दम तोड़ते रहे बच्चे, शासन-प्रशासन को सुध नहीं

शासन-प्रशासन
  • एक महीने बाद जागे उप मुख्यमंत्री और विभाग

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से अब तक 25 बच्चों की मौत हो गई है। वहीं कई बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं। यह स्थिति शासन-प्रशासन की निष्क्रियता के कारण बनी है। छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से हुई बच्चों की मौतों को टाला जा सकता था, यदि जिला प्रशासन नागपुर से मिले अलर्ट को सीरियसली लेता और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल पहले ही सक्रियता दिखा देते।
दरअसल, नागपुर के कलर्स अस्पताल के संचालक डॉ. राजेश अग्रवाल ने 16 सितंबर को ही परासिया के स्थानीय पार्षद अनुज पाटकर को बताया था कि अलर्ट हो जाइए, बच्चों की किडनी फेल हो रही है। ये किसी दवा का साइड इफेक्ट हो सकता है। इस अलर्ट के बाद स्थानीय पार्षद ने कलेक्टर और एसडीएम को इसके बारे में बताया। इसके बाद भी जिला प्रशासन ने जागने में 15 दिन की देरी कर दी और 30 सितंबर को जानलेवा कफ सिरप कोल्ड्रिफ पर बैन लगाया। 15 सितंबर से लेकर आज तक 25 बच्चों की मौत हो चुकी है, जो टाली जा सकती थी।
एक माह बाद सक्रिय हुए डिप्टी सीएम
अब कोल्ड्रिफ कफ सीरप के सेवन से बच्चों की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग देख रहे उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल की अनदेखी पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल, बच्चों की किडनी की बायोप्सी में जहरीला केमिकल डायथिलीन ग्लायकाल (डीईजी) पाए जाने के बाद नौ सैंपलों (कोल्ड्रिफ के अतिरिक्त) की मानक रिपोर्ट के आधार पर राजेंद्र शुक्ल ने जहरीले केमिकल से मौत की बात नकार दी थी। अगले दिन ही तमिलनाडु औषधि प्रशासन विभाम की आई रिपोर्ट में कोल्ड्रिफ कफ सीरप में डीईजी 48.6 प्रतिशत मिला, जिससे बच्चों की मौत हुई। उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल गृह जिले रीवा और राजधानी से करीब पांच घंटे का रास्ता होने के बाद भी एक माह तक पीडि़त या मृत बच्चों के स्वजन से मिलने छिंदवाड़ा या नागपुर नहीं पहुंचे। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव का दौरा होने के दो दिन बाद राजेंद्र शुक्ल ने मंगलवार नागपुर और बुधवार को छिंदवाड़ा का दौरा किया। यही नहीं, स्वास्थ्य विभाग में चल रही लापरवाही को नजरअंदाज करते रहे। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई भी मुख्यमंत्री के निर्देश पर पहले बच्चे की मौत के एक माह बाद हुई। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव जिस दिन छिंदवाड़ा पहुंचे उसी दिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी पहुंचे। इस पर कांग्रेस ने भी सीरप अमानक मिलने के बयान और मामले में गंभीरता नहीं दिखाने पर राजेंद्र शुक्ल को घेरा। हालांकि, शुक्ल मीडिया से कई बार यह कह चुके हैं कि उन्होंने कभी क्लीन चिट नहीं दी। यह कहा था कि रिपोर्ट आने पर स्थिति स्पष्ट होगी।
…तो नहीं होती इतनी मौतें
अगर शासन-प्रशासन ने समय पर सक्रियता दिखाती तो इतनी बच्चों की मौत नहीं होती। दरअसल, कई स्तरों पर चूक हुई है। नागपुर के कलर्स अस्पताल में बच्चों का उपचार कर रहे डा. राजेश अग्रवाल ने 16 सितंबर को ही बता दिया था कि किसी दवा के साइड इफेक्ट से बच्चों की किडनी फेल हो रही है। कलेक्टर तक भी यह बात पहुंची, लेकिन उन्होंने कफ सीरप पर प्रतिबंध 29 सितंबर को लगाया। चार सितंबर से एक के बाद एक लगातार मौतें होने के बाद भी सीएमएचओ ने गंभीरता नहीं दिखाई। यह माना जाता रहा कि किसी वायरल इंफेक्शन से किडनी खराब हो रही है। वहीं किडनी की बायोप्सी में जहरीला केमिकल मिलने की पुष्टि के बाद भी दवा पर रोक लगाने की जगह सिर्फ छिंदवाड़ा में प्रतिबंध लगाया गया। हद तो यह कि संदेह होने पर ड्रग इंस्पेक्टर ने बच्चों द्वारा उपयोग किए गए सीरप के सैंपल लेकर जांच नहीं कराई, जबकि 24 घंटे में पता चल सकता था सीरप में जहरीला केमिकल, मिला है। 26 अगस्त से बच्चे बीमार हो रहे थे, पर राज्य औषधि प्रशासन ने जांच तीन अक्टूबर को की। वहीं छिंदवाड़ा और जबलपुर से सैंपल 29 सितंबर को स्पीड पोस्ट से भोपाल भेजे गए, जिसमें तीन दिन लगे, जबकि उसी दिन पहुंचाए जा सकते थे।
मंत्री ने तमिलनाडु सरकार को बता दिया दोषी
मप्र के स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने तमिलनाडु सरकार और वहां के अधिकारियों पर इस पूरे मामले का ठीकरा फोड़ दिया है। उन्होंने कहा- सीएम डॉ. मोहन यादव खुद पूरी संवेदनशीलता और तत्परता के साथ मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। पीडि़त बच्चों का इलाज चल रहा है। हमारी सरकार इनके इलाज का खर्च उठाएगी। मंत्री पटेल ने कहा कि इस पूरे मामले के लिए तमिलनाडु सरकार की व्यवस्था दोषी है। फैक्ट्री में दवा बनाने का लाइसेंस राज्य सरकार देती है। जब दवा फैक्ट्री से आती है तो उसकी जांच का जिम्मा भी राज्य के अधिकारियों का ही होता है। हर बैच का लैबोरेटरी में जांच होना जरूरी है। ऐसे में तमिलनाडु सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों को ठीक तरह से नहीं निभाया है।
कोल्ड्रिफ बनाने वाली कंपनी का डायरेक्टर गिरफ्तार
उधर, कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मा के डायरेक्टर गोविंदन रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया गया है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई एसआईटी की टीम ने 8 अक्टूबर की रात चेन्नई में दबिश देकर रंगनाथन को पकड़ा। एसआईटी ने कंपनी से महत्वपूर्ण दस्तावेज, दवाओं के नमूने और प्रोडक्शन रिकॉर्ड भी जब्त किए हैं। रंगनाथन पर 20 हजार रुपए का इनाम था। वह अपनी पत्नी के साथ फरार चल रहा था। चेन्नई में रंगनाथन का चेन्नई-बेंगलुरु राजमार्ग पर स्थित 2,000 वर्ग फुट का अपार्टमेंट सील कर दिया गया था, जबकि कोडम्बक्कम स्थित उनका रजिस्टर्ड ऑफिस बंद मिला था।

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