- पावर एक्सचेंज और द्विपक्षीय समझौते का असर
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में पर्याप्त बिजली उपलब्ध है, फिर भी यहां के उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिल रही है। वहीं कई राज्य ऐसे हैं, जो मप्र से बिजली खरीदकर भी सस्ती बिजली बेच रहे हैं। प्रदेश के घरेलू बिजली उपभोक्ताओं से दूसरे राज्यों से ज्यादा टैरिफ वसूला जा रहा है। हर साल घाटे के नाम पर टैरिफ में इजाफा भी किया जाता है। इससे प्रदेश में बिजली लगातार महंगी होती जा रही है। प्रदेश के घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को न्यूनतम औसत आपूर्ति दर लगभग 7 रुपए प्रति यूनिट है। अगर सरकार सब्सिडी न दे तो प्रदेश के बिजली उपभोक्ता बिजली का बिल ही नहीं भर पाएंगे। यही हाल प्रदेश के उद्योगों का है।
गौरतलब है कि प्रदेश में बिजली का उत्पादन डिमांड से ज्यादा है। गर्मी के सीजन में प्रदेश में बिजली की डिमांड 14 हजार से 15 हजार मेगावॉट तक रहती है। सिंचाई के समय में बिजली की डिमांड 17 हजार मेगावॉट तक होती है। प्रदेश में बिजली उत्पादन क्षमता 22 हजार मेगावॉट से ज्यादा है। इसके बाद भी बिजली कंपनी कई बार बिजली की आपूर्ति नहीं कर पाती है। इस समय प्रदेश में बिजली की डिमांड 7 हजार से 8 हजार मेगावॉट के बीच है। प्रदेश में बिजली उत्पादन क्षमता 22730 मेगावाट है। प्रदेश में मप्र जनरेटिंक कंपनी के ताप विद्युत ग्रह से 5400 मेगावाट, मप्र जनरेटिंक कंपनी के जल विद्युत ग्रह से 921.58 मेगावाट, संयुक्त क्षेत्र के जल विद्युत गृह और अन्य से 2484.13 मेगावाट, केंद्रीय क्षेत्र के ताप विद्युत गृह 5251.74 मेगावाट, दामोदर घाटी विकास निगम के ताप विद्युत गृह 3401.5 मेगावाट, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत 5171 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है।
प्रदेश के उद्योगों को 9 रुपए यूनिट बिजली
प्रदेश में पावर एक्सचेंज और द्विपक्षीय समझौते के तहत बिजली दूसरे राज्यों को बेची जा रही है। इतना ही नहीं यह बिजली दूसरे राज्यों को सस्ती दरों पर दी जा रही है। प्रदेश के उद्योगों को बिजली करीब 9 रुपए यूनिट की दर से बेची जाती है। दूसरे राज्यों को यह बिजली 5 रुपए यूनिट की दर से दी जा रही है। पिछले दो महीने में दूसरे राज्यों को सस्ती दरों पर करीब 400 करोड़ रुपए की बिजली बेची गई। सरकार एक तरफ प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए तमाम रियायतें दे रही है। प्रदेश में उद्योग लगाने वालों को लीज पर जमीन दी जाती है और अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं। इधर, बिजली दूसरे राज्यों से महंगी दी जा रही है। दूसरे राज्य प्रदेश से बिजली लेकर वहां के उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध करा रहे हैं। इधर, बिजली का अधिक उत्पादन होने के बाद भी उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
उपभोक्ताओं को भी महंगी बिजली
डिमांड से ज्यादा बिजली और महंगी दरों पर प्रदेश के उपभोक्ताओं को बिजली दी जा रही है। इसके बाद भी प्रदेश की बिजली कंपनियां हर साल घाटे में रहती है। पिछले साल बिजली कंपनियों ने 2046 करोड़ का घाटा बताया था। इसकी भरपाई के लिए टैरिफ बढ़ाने की मांग की थी। साल 2022-23 में बिजली कंपनियों ने 3916 करोड़ का घाटा बताया था। इस घाटे की पूर्ति के लिए बिजली कंपनियों ने आयोग से 8.71 फीसदी बिजली का टैरिफ बढ़ाने की मांग थी। तब आयोग ने बिजली के टैरिफ में 2.64 फीसदी का इजाफा किया था। साल 2023-24 में बिजली कंपनियों ने 1537 करोड़ का घाटा बताया था। इस घाटे की भरपाई के लिए बिजली कंपनियों ने आयोग से 3.20 फीसदी टैरिफ बढ़ाने की मांग की थी। तब आयोग ने 1.65 फीसदी टैरिफ बढ़ाने की मंजूरी दी थी।