40 फीसदी सिलेबस 60 दिन में पूरा कराने का दावा

 सरकारी कॉलेज

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम।  प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में यूजी के छात्रों का 40 प्रतिशत सिलेबस अधूरा है। जबकि इनकी परीक्षाएं दो महीने में होनी हैं। हालांकि कॉलेज इतने कम समय में सिलेबस पूरा कराने का दावा कर रहे हैं। इसके लिए एक्स्ट्रा क्लास लगाने की प्लानिंग की गई है। सिलेबस अधूरा होने का एक कारण अतिथि शिक्षकों की भर्ती में देरी होना भी है। सरकारी कॉलेजों में अतिथि विद्वानों के चयन में इस बार दो से ढाई माह की देरी हुई है। इसके चलते सरकारी कॉलेजों के छात्रों का सिलेबस अधूरा रह गया। छोटे कस्बों के सरकारी कॉलेज तो अतिथि विद्वानों के भरोसे ही संचालित होते हैं। ऐसे कस्बों के कॉलेजों के छात्रों का सिलेबस आधा भी नहीं हो सका है। प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति अब तक पटरी पर नहीं आ सकी है। ज्यादातर सरकारी कॉलेजों में अब तक केवल 50-60 फीसदी कोर्स ही पूरा हो पाया है। करीब 40 फीसदी कोर्स अब भी अधूरा है। अगर इसी गति से अध्यापन कार्य होता रहा तो मार्च तक भी कोर्स पूरा नहीं हो पाएगा। कॉलेजों में पढ़ाई पिछडऩे की मुख्य वजह समय से अतिथि विद्वानों की भर्ती नहीं हो पाना है। जानकारी के अनुसार प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में आधे से ज्यादा कोर्स पूरा नहीं हो सका है। अब इन्हें पूरा करने के लिए रिमेडियल क्लासेस और एक्स्ट्रा पीरियड का सहारा लिया जाएगा। विभाग के अधिकारियों का दावा है कि कोर्स पूरा करवाया जाएगा। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) के तहत छात्रों को प्रोजेक्ट वर्क, इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप आदि में से एक को करना है। अभी तक कई कॉलेजों में इस पर काम ही शुरू नहीं हुआ है। इस वजह से छात्रों को अपनी पसंद से प्रोजेक्ट बनाने या इंटर्नशिप करने में भी समय लगेगा और वे नियमित क्लास अटेंड नहीं कर पाएंगे।
अतिथि विद्वानों के भरोसे पढ़ाई…
कॉलेजों में पढ़ाई पिछडऩे के कई कारण है। बड़े शहरों के कॉलेजों में तो प्रोफेसर्स की उपलब्धता है, लेकिन आसपास और दूरस्थ अंचलों के कॉलेजों में अतिथि विद्वान पढ़ाई करवा रहे हैं। अतिथि विद्वान महासंघ के डॉ. आशीष पांडेय ने बताया कि उनके यहां अब तक करीब 60 फीसदी कोर्स ही पूरा हुआ है। डॉ. पांडेय ने बताया कि इस समय कॉलेजों में रूसा, वैल्यूएशन सहित नैक के मूल्यांकन की वजह से भी व्यवस्थाओं में जुटे रहे। भोपाल के एक अन्य शिक्षक ने बताया कि उनके यहां भी 55-60 फीसदी के आसपास कोर्स हो पाया है। बीच-बीच में प्रोफेसर्स की भी अलग-अलग कामों में ड्यूटी लगाई गई। छात्रों को भी विभिन्न समारोह में एंगेज किया गया। हमीदिया, एमवीएम, नवीन सहित अन्य कॉलेजों में भी यही स्थिति है। देर तक एडमिशन चलने की वजह से भी यह स्थिति में बनी। सभी जगह लगभग आधा कोर्स ही हो पाया है। अब खेलो इंडिया में भी छात्रों को ले जाना होगा। प्रोफेसर्स के मुताबिक योग, हार्टिकल्चर सहित अन्य वोकेशनल कोर्सेस में सबसे ज्यादा दिक्कत है। इनकी पर्याप्त फैकल्टी नहीं हंै। मेजर माइनर सब्जेक्ट्स को लेकर भी छात्रों में समस्या बनी हुई है।

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