
- मध्यप्रदेश के स्कूलों में पढ़ाया जाएगा जंगलों का पाठ
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के स्कूली बच्चों को जंगल, वनस्पति और वाइल्ड लाइफ से रूबरू कराने के लिए उनके सिलेबस में जंगलों, नेशनल पार्कों और वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को शामिल किया जाएगा। ताकि, वे करीब से प्रकृति को जान सकें और वन्य जनजीवन से वे जुड़ सकें। उनको बताया जाएगा कि पर्यावरण के संतुलन के लिए पेड़ लगाना आवश्यक है। साथ ही, जंगलों की अवैध कटाई को रोकना भी जरूरी है। क्योंकि जंगल रहेंगे तभी हमारा जीवन सही तरीके से चल पाएगा।
वन विभाग की इस योजना की जानकारी देते हुए वन मंत्री विजय शाह ने कहा कि हर सरकारी और प्राइवेट स्कूल का बच्चा वन्य प्राणी, पर्यावरण, पौधे और ऑक्सीजन के महत्व को समझ सके, इनका जनजीवन में क्या उपयोग है, ये जाने। इसके लिए मप्र में जितने भी पार्क और फोरेस्ट एरिया हैं, उनको स्कूल शिक्षा में पढ़ाना अनिवार्य किया जाएगा। बच्चों को साल में एक बार जंगलों की सैर भी कराई जाएगी, ताकि बच्चे जंगल और जानवर देख सकें। वे समझ सकें कि हमें आॅक्सीजन कैसे मिलती है। हमें पेड़ क्यों बचाने चाहिए। ये प्रैक्टिकल साल में हर स्कूल का बच्चा करके देखे, जिससे उनमें पर्यावरण के प्रति लगाव उत्पन्न हो। वह ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने के साथ-साथ उनकी रक्षा कर सके।
पूरा जल चक्र नियंत्रित करते हैं पेड़
गौरतलब है कि वन विभाग की इस पहल का बच्चों के पैरेंट्स भी स्वागत कर रहे हैं। एक स्टूडेंट के पिता एमके जैन का कहना है कि अकेला एक पेड़ कई जीवों को पनाह देता है। उन्हें जीने के संसाधन मुहैया कराता है। सबसे बड़ा काम आॅक्सीजन देने का करता है। पेड़ जल चक्र को नियंत्रित करने के अलावा सूर्य की गर्मी को सोखकर तापमान को नियंत्रित करते हैं। बारिश कराने में भी पेड़ों का अहम योगदान होता है। इसलिए बच्चों को जब शुरू से पेड़ों और जंगलों के महत्व के बारे में बताया जाएगा और जब वे खुद जंगल देखेंगे, तो प्रेरित होंगे। उन्हें भी पेड़ लगाने और बचाने की सीख मिलेगी। इसका फायदा पूरी मानव जाति को होगा।
छोटी कक्षा से प्रेरणा मिलना जरूरी
वहीं, छात्र भी इसे अच्छी पहल बता रहे हैं। स्टूडेंट लोकेंद्र गुर्जर ने कहा कि धीरे-धीरे जंगल समाप्त होते जा रहे हैं। इससे कार्बन डाइआॅक्साइड का उत्सर्जन तेजी से बढ़ता जा रहा है। अभी कोरोना काल में आॅक्सीजन के महत्व को लोगों ने समझा है। लेकिन, जब छोटी कक्षा से पेड़ लगाने और पर्यावरण बचाने का पाठ बच्चों को पढ़ाया जाएगा तो वे भी जागरूक होंगे। उन्हें जंगलों की सैर कर बताया जाएगा कि पेड़ शुद्ध हवा ही नहीं बल्कि खाना और दवाइयां भी देते हैं। इससे प्रेरित होकर वे न केवल पेड़ लगाएंगे, बल्कि पेड़ों को कटने से भी बचाएंगे।