
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के सभी तेरह सरकारी मेडिकल कालेजों से संबद्ध अस्पतालों में आने वाले मरीजों को जांच के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। मरीजों की जांच के लिए अब सरकार उनमें सेंट्रल लैब की स्थापना करने जा रही है। सेंट्रल लैब बनाने से सभी तरह की जांचें एक ही जगह पर हो सकेंगी। इसकी वजह से मरीजों व उनके परिजनों को भटकने से मुक्ति मिल जाएगी। इसके साथ ही जांच रिपोर्ट भी मरीज या फिर उनके परिजनों को लैब से दिए गए ईमेल, वाट्सएप और एसएमएस के जरिये भेज दी जाएगी। इसके लिए तय किया गया है कि मेडिकल कॉलेजों की मौजूदा लैब का संचालन अब सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर किया जाएगा। कंपनी के चयन के लिए चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की तरफ से टेंडर जारी भी कर दिए गए हैं। इसके लिए करीब तीन साल से चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा तैयारी की जा रही थीं। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अधिकारियों के मुताबिक नए मॉडल की अत्याधुनिक अतिरिक्त मशीनों की स्थापना कर उनसे जांच की जाएंगी। अभी काम करने वाले सभी कर्मचारी पीपीपी मोड पर संचालित लैब में भी काम करते रहेंगे। मशीनों की मरम्मत और जांच में लगने वाले किट-केमिकल्स उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी कंपनी की होगी। इस व्यवस्था का मरीजों पर कोई भार नहीं आएगा। शासन की नि:शुल्क जांच योजना के तहत जो जांचें मेडिकल कॉलेज में की जा रही हैं वह उसी तरह से होती रहेंगी।
यह मिलेगा फायदा
इस नई व्यवस्था से गुणवत्ता परखने के लिए जांचों के औचक तौर पर लेकर दूसरी लैब में जांच के लिए भेजी जाएंगी। जिन सैंपलों में बीमारी निकली है उन्हें भी लिया जाएगा और जिनमें नहीं निकली उन्हें भी। मरीज की आईडी डालकर डॉक्टर भी हॉस्पिटल मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम के जरिये ऑनलाइन रिपोर्ट देख सकेंगे। मरीज के पास जांच रिपोर्ट खो जाने पर भी अस्पताल में रिपोर्ट सुरक्षित रहेगी। स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में पिछले साल ही यह व्यवस्था लागू हो चुकी है। जिला अस्पतालों में पहले सिर्फ 48 तरह की जांचें होती थीं। अब 112 जांचें हो रही हैं। इनमें विटामिन डी और विटामिन बी 12 जैसी महंगी जांचें भी शामिल हैं।