मनमाने तरीके से चीतों को कई बार किया ट्रेंकुलाइज

चीतों
  • कूनों: वन्य जीव अधिनियम 1972 के नियमों की उड़ाई धज्जियां

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के वन अफसरों की मनमानी अक्सर चर्चा में रहती है। ऐसी ही एक और मनमानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट चीता में भी सामने आयी है। प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में चीतों की बसाने के बेहद महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में वन अफसरों ने मनमानी करते हुए चीतों की जिदंगी से भी खिलवाड़ करने में कोई कमी नहीं रहने दी। दरअसल, बगैर अनुमति लिए ही मनमाने तरीकों से उन्हें ट्रेंकुलाइज किया जाता रहा है। हालत यह है कि 110 बार ट्रेंकुलाइज करने की बात तो सामने आ ही चुकी है। इसके लिए खुलकर वन्य जीव अधिनियम 1972 के नियमों का उल्लंघन किया गया है। इसके बाद भी सरकार से लेकर विभाग ने संबधित जिम्मेदारों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। अब इस मामले की शिकायत केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) से लिखित रुप में की गई है। इसके साथ ही पूरे मामले की जांच एसआईटी (विशेष जांच टीम) से कराने की मांग की गई है।  शिकायत में कहा गया है कि कूनो नेशनल पार्क में चीतों को बिना आवश्यक अनुमति के 110 बार ट्रेंकुलाइज किया गया। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 11 के अनुसार, शेड्यूल 1 में आने वाले चीते को ट्रेंकुलाइज करने के लिए मुख्य वन्य जीव वार्डन (सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू) की अनुमति अनिवार्य होती है। यह नियम कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों ने तोड़ा है, खासकर डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) और परियोजना के संचालक द्वारा इस मामले में अहम भूमिका है।
मॉनिटरिंग पर उठे सवाल
चीतों के शावकों में टिक्स (परजीवी) पाए जाने की सूचना से उनकी मॉनिटरिंग पर भी सवाल खड़े हुए हैं। इसके अलावा, चीतों के सैंपल अनावश्यक रूप से लिए गए, जिनकी रिपोर्ट न तो एनटीसीए को भेजी गई और न ही मुख्य वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को। इन सभी घटनाओं ने कूनो नेशनल पार्क की प्रबंधन व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से शिकायत
वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने इस मामले में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और एनटीसीए को शिकायत की है। उन्होंने डीएफओ उत्तम शर्मा और कूनो नेशनल पार्क के संचालक को तत्काल हटाने और एसआईटी द्वारा मामले की जांच करने की मांग की है। चीता प्रोजेक्ट को लेकर हो रही इन अनियमितताओं से देश की वन्य जीव संरक्षण परियोजनाओं की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है। इस मामले में समय पर कार्रवाई और उचित जांच आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसी गंभीर लापरवाही न हो सके।
पवन नामक चीते की मौत में लापरवाही
पवन नामक चीता मृत हालत में मिला था। उसकी मॉनिटरिंग में भी गंभीर लापरवाही के आरोप लगे हैं। आरोप है कि पवन को अनावश्यक रूप से ट्रेंकुलाइज किया गया, जो उसकी मौत का कारण बना। इससे अन्य मृत चीतों की मॉनीटरिंग पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। यही नहीं एनटीसीए द्वारा निर्धारित एसओपी के तहत मृत चीतों के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी अनिवार्य होती है, लेकिन आरोप है कि कूनो में इस प्रोटोकॉल का पालन तक नहीं किया गया। पोस्टमार्टम की प्रक्रिया में लापरवाही बरती गई, जिससे इनकी मौत की सही जानकारी नहीं मिल पाई।

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