
- सख्त अफसरों में भी होती है गिनती
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना के नाम पर नए पुलिस महानिदेशक की मुहर लगाकर यह संकेत पूरी तरह से दे दिए हैं कि प्रदेश की कानून व्यवस्था में बड़ा बदलाव होने वाला है। मकवाना की छवि ईमानदार और सख्त अधिकारी की है। माना जा रहा है कि मकवाना के आने से पुलिस महकमे में अमूलचूल परिवर्तन देखने को मिलेगा। करीब छह माह पहले मकवाना की सीआर में संशोधन का अभ्यावेदन जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास पहुंचा था, तभी मुख्यमंत्री को मकवाना की ईमानदार छवि पसंद आ गई थी। यही वजह थी कि फरवरी महीने में भी मकवाना का नाम पुलिस महानिदेशक के लिए चला था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार रात विदेश यात्रा पर रवाना होने से पहले संघ लोक सेवा आयोग द्वारा नए पुलिस महानिदेशक के लिए भेजे गए अरविंद कुमार, कैलाश मकवाना और अजय शर्मा के पैनल में से मकवाना के नाम पर मुहर लगा दी। इसके बाद आधी रात को गृह विभाग ने आदेश जारी किए। प्रदेश के मौजूदा पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना 30 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मकवाना 1 दिसंबर को पदभार संभालेंगे। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के परिपालन में गृह विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार मकवाना नवंबर 2026 तक राज्य के 32वें पुलिस महानिदेशक रहेंगे।
पिछली सरकारों ने 3 साल में किए 7 तबादले
कैलाश मकवाना को अपनी ईमानदारी की वजह से सेवाकाल में काफी संघर्ष भी करना पड़ा। ईमानदार कार्यप्रणाली की वजह से कमलनाथ और शिवराज सरकार ने 3 साल के भीतर ही मकवाना के 7 तबादला आदेश जारी किए थे। शिवराज सरकार ने मई 2022 में लोकायुक्त महानिदेशक पदस्थ किया था, तब मकवाना ने 6 महीने के भीतर ही भ्रष्टों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई कर दी थी। लोकायुक्त से तकरार की खबरें भी बाहर आई थी। हालांकि शिवराज सरकार ने 6 महीने के भीतर ही दिसंबर 2022 में मकवाना को वापस पुलिस गृह निर्माण मंडल भेज दिया। तब से वे वहीं पदस्थ हैं। इससे पहले नाथ सरकार ने 15 महीने में 3 तबादले किए थे।
रिश्वत को लेकर लिखा था, बुरे काम का बुरा नतीजा
मकवाना भ्रष्टाचार को लेकर सख्त हैं। रिश्वत को लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। जो काफी चर्चा में रहा। उन्होंने लिखा रिश्वत अकेली नहीं आती, देने वाले की बद्दुआ, मजबूरियां, दु:ख, वेदना, क्रोध, तनाव, चिंता भी नोटों में लिपटी रहती हैं। मकवाना लोकायुक्त में डीजी बनने के बाद बेहद चर्चा में रह चुके हैं। उनके द्वारा उस दौरान तमाम जांचों में तेजी लाई गई थी और कई धूल खा रहीं फाइलों को फिर से खोला गया था। इस दौरान लोकायुक्त के साथ पटरी नहीं बैठने और खराब सीआर को लेकर वे बेहद चर्चा में रहे थे। यह बात अलग है कि वे लोकायुक्त में महज छह माह ही रहे हैं। प्रदेश के नए डीजीपी नियुक्त हुए 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी कैलाश मकवाना को बधाई देने प्रदेश पुलिस के मौजूदा मुखिया सुधीर सक्सेना रविवार को उनके आवास पर पहुंचे। इस दौरान श्री सक्सेना ने गुलदस्ता भेंटकर उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दीं।