जनहित के प्रति गंभीर नहीं अफसरशाही

अफसरशाही
  • मुख्यमंत्री सचिवालय ने विभागों से मांगी घोषणाओं की रिपोर्ट

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ी भाजपा सरकार की घोषणाओं को पूरा करने में अफसरशाही गंभीरता नहीं दिखा रही है। इसको लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय ने विभागों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा पिछले 3 साल में की गई घोषणाओं के क्रियान्वयन की रिपोर्ट मांगी है। दरअसल, सरकार की कोशिश है की चौथी पारी में मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं का 100 फीसदी क्रियान्वयन हो जाए। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 1188 घोषणाएं अभी पूरी नहीं हुई हैं। विभागों ने इन पर कोई ठोस काम भी प्रारंभ नहीं किया। इनमें नगरीय विकास एवं आवास विभाग से जुड़ी सर्वाधिक 215 घोषणाएं हैं। इन लंबित घोषणाओं की समीक्षा कर विभागों को 30 अप्रैल तक कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री द्वारा समय-समय पर जनहित में घोषणाएं की जाती हैं। कलेक्टर के माध्यम से इनकी जानकारी संबंधित विभागों को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए भेजी जाती है। मुख्यमंत्री कार्यालय और सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा इनकी समीक्षा भी होती है। इसमें यह बात सामने आई है कि 2383 घोषणाओं में से 48 प्रतिशत का ही निराकरण हुआ है। यानी 1188 घोषणाओं के क्रियान्वयन की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया। इसे देखते हुए सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों को निर्देश दिए गए हैं कि वे लंबित घोषणाओं की स्वयं समीक्षा करें। ऐसी योजनाएं, जिनके लिए में बजट की कोई कमी नहीं है, उन्हें चिन्हित कर व्यक्तिगत रुचि लेकर क्रियान्वयन सुनिश्चित कराएं। जो घोषणा बजट की कमी या एक से अधिक विभागों से जुड़ी होने के कारण लंबित है, उनके संबंध में वित्त और संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करके समाधान निकाला जाए। यदि किसी विभाग को ऐसा लगता है कि घोषणा उनसे संबंधित नहीं है तो दूसरे विभाग को अंतरित करने का अनुरोध किया जाए।
नगरीय प्रशासन में सबसे अधिक लंबित
चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से 3 वर्षों के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने जो घोषणाएं की है उनमें सूचीबद्ध 2383 घोषणाओं में से जो 1188 घोषणाएं अभी तक अधर में हैं उनमें से सबसे अधिक घोषणाएं नगरीय विकास एवं आवास विभाग में लंबित हैं। इस विभाग में 215 घोषणाएं लंबित हैं। वहीं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में 127, लोक निर्माण विभाग में 108, स्कूल शिक्षा विभाग में 79, राजस्व विभाग में 60, संस्कृति विभाग में 41, जनजातीय कार्य विभाग में 41, उच्च शिक्षा विभाग में 40, सामान्य प्रशासन विभाग में 39, खेल एवं युवा कल्याण विभाग में 34, गृह विभाग में 34, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग में 28, जल संसाधन विभाग में 27, पर्यटन विभाग में 23, उद्योग विभाग में 22, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग में 20, नर्मदा घाटी विकास में 18, किसान कल्याण एवं कृषि  में 18, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास में 17, चिकित्सा शिक्षा में 16, ऊर्जा में 16, सहकारिता में 15, महिला एवं बाल विकास में 14, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी में 12, अनुसूचित जनजाति कल्याण में 10, वन 10, खाद्य नागरिक आपूर्ति पशुपालन एवं डेयरी में 9, लोक सेवा प्रबंधन में 9, आयुष में 5, वाणिज्यिक कर में 5, वित्त में 4, विमुक्त घुमक्कड़ जनजाति कल्याण में  4, खनिज में 2 घोषणाएं लंबित हैं।  
30 अप्रैल तक देनी होगी रिपोर्ट
चुनावी साल में सरकार की कोशिश है की मुख्यमंत्री द्वारा की गई हर घोषणा को पूरा किया जाए। मुख्यमंत्री की तीन साल में की गई 2383 घोषणाओं में से 1188 घोषणाएं अधूरी हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नाराजगी के बाद अब विभागीय समीक्षा का दौर शुरू हो चुका है। इसी परिप्रेक्ष्य में केवल नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्री भूपेंद्र सिंह ने ही मुख्यमंत्री की घोषणाओं को लेकर समीक्षा बैठक की है। शेष विभाग अब भी कोई गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। बता दें कि हाल ही में मुख्यमंत्री ने तीन दिन लगातार विभागवार घोषणाओं की समीक्षा की और 30 अप्रैल तक इस पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। सर्वाधिक लंबित घोषणाएं नगरीय विकास एवं आवास विभाग, पंचायत विभाग, पीडब्ल्यूडी और स्कूल शिक्षा की हैं। मुख्यमंत्री की अधिकांश घोषणाओं को पूरा करने में बजट का अभाव है। अब मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा है कि विभाग ऐसी घोषणाओं को पूरा करने में वित्त विभाग से बात कर बजट को लेकर आ रही कठिनाइयां दूर करें और लंबित घोषणाओं को चिह्नित कर क्रियान्वयन सुनिश्चित करें। इसी तरह दो विभागों के फेर में उलझी घोषणाओं को लेकर विभागों को यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि अगर ऐसी कोई घोषणा है जो विभाग से संबंधित नहीं है उन घोषणाओं का परीक्षण अन्य विभाग को अंतरित किया जाएगा।

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