
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। बहुचर्चित पंजाब नेशनल बैंक के साथ हुए एक हजार करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में अब सांवरिया ग्रुप के संचालक द्वय और पंजाब नेशनल बैंक के तत्कालीन प्रमुख रहे मल्लिकार्जुन की मुश्किलें बढ़ना तय मानी जा रही हैं। माना जा रहा है कि उच्च नायालय के आदेश के बाद इन दोनों के ही खिलाफ प्रकरण दर्ज हो सकता है। फिलहाल इस तरह की संभावनाएं पूरी तरह से बनती दिख रही हैं।
इस मामले की सुनवाई करते हुए मप्र उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सील नागु और न्यायाधीश पुष्पेंद्र कुमार कौरव की संयुक्त पीठ ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई से पूछा है कि पंजाब नेशनल बैंक में 1000 करोड़ के घोटाले के मामले में एफआईआर क्यों ना दर्ज की जाए। इस मामले में स्पष्टीकरण पेश करने के लिए न्यायालय ने सीबीआई को 29 नवंबर तक का समय दिया है। दरअसल उत्तर प्रदेश के जौनपुर निवासी व कानपुर में जीएसटी कंसलटेंट सोनाली वर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता ब्रह्मानंद पांडे व जेके जायसवाल ने न्यायालय को बताया कि भोपाल निवासी अनिल अग्रवाल , गुलाब चंद्र अग्रवाल ,अशोक अग्रवाल व सतीश अग्रवाल ने सांवरिया ग्रुप के नाम से सेल कंपनी बनाई । बाद में पंजाब नेशनल बैंक के तत्कालीन चेयरमैन एमएस मल्लिकार्जुन की मिलीभगत के जरिए 2016 से 19 के बीच सांवरिया ग्रुप की कंपनियों ने फर्जी तरीके से करीब एक हजार करोड़ का कर्ज ले लिया। इसके बाद कंपनी ने नुकसान बताते हुए कर्ज को समाप्त करने के लिए रिपोर्ट पेश कर दी। इसमें भी खास बात यह रही की बैंक के चेयरमैन मल्लिकार्जुन ने बिना इस बात की जांच किए कि कंपनी ने कहा निवेश किया और कहां किस तरह से घाटा हुआ है , पेश रिपोर्ट को स्वीकार भी कर लिया। अधिवक्ता गणों ने तर्क दिया कि इस मामले की शिकायत याचिकाकर्ता ने सीबीआई भोपाल को थी, परंतु अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसके उलट उक्त कंपनी के संचालकों ने उस पर हमला भी करा दिया । उन्होंने इस मामले में न्यायालय से आग्रह किया गया कि उक्त मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के असिस्टेंट सॉलीसीटर जनरल जेके जैन ने सीबीआई की ओर से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा, वहीं संयुक्त पीठ ने मामले को गंभीर बताते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल खरे को न्यायालय की सहायता के लिए कोर्ट मित्र नियुक्त कर दिया है।