सरकारी फंड की वसूली के लिए चलेगा अभियान

सरकारी फंड
  • संबंधित विभागों को लक्ष्य देकर प्रतिमाह की जाएगी समीक्षा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन और उनकी प्रगति के लिए सरकार लगभग हर माह कर्ज ले रही है। इससे प्रदेश पर लगातार कर्ज बढ़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ सरकार की राशि लोगों के पास बिल के रूप में फंसी हुई है। यह राशि करीब 10,379 करोड़ रुपए है। इस राशि को वसूलने के लिए अब सरकार अभियान चलाएगी। अगर सरकार इस राशि की वसूली कर लेती है तो उससे योजनाओं के क्रियान्वयन को बड़ी राहत मिल सकती है।
जानकारी के अनुसार, प्रदेश सरकार को व्यापारियों, विद्युत और सिंचाई उपभोक्ताओं सहित अन्य से 10,379 करोड़ रुपये वसूलने हैं। यह राशि यदि वसूल हो जाती है तो अधोसंरचना विकास के कामों में गति आ सकती है। लाड़ली बहना योजना के आठ माह की राशि की व्यवस्था हो सकती है। सरकार अब इस बकाया राशि की वसूली के लिए अभियान चलाएगी। इसमें 3,813 करोड़ रुपये की वसूली तो वो है, जिसे लेकर कोई विवाद ही नहीं है। वहीं, 6,566 करोड़ रुपये की वसूली को लेकर विवाद है।
कई विभागों की राशि फंसी
जानकारी के अनुसार सरकार के विभिन्न विभागों की बड़ी राशि बिल के रूप में जनता के पास फंसी हुई है।  वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत आय-व्यय का हिसाब जब देखा गया तो यह सामने आया कि वर्ष 2023-24 में दस हजार करोड़ रुपये से अधिक की वसूली लंबित रही। इसमें वह राशि भी शामिल है, जिसको लेकर कोई विवाद नहीं है। इसमें 1,100 करोड़ रुपये अकेले सिंचाई के हैं। यह वह राशि है जो उद्योगों या सिंचाई के लिए जल उपयोग करने वाले किसानों से लेनी है। इसी तरह विद्युत कर तथा शुल्क के 413 करोड़ रुपये वसूल करने हैं। वाहनों पर कर से 911 करोड़ रुपये  लेने हैं तो राज्य उत्पाद शुल्क के 523 करोड़ बकाया हैं। वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पुराना बकाया वसूल करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। संबंधित विभागों को लक्ष्य देकर प्रतिमाह समीक्षा भी की जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार वसूली योग्य विवादित राशि में सबसे बड़ा 4,090 करोड़ रुपये का हिस्सा विक्रय, व्यापार कर का है। इसी तरह माल तथा यात्री कर के 950 करोड़ रुपये लेने हैं। मध्यम सिंचाई के 490, वस्तुओं तथा सेवाओं पर अन्य कर तथा शुल्क के 359 करोड़, राज्य उत्पाद शुल्क के 265, अलौह खनिज और धातुकर्म उद्योग पर 197 करोड़ स्टाम्प तथा रजिस्ट्री पर 50 करोड़ रुपये की वसूली बाकी है।

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