केन्द्र ने थोपी नई शर्त, देना होगा 10 फीसदी अधिक राज्यांश

अधिक राज्यांश
  • सहमति देने तक अटकी रहेगी प्रोजेक्ट की मंजूरी

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही प्रदेश की तरह ही केंद्र में भाजपा की सरकार है, लेकिन उसका फायदा प्रदेश को कुछ खास मिलता नहीं दिख रहा है। उलटे कई मामलों में तो प्रदेश पर नई -नई शर्त थोपकर परेशान किया जा रहा है।
    ऐसा ही एक मामला है प्रदेश की 3 हजार किमी सड़कों को स्टेट हाइवे से नेशनल हाइवे में परिवर्तित करने का। इस मामले में केन्द्र सरकार अपने वादे से मुकर कर नई शर्त थेप रहा है, जिसमें अब केन्द्र ने राज्यांश 40 फीसदी की जगह अब 50 प्रतिशत करने की बात कही है। खास बात यह है कि इसके पहले राज्य का 40 प्रतिशत अंश होने पर सहमति बन चुकी थी। दरअसल प्रदेश में सड़कों के जल्द निर्माण के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भेंट की थी। इस भेंट में मुख्यमंत्री ने केन्द्र में तीन साल से अटके प्रदेश की 3 हजार किमी स्टेट हाइवे की सड़कों को एनएच में शामिल करने को हरी झंडी देने की मांग की थी।
    इसके लिए तीन सालों से प्रदेश सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। यह बात अलग है कि स्टेट हाइवे से एनएच में परिवर्तित होने वाली इन सड़कों के लिए नोटिफिकेशन जारी हो चुका है, लेकिन अवधि ज्यादा होने से राज्य सरकार को पुन: नोटिफिकेशन जारी करना पड़ेगा।  इसके लिए केंद्र सरकार की सहमति भी जरूरी होगी। वर्तमान में जितनी भी सड़कों का निर्माण केंद्र के सहयोग से मप्र में किया जा रहा है, उनमें केंद्र 60 प्रतिशत और राज्य 40 प्रतिशत अंश राशि खर्च करते हैं।
    इन सड़कों को किया जाना है परिवर्तित
    प्रदेश की जिन सड़कों को मामला अटका हुआ है उनमें उज्जैन से बदनावर, उज्जैन से गरोठ, हरदा-बैतूल मार्ग,विदिशा से मेहलुआ चौराहा, इंदौर से कन्नौद , इंदौर से बलवारा, सागर-छतरपुर, मोहारी मार्ग, बुधनी-रेहटी नसरुल्लागंज, डिंडौरी सागरटोला, डिंडौरी से मंडला, जीरापुर-सुसनेर, जीरापुर-पचोर ,कुरबाई-मुंगावली चंदेरी, बालाघाट से गोंदिया, छतरपुर से कबरई , बोरगांव-बुरहानुपर, चंदियाघाट-कटनी, उमरिया से शहडोल सीधी जिले के चुरहट के अलावा सिंगरौली मार्ग शामिल हैं। इन सभी मार्ग को चार मार्ग में तब्दील होने हैं।
    मप्र पर आएगा 10 हजार करोड़ का भार
    टू लेन से फोर लेन में परिवर्तित होने वाली करीब 1,500 किमी सड़कों के निर्माण पर 20 हजार करोड़ रुपए का खर्च अनुमानित है। इसमें आधी राशि मप्र सरकार को देनी होगी। इस हिसाब से 10 हजार करोड़ रुपए का भार मप्र पर आना है। फिलहाल राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में 10 हजार करोड़ की व्यवस्था करना मुश्किल बना हुआ है। यही नहीं स्टेट हाइवे से एनएच में बदलने वाली सड़कों के लिए राज्य सरकार अब नए सिरे से प्रस्ताव बनाकर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को भेजना होगा। इसके तहत टू-लेन से फोर लेन में बदलने वाली एक-एक सड़क के निर्माण पर खर्च होने वाली राशि, बनने वाले पुल-पुलियों तथा डीपीआर को लेकर नए सिरे से प्रस्ताव तैयार करने का काम शुरू करने की तैयारी कर दी गई है।

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