सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड कर रही बक्सवाहा के जंगल बचाने की मुहिम

बक्सवाहा

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के बुंदेलखंड अंचल के छतरपुर जिले के तहत आने वाली बक्सवाहा क्षेत्र की हीरा खदान शुरू करने के लिए काटे जाने वाले लाखों पेड़ों को बचाने की मुहिम को मिल रहे भारी समर्थन की वजह से वह सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड कर रही है। खास बात यह है कि इन पेड़ों को बचाने के लिए इन दिनों सोशल मीडिया पर ‘इंडिया स्टैंड विथ बक्सवाहा, सेव बक्सवाहा’ नाम से मुहिम चलाई जा रही है। इससे अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं।
इसके साथ ही इसे अब फिल्मी हस्तियों का भी साथ मिलना शुरू हो गया है। उधर इस मामले में एक दिल्ली के एक्टविस्ट सुप्रीम कोर्ट में भी चले गए हैं। यहां पर पूरा यह आंदोलन इलाके के युवाओं द्वारा चलाया जा रहा है। इस आंदोलन को अब स्थानीय स्तर पर बड़ा समर्थन मिल रहा है। दरअसल इस हीरा खदान की वजह से इस इलाके में एक साथ दो लाख से अधिक पेड़ों का कत्ल किया जाना है। जिसकी वजह से पहले से सूखे की गंभीर समस्या की वजह से इलाका मरुस्थल बन रहा है, ऐसे में एक साथ दो लाख से अधिक पेड़ नष्ट होने से इलाके में लोगों के सामने बड़ा पर्यावरणीय संकट खड़ा होने का खतरा बन चुका है। हालात यह बन चुके हैं कि इलाके में चल रहा यह विरोध कभी भी विस्फोटक रुप ले सकता है।
दरअसल हीरा खदान शुरू करने के लिए दो लाख से अधिक पेड़ों की कटाई की जानी है। इसके विरोध में पर्यावरणविदों और स्थानीय युवाओं द्वारा सोशल मीडिया पर छेड़ी गई स्टैंड विथ बक्सवाहा मुहिम से खुद को जोड़ते हुए फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा और कुणाल चौधरी ने भी इस मुहिम का समर्थन किया है। राणा ने पेड़ों को भगवान की संज्ञा देते हुए विषपान करने वाला बताया है। इधर पेड़ों को बचाने के लिए दमोह जिले में चलाए जा रहे इस आंदोलन के तहत बटियागढ़ के युवाओं ने पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधकर मुहिम का समर्थन किया है। इसी तरह से पथरिया के मनसा देवी मंदिर से सटे जंगल में युवाओं ने पेड़ों से चिपककर हीरा खदान का विरोध जताया। गौरतलब है कि हीरा खदान के लिए 62 हेक्टेयर जंगल चिन्हित किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत 380 हेक्टेयर इलाके को लीज पर दिया गया है। इस पूरे इलाके के जंगल साफ करने की तैयारी लगभग कर ली गई है। यहां पर पन्ना की मजगामा खदान में मौजूद 22 लाख कैरेट हीरे की तुलना में जमीन से करीब 15 गुना अधिक हीरा मौजूद होने का दावा किया जा रहा है।  इस खदान को प्रदेश सरकार ने आदित्य बिड़ला समूह को 50 साल के लिए पट्टे पर दिया है।
कितनी जमीन का क्या होगा उपयोग
बक्सवाहा के जंगल में 62.64 हेक्टेयर क्षेत्र हीरे निकालने के लिए खदान चिन्हित है। यहीं पर कंपनी ने 382.18 हेक्टेयर का जंगल मांगा है, बाकी 204 हेक्टेयर जमीन का उपयोग खनन करने और प्रोसेस के दौरान खदानों से निकलने वाली ओवी डंपर करने में करेगी। कहा जा रहा है कि इस काम में कंपनी करीब 25 सौ करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट की ली शरण
इस जगंल को बचाने के लिए अब दिल्ली की समाजसेविका नेहा सिंह ने 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जिसमें कहा गया है कि हीरों के लिए हम अपने जीनवदायी लाखों पेड़ों की बलि नहीं दे सकते हैं। लाखों पेड़ों के कटने से पर्यावरण को अपूर्णीय क्षति होगी, हम एक भी पेड़ नहीं कटने देंगे। उन्होंने इस लीज को निरस्त करने की मांग की है।  याचिका में कहा गया है कि हीरा खनन हो, लेकिन उनके लिए हमारे जीवन के लिए जरूरी पेड़ ना काटे जाएं। पेड़ काटने से जो नुकसान होगा, उसकी भरपाई संभव नहीं है। याचिका में ये भी कहा गया है कि जिस क्षेत्र में खनन की अनुमति दी गई है वो न्यूनजल क्षेत्र है, यहां पानी की कमी है। कंपनी के काम के लिए बड़ी मात्रा में इस इलाके से पानी का दोहन किया जाएगा, जिसके नतीजतन आसपास का जल स्तर प्रभावित होगा। लोगों को पानी की दिक्कत होगी, साथ ही वन्य प्राणी भी प्यासे मर जाएंगे। लिहाजा इस अनुबंध को निरस्त किया जाए।
क्या कहते हैं पर्यावरणविद
पर्यावरणविद और बुंदेलखंड के जानकार इग्नू के पूर्व डायरेक्टर डॉ के एस तिवारी कहते हैं, कि बक्सवाहा के जंगल सिर्फ पेड़ों का एक स्थल नहीं है, बल्कि यहां जिंदगी और संस्कृति दोनों का बसेरा है। वास्तव में इस जंगल में सिर्फ पेड़ नहीं है बल्कि यहां जिंदगी बसती हैं। हजारों परिवारों की आजीविका यहां के पेड़ों पर उगने वाली वनस्पति से चलती है तो दूसरी ओर जंगल पर तरह-तरह के वन्य प्राणी, जीव-जंतु पक्षी आश्रित हैं। जंगल के उजड़ने पर इन सभी का जीवन संकट में पड़ जाएगा। उनका कहना है कि जंगल के जल स्रोत खत्म हो जाएंगे तो इस इलाके में पहले से मौजूद जल संकट और गहरा जाएगा। उनका मानना है कि यह ऐसा जंगल है जिससे वनवासी संस्कृति, रहन-सहन, परंपराएं जुड़ी हैं, कुल मिलाकर इस जंगल के नष्ट होने से ईको सिस्टम छिन्न-भिन्न हो जाएगा।
देश में सर्वाधिक हीरे का भंडार
सरकार के अनुमान के मताबिक बक्सवाहा के इस जंगल में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे मौजूद होने का अनुमान है। अभी तक देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार पन्ना जिले में है यहां जमीन में कुल 22 लाख कैरेट के हीरे है। इनमें से 13 लाख कैरेट हीरे निकाले जा चुके हैं। वहीं 900000 कैरेट हीरे और निकालना बाकी है। बक्सवाहा में हीरा निकालने के लिए 380 हेक्टेयर का जंगल काटा जाना है। वन विकास निगम के मुताबिक इस इलाके में करीब एक लाख से अधिक पेड़ हैं। इनमें सबसे ज्यादा पेड़ सागौन के हैं। इसके अलावा पीपल, तेंदू,जामुन, बहेड़ा, अर्जुन जैसी औषधि वाले पेड़ भी बहुतायत में हैं।  
तो समाप्त हो जाएगी जैव विविधता
दरअसल इस जंगल में बेशकीमती पेड़ों का सघन वन है। जिसकी वजह से यह इलाका जानवरों के साथ ही जैव विविधता से भी परिपूर्ण है। मई 2017 में पेश की गई जियोलॉजी एंड माइनिंग मप्र और रियोटिंटो कंपनी की रिपोर्ट में इस क्षेत्र में तेंदुआ, भालू, बारहसिंगा, हिरण, मोर सहित कई वन्य प्राणियों के यहां मौजूद होने का दावा किया जा चुका है। खास बात यह है कि यहां पर लुप्त हो रहे गिद्ध भी हैं। इसके उलट दिसंबर में डीएफओ और सीएफ छतरपुर ने जो रिपोर्ट पेश की है उसमें यहां पर एक भी वन्य प्राणी नहीं होने की बात कही है। हीरे निकालने से इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में पेड़ काटने से यहां मौजूद वन्य प्राणियों का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।

Related Articles