
मानव अधिकार आयोग ने सीएस व पीएस से मांगा जवाब
भोपाल/रवि खरे/ बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए एक तरफ सरकार सर्व सुविधायुक्त सीएम राइज स्कूल खोल रही है, तो वहीं दूसरी तरफ कई जगह जीर्णशीर्ण सरकारी भवनों में नौनिहाल पढ़ने को मजबूर बने हुए हैं। ऐसे में मप्र मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन ने इसे मानव अधिकार हनन से जुड़ा मामला मानते हुए स्वयं संज्ञान लेकर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव शिक्षा विभाग से तीन सप्ताह में जबाव मांगा है कि स्कूलों की इतनी दुर्दशा
क्यों है? दरअसल राजगढ़ जिले के ब्यावरा नगर के मुख्य बाजार मेन मार्केट भरथरे चौक में स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय क्रमांक एक स्कूल की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। स्कूल का भवन पूरी तरह से जीर्ण-शीर्ण होने से कभी भी जमींदोज होने की कगार पर जा पहुंचा है। स्कूल की जर्जर स्थिति को देखते हुए शिक्षा मिशन के माध्यम से समीप ही दो अतिरिक्त कक्ष तैयार कर अब उनमें बच्चों को बिठाया जा रहा है, किंतु अव्यवस्थाएं और जर्जर भवन के गिरने का खतरा दूर नहीं होने से बच्चों के पालकों ने इस स्कूल में प्रवेश दिलाना बंद कर दिया है। पूर्व में काफी समय तक जर्जर भवन में ही कक्षाएं संचालित होती रहीं। अतिरिक्त कक्ष बनने के बाद वहां कक्षा लगाने लगे। स्कूल प्रबंधन द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से जर्जर बिल्डिंग में बच्चों की आवाजाही को पूरी तरह से रोक दिया गया है। स्कूल का मेन गेट, जो मेन मार्केट की ओर खुलता है, उसपर ताला लगाकर बंद कर दिया गया है। अब स्कूल में प्रवेश बालाजी मंदिर के सामने से ही कर दिया गया है। इस प्राथमिक शाला में कक्षा एक से पांचवी तक की कक्षाएं संचालित की जाती हैं। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मुख्य सचिव, मप्र शासन प्रमुख सचिव, मप्र शासन, स्कूल शिक्षा विभाग, कलेक्टर राजगढ़ एवं जिला शिक्षा अधिकारी, राजगढ़ से तीन सप्ताह में जवाब मांगकर पूछा है कि इस स्कूल की इतनी दुर्दशा क्यों हुई?
18 हजार से अधिक स्कूल क्षतिग्रस्त
विभाग ने हाल ही में एक सर्वे कराया है। जिसमें सामने आया कि प्राथमिक स्कूलों के भवन अधिक जर्जर हालत में पाए गए हैं। जिनमें प्रत्येक स्कूल के लिए तीन से दस लाख तक के लिए बजट जारी किये जाने का प्रस्ताव तैयार किया है। विभाग ने सर्वे में पाया कि अधिक वर्षा के कारण कई सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हालत में पहुंच गए है। जिनकी मरम्मत की आवश्यकता है। प्रदेश के 99 हजार 987 स्कूल में 21 हजार स्कूल कम क्षतिग्रस्त तो 18 हजार अधिक क्षतिग्रस्त पाए गए हैं। वहीं करीब दो हजार स्कूलों में विद्यार्थियों के बैठने के लिए कक्ष ही नहीं हैं, तो पेयजल की भी व्यस्था नहीं है। साथ ही 1200 स्कूल शौचालय विहीन हैं और सात हजार में बदहाल शौचालय है। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग प्रदेश के सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति को सुधारने के लिए सर्वे करवा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग एक तरफ महंगे होटलों में बैठक कर बजट को ठिकाने में लगा रहता है, तो दूसरी तरफ राजधानी में ही करीब तीस स्कूलों के भवन पुराने और -जर्जर हो चुके है। यह भवन अब गिरे तब गिरे की स्थितियों में पहुंच चुके हैं। कई स्कूलों की स्थिति काफी दयनीय और डरावनी हो चुकी है जिसमें अभी भी नौनिहाल शिक्षा ग्रहण कर रहे है और बारिश के इस मौसम में जर्जर भवनों के ढहने से कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। इस मामले में प्रशासन के द्वारा न तो कोई ठोस निर्देश दिए गए हैं और न ही अन्यत्र शालाएं लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं, जिससे बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके।