नहीं सुलझा एकल नल-जल योजनाओं का मामला

नल-जल योजना
  • दो विभागों में अटकी जल जीवन मिशन की नई पॉलिसी  

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में जल जीवन मिशन में कहीं न कहीं बाधा खड़ी हो रही है। खासकर एकल नल-जल योजना में। सरकार ने प्रदेश में एकल नल-जल योजना को दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है। लेकिन दो महीने से दो मंत्रियों की एक साथ बैठक नहीं हो पाने के कारण जल जीवन मिशन की जरूरी पॉलिसी अटकी हुई है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि तय समय पर टारगेट कैसे पूरा हो पाएगा। मप्र में जल जीवन मिशन योजना में 51 हजार से ज्यादा गांव शामिल किए गए हैं। इसमें कुल घरों की संख्या एक करोड़ 12 लाख हैं। अब तक 78 लाख घरों में सप्लाई शुरू हो गई है। बकाया बचे घरों की संख्या 34 लाख है। वहीं प्रदेश में हर घर जल प्रमाणित 2 जिले घोषित हैं। मप्र में हर घर में नल से जल के लिए कनेक्शन सहित निर्माणाधीन एकल नल योजनाओं के शेष काम मिशन मोड पूरा किया जाना है। हर हाल में शेष काम दिसंबर तक पूरे हो जाना चाहिए, जिससे सरकार की मंशा के अनुरूप हर घर में लोगों को नल से पानी मिल सके। लेकिन प्रदेश में एकल नल जल योजनाओं के संचालन एवं संधारण (ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस) की जिम्मेदारी का मामला सुलझ नहीं पा रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग चाहता है कि एकल नल जल योजनाओं के संचालन एवं संधारण की जिम्मेदारी पूरी तरह से ग्राम पंचायतों को सौंपी जाए, जबकि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग एक अलग एजेंसी गठित कर उसे एकल नल जल योजनाओं के ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस का काम सौंपने की बात कह रहा है।
दो माह से नहीं हुई बैठक
जानकारों का कहना है कि नई पॉलिसी को अंतिम रूप  देने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और पीएचई मंत्री संपतिया उइके के बीच मई के अंतिम सप्ताह में पहली संयुक्त बैठक प्रस्तावित की गई थी, लेकिन उनके बीच अब तक एक भी बैठक नहीं हो पाई। पीएचई विभाग के अधिकारी दोनों मंत्रियों की संयुक्त बैठक आयोजित कराने को लेकर लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उन्हें इसमें अब तक सफलता नहीं मिली है। यही वजह है कि पॉलिसी को लेकर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है। प्रदेश में जल जीवन मिशन में वर्तमान में एकल नल जल योजनाओं की संख्या 27 हजार 990 है। इनका 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। दिसंबर, 2025 तक एकल नल जल योजनाओं का काम पूरा करने का लक्ष्य तय है। प्रदेश में समूह नल जल योजनाओं की संख्या 147 है। इनमें 23 हजार से ज्यादा गांव शामिल हैं। मार्च, 2027 तक इनका निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। जल जीवन मिशन में प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र के करीब एक करोड़ 12 लाख घरों तक एकल और समूह नल जल योजनाओं के जरिए नलों से जल पहुंचाया जाएगा। प्रदेश में बुरहानपुर और निवाड़ी हर घर जल प्रमाणित जिला घोषित हो चुके हैं। इन दोनों जिलों के हर घर में नल से पानी की सप्लाई की जा रही है।
पीएचई ने तैयार की है नई पॉलिसी
पीएचई विभाग ने एकल नल जल योजनाओं के संचालन एवं संधारण के संबंध में नई पॉलिसी तैयार की है। मई में मुख्य सचिव अनुराग जैन पंचायत एवं ग्रामीण विकास और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिवों के साथ बैठक कर इस मुद्दे पर लंबी चर्चा कर चुके हैं, लेकिन योजनाओं के संचालन एवं संधारण की जिम्मेदारी संभालने को लेकर दोनों विभागों के बीच सहमति नहीं बन पाई। फिर तय किया गया कि दोनों विभागों के मंत्रियों की संयुक्त बैठक कर उनके समक्ष मामले को रखा जाए, ताकि किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके। पीएचई अधिकारियों का कहना है कि जल जीवन मिशन की पॉलिसी में स्पष्ट प्रावधान है कि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद समूह नल जल योजनाओं के संचालन एवं संधारण की जिम्मेदारी 10 साल तक संबंधित ठेकेदार की होगी, लेकिन एकल नल जल योजनाओं में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इसे देखते हुए पीएचई ने नई पॉलिसी तैयार की है। इस पॉलिसी में एक बड़ी एजेंसी को हायर कर उसे एकल योजनाओं के संचालन एवं संधारण का काम सौंपने विभिन्न प्रावधान किए हैं। इसमें प्रावधान किया है कि किसी गांव से पानी सप्लाई में दिक्कत या मोटर पंप में तकनीकी खराबी संबंधी कोई भी शिकायत आती है, तो उसके निराकरण की पूरी जिम्मेदारी संबंधित एजेंसी की होगी। इसमें शिकायत के निराकरण की अवधि भी निर्धारित है। पॉलिसी में एकल योजनाओं के ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस में एजेंसी की जिम्मेदारी संबंधी एक-एक बिंदु को शामिल किया गया है। नई पॉलिसी का उद्देश्य एकल नल जल योजनाओं का सफलतापूर्वक संचालन करना है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पूर्व के अनुभव के आधार पर यदि जल जीवन मिशन के उद्देश्य को लॉन्ग टर्म में सफलतापूर्वक पूरा करना है, तो एकल नल जल योजनाओं का संचालन एवं संधारण किसी अलग एजेंसी को सौंपना होगा।

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