7 नगर निगमों की हार की पड़ताल में जुटा केंद्रीय नेतृत्व

केंद्रीय नेतृत्व
  • हार के कारणों की रिपोर्ट तैयार कर आज-कल में संगठन को सौंपी जाएगी

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव से पहले नगरीय निकाय चुनाव में 7 नगर निगमों में भाजपा के महापौर प्रत्याशी की हार ने केंद्रीय नेतृत्व को भी चिंता में डाल दिया है।  इस हार के लिए कई कारण बताए जा रहे हैं। असली कारणों की पड़ताल के लिए केन्द्रीय नेतृत्व जुट गया है। इसके लिए प्रदेश नेतृत्व ने अपने संगठन की नब्ज टटोलने में माहिर नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। ये पता लगा रहे हंै कि आखिर पार्टी के हाथों से सात नगर निगम क्यों निकल गए। सूत्रों की मानें तो कई निकायों में प्रत्याशी चयन और वरिष्ठों नेताओं की दखलंदाजी हार की वजह बताई जा रही है।  बताया जाता है कि हार की रिपोर्ट लगभग तैयार कर ली गई है और उसे आज-कल में उसे सौंप दिया जाएगा।
गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों, पार्टी के विधायक व सांसदों की बैठक हुई थी, जिसमें तय किया गया था कि राज्य के 16 नगर निगमों से 7 पर भाजपा के मेयर की हार का पता लगाया जाए। इसके बाद प्रदेश नेतृत्व ने ऐसे नेताओं को हार की समीक्षा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी, जो संगठन की नब्ज टटोलने में माहिर है। इनमें से पूर्व संभागीय संगठन मंत्री एवं मप्र हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष आशुतोष तिवारी, पूर्व सांसद आलोक संजर को सिंगरौली की जिम्मेदारी सौपी गई, जबकि रीवा के लिए भाजपा महिला मोर्च की पूर्व अध्यक्ष लता वानखेडे और प्रभात साहू को भेजा गया है। इसी तरह कटनी में अन्य नगर निगमों के लिए दूसरे बड़े नेताओं को दायित्व दिए गए है। सिंगरौली में बताया गया कि पार्टी ने सामान्य सीट पर ओबीसी का प्रत्याशी उतारा था इससे कार्यकर्ता नाराज थे और यही वजह हार का कारण बन गई। रीवा और कटनी में भी कार्यकर्ताओं से चर्चा में सामने आया कि पुराने स्थापित नेताओं की मर्जी से टिकट देने से कार्यकर्ता खुश नहीं थे लिहाजा पूरी ताकत से उन्होंने काम नहीं किया।
भाजपा का प्रशिक्षण वर्ग अब 30 के बाद
पचमढ़ी में 24 अगस्त से शुरू होने वाले भाजपा के प्रशिक्षण वर्ग अब तीस अगस्त के बाद शुरू होगा। इसके लिए स्थान भी बदला जा सकता है। संगठन नेताओं की शनिवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में बैठक होनी है। इसमें प्रशिक्षण वर्ग और प्रदेश कार्यसमिति की तारीखें फिर से तय की जाएगी। इसके बाद केन्द्रीय नेतृत्व से चर्चा कर इन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा। गौरतलब है कि केन्द्रीय संगठन के निर्देश पर भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों, जिला प्रभारियों, जिला अध्यक्षों और मोर्चा प्रकोष्ठ के प्रमुख पदाधिकारियों का प्रशिक्षण वर्ग 24 से 26 अगस्त तक पचमढ़ी में होना था। इसमें मिशन 2023 की तैयारियों को लेकर इन पदाधिकारियों को अपडेट करना मुख्य मकसद था पर राजधानी और आसपास के कई इलाकों में हो रही भारी बारिश के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था। अब इसे तीस अगस्त के बाद या सितम्बर के पहले सप्ताह में आयोजित करने पर विचार किया जा रहा है।
रिपोर्ट पर मंथन के बाद बनेगी रणनीति
जानकारों की माने तो ये सभी नेता जल्द ही भोपाल में प्रदेश नेतृत्व को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे, इसके बाद प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ रिपोर्ट को लेकर मंथन करेंगे और निर्णय लेंगे कि वहां की हार को अगले विधानसभा चुनाव में जीत में कैसे बदला जाए। बताया जाता है की जिम्मेदारी मिलने के बाद नेताओं ने अपने-अपने स्तर पर जांच की तो कई चौकाने वाले मामले सामने आए। कई जिला पदाधिकारियों ने बताया कि उनसे न तो पार्टी ने प्रत्याशी तय करते समय जानकारी ली और न ही उन्हें महत्व दिया गया, तो कुछ नेताओं ने कहा कि केवल वरिष्ठ नेताओं को ही महत्व देते आ रहे है ऐसे में अगर वे जीतते रहे तो सक्रिय नेताओं को चुनाव लड़ने का मौका कैसे मिलेगा। कुछ कार्यकर्ताओं ने ये भी कहा कि प्रत्याशियों का चयन भोपाल से हुआ है जिनके बारे में कार्यकर्ताओं से पूछा हो नहीं गया। सिगरौली में तो साफ कह दिया गया कि अनारक्षित सीट पर ओबीसी का अम्मीदवार मैदान में उतार दिया गया जबकि सामान्य वर्ग को काफी समय बाद वहां से लड़ने का मौका मिला था। लेकिन पार्टी ने उस ओर ध्यान नहीं दिया, जिससे वहां का सामान्य वर्ग का नाराज हो गया परिणाम पार्टी अपना मेयर नहीं जिता पाई।
असंतुष्ट नेताओं को मनाया जाएगा
सूत्रों की मानें तो प्रदेश भाजपा निकाय चुनावों में पार्टी के खिलाफ काम करने या चुनाव लड़ने  वाले ऐसे बागियों पर फिलहाल एक्शन नहीं लेना चाहती है, जो चुनाव जीत चुके और उनके द्वारा परिषद का अध्यक्ष भाजपा का बनाने में मदद की है। ऐसे निर्वाचित सदस्यों को पार्टी जल्द ही प्रशिक्षण देने की तैयारी कर रही है। इसी तरह जो जनाधार वाले नेता या कार्यकर्ता किसी कारणवश नाराज हैं, उन्हें भी मनाया जाएगा और बाद में उन्हें भी प्रशिक्षण वर्ग में शामिल कराया जाएगा। कहा जा रहा है कि पार्टी केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर इस तरह के कदम उठा रही है, क्योंकि पार्टी नेतृत्व नहीं चाहता कि अगले विधानसभा चुनाव तक प्रदेश भाजपा में किसी भी तरह की अंदरूनी असंतोष हो।
पंचायत चुनाव के बागियों पर नरम रुख
जिला और जनपद पंचायतों में भाजपा ने जिन उम्मीदवारों को अपना समर्थन दिया था। उनके खिलाफ पार्टी के ही कई नेता बागी होकर मैदान में उतर गए थे। इनमें से कई ने जीत दर्ज की है। विधानसभा चुनाव में महज एक साल हर जाने के कारण पार्टी अब इन बागियों पर कार्यवाही नहीं करना चाहती।  उसने इनसे चर्चा कर इन्हें फिर से पार्टी के पक्ष में काम करने का सुझाव जिलाध्यक्षों और जिला प्रभारियों को दिया है। इसी तरह नगरीय निकाय चुनाव में अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते बागियों को वापस पार्टी में शामिल किया जाएगा। इनमें से अधिकांश ने चुनाव के बाद भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया है। इसी तरह कांग्रेस से बागी होकर भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी को जीत दिलाने वाले पार्षदों को भी भाजपा में शामिल किया जाएगा।

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