई थी। दरअसल अब तक प्रदेश में राज्य  की जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त तथा सायबर सेल में राज्य पुलिस के अफसरों को पदस्थ किया जाता रहा है। गृह मंत्रालय से प्रस्ताव को स्वीकृति देकर उसे केन्द्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय को भेज दिया गया है। माना जा रहा है कि वहां से भी इस प्रस्ताव को जल्द ही स्वीकृति मिल सकती है। सूत्रों के मुताबिक राज्य शासन ने कैडर रिव्यू में राज्य साइबर सेल ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त संगठन की इकाइयों के लिए सभी एसपी कैडर की पोस्ट मांगी थी। इन नए पदों के मिलने के बाद प्रदेश में आईपीएस अफसरों के कुल पदों की संख्या 200 हो जाएगी। फिलहाल प्रदेश में कैडर पोस्ट 166 हैं। इनमें से पांच पोस्ट को भेजे गए प्रस्ताव में सरेंडर भी किया गया है। जिन पदों को सरेंडर किया गया है उनमें स्पेशल डीजी पुलिस ट्रेनिंग मुख्यालय, आईजी होमगार्ड जबलपुर, आईजी पीटीआरआई जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी सागर और आईजी पीटीसी इंदौर शामिल है। उल्लेखनीय है कि 2003 से पहले ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त में आईपीएस अफसरों को ही पदस्थ किया जाता था। इसके बाद व्यवस्था बदल कर राज्य पुलिस सेवा के प्रमोटी अफसरों को भी तीनों जांच एजेंसियों में एसपी बनाकर संभागीय इकाइयों में पदस्थ किया जाने लगा।
कैडर रिव्यू प्रस्ताव में यह पद मांगे
कैडर रिव्यू में स्पेशल डीजी के पुलिस फायर सर्विस व पुलिस अकादमी आईपीटी भौंरी के लिए पद मांगे गए हैं। इनके अलावा एडीजी के 8 पद मांगे हैं। इन में स्टेट साइबर क्राइम मुख्यालय भोपाल आरएपीटीसी इंदौर , जेएनपीए सागर, पीटीआरआई भोपाल , एंटी नक्सल ऑपरेशन , नारकोटिक्स शाखा एसटीएफ और ट्रेनिंग मुख्यालय भोपाल शामिल है। इसके अलावा स्टेट डिजास्टर, इमरजेंसी रिस्पांस फोर्स एसडीआरएफ के लिए आईजी का एक पद मांगा है। इनके अलावा डीआईजी के 8 पद मांगे हैं। इन में ऐसे पुलिस मुख्यालय प्रोविजनिंग , पीएचक्यू विशेष महिला प्रकोष्ठ, पुलिस चयन एवं भर्ती शाखा , मुख्यालय कार्मिक पीएचक्यू प्लानिंग और एंटी नक्सल ऑपरेशन शामिल है।
एसपी के 20 पद मांगे
प्रस्ताव में पुलिस अधीक्षकों के 20 पद मांगे गए हैं। इनमें नव गठित जिला निवाड़ी, कमांडेंट 36वीं बटालियन एसएएफ मंडला, एसपी हेडवार्टर भोपाल व इंदौर, सायबर क्राइम सेल में तीन एसपी, एसटीएफ में दो एसपी, लोकायुक्त में एसपी के चार पद (भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर), ईओडब्ल्यू में एसपी के चार पद (भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर) और पीटीएस उज्जैन में एसपी का एक पद शामिल है।
कैडर में आएगा सुधार
आईपीएस के बड़े बैच आने से एडीजी और डीजी रैंक में पदों पर अफसरों की भरमार हो चुकी है। अगले पांच साल में डीजी रैंक के रिटायर होने वाले अफसरों की वजह से फिर से कैडर में सुधार हो सकेगा। इस दौरान पदोन्नति से आईजी और डीआईजी के पदों पर अफसरों की कमी भी दूर हो जाएगी। वर्तमान में आईपीएस 1988 से लेकर 1994 बैच के एडीजी रैंक के आईपीएस अफसरों की संख्या 50 से अधिक है। इनमें दस अधिकारी केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर है। 1986 से लेकर 1997 तक आईपीएस के बैच में आठ से दस-दस अधिकारी मिले थे। नियमानुसार 25 साल का कार्यकाल पूरा करने पर उन्हें एडीजी के पद पर पदोन्नत किया जाता है। प्रदेश में आला अफसरों की हालत यह है कि उनकी भरमार के चलते कई अफसरों को नॉन कैडर पदों पर पदस्थापना करनी पड़ रही है।  

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