भाजपा के लिए इस बार आसान नहीं हैं उपचुनाव

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  • दिल्ली से लेकर भोपाल तक मचा हुआ है हड़कंप

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा द्वारा कराए गए तमाम सर्वे और कई स्तर पर आला नेताओं द्वारा लिए गए मैदानी फीडवैक से जो जानकारी समाने आयी है, उससे यह तय हो गया है कि इस बार भाजपा के लिए उपुचनाव आसान नही है। इस लब्बोलुआब के बाद दिल्ली से लेकर भोपाल तक भाजपा नेताओं में हड़कंप मचा हुआ है। यही वजह है कि उपचुनावों के लिए बनाई गई पुरानी रणनीति को अब फिर से बदला जा रहा है। हालत यह है कि संगठन व सत्ता दोनों द्वारा इन उपचुनावों को लेकर अब पूरी ताकत झोंकी जा रही है, इसके बाद भी हालातों में अधिक बदलाव अब तक नहीं दिख पा रहा है।
    दरअसल प्रदेश में जल्द ही खंडवा लोकसभा व रैगांव, जोबट और पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना हैं। यह चारों सीटें कोरोना की चपेट में आए सांसद व विधायकों की मृत्यु की वजह से रिक्त हुई  हैं। सत्ता और संगठन की तमाम सर्वे रिर्पोट्स में स्थिति चुनौतीपूर्ण बताई जाने के बाद ही प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव को खुद रैगांव और पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र का दौरा करना पड़ा है। यही वजह है कि अब नए सिरे से चिंतन मनन के बाद चारों सीट पर चुनाव को लेकर भाजपा नई रणनीति के अनुसार मैदानी जमावट करने में लग गई है। इसी के तहत मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष इन क्षेत्रों के दौरे तो कर ही रहे हैं, साथ ही जिले के प्रभारी मंत्री से लेकर तमाम मंत्रियों के भी दौरे कराए जाने लगे हैं। अब एक बार फिर से भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा 29 सितंबर को खंडवा संसदीय क्षेत्र के दौरे पर जा रहे हैं। इसी तरह से जिन दो सीटों पर राव अब तक नहीं गए हैं उन पर भी राव के खुद जाने की तैयारी है।
    पृथ्वीपुर में अभय प्रताप करा चुके जमानत जप्त: भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुसीबत इन दिनों पृथ्वीपुर विधानसभा की सीट बनी हुई है। इसकी वजह है इस सीट पर आम विधानसभा चुनाव में भाजपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष अभय प्रताप सिंह चुनावी मैदान में उतारे गए थे। वे इतने भी मत नहीं पा सके थे कि उनकी जमानत बच पाती। वे कांग्रेस तो छोड़ सपा से भी तीन गुना कम मत पा सके थे। वे चौथे स्थान पर रहने को मजबूर रहे थे। इसी तरह जोबट भी कांग्रेस के प्रभाव वाला इलाका है। रैगांव विधानसभा क्षेत्र में भी इस बार हालात पार्टी के अनुकूल नहीं बताए जा रहे हैं। इस सीट पर भी पार्टी को अतिरिक्त मेहनत की जरुरत बताई गई है। यहां पर पार्टी दावेदारों के बीच जंग छिड़ी हुई है।यह है खंडवा लोकसभा की स्थिति
    खंडवा लोकसभा क्षेत्र के तहत विधानसभा की पांच सीटें आती हैं। इनमें से पांच पर भाजपा, दो पर कांग्रेस व एक पर निर्दलीय विधायक हैं। भाजपा को पांच में से दो सीटें उपचुनाव के जरिए ही उस समय मिली हैं जब पिछले साल सियासी उथल- पुथल के बाद कांग्रेस के विधायक इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके बाद हुए उपचुनाव में पाला बदलने वाले कांग्रेस नेता चुनाव जीते। अब इस इलाके में बदले हुए माहौल की वजह से मतदाताओं का स्पष्ट रुझान सामने नहीं आने की वजह से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस सीट पर कांग्रेस की ओर से पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव की चुनौती तय मानी जा रही है।
    दिग्गजों को करना पड़ रहा है मंथन
    सत्ता-संगठन के पास विभिन्न स्रोतों से जो उपचुनाव वाले इलाकों की जानकारी आ रही है, उसके मुताबिक चारों सीटों को बेहद चुनौतीपूर्ण बताया जा रहा है। यही वजह है कि प्रदेश में भाजपा के दिग्गज रणनीतिकरों व नेताओं को लगातार चुनावी तैैयारियों को लेकर चिंतन मनन करना पड़ रहा है। इसी के तहत दो दिन पहले सीएम हाउस में सत्ता-संगठन के दिग्गज नेताओं की बैठक में मंथन किया गया। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जीत के लिए नई रणनीति पर काम करने की जरूरत और योजना बताई। भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश की मौजूदगी में हुए इस विचार मंथन के बाद मंत्री- विधायकों की जवाबदारी तय करते हुए उनसे चुनावी क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ाने को भी कहा गया है।
    चुनावी प्रभार वाले मंत्रियों को देनी पड़ रही नसीहत  
    दरअसल कामकाज नहीं होने की वजह से उपचुनावी इलाके की जनता सरकार से बेहद नाराज है। यही वजह है कि अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चारों सीटों पर उपचुनाव के लिए प्रभारी और जिले के प्रभारी मंत्रियों को अपना मोर्चा संभालने और वहीं रहकर कैंप करने की नसीहत तक देनी पड़ रही है। उन्हें यहां तक कहना पड़ा है कि  एक महीना बीत गया, इसके बाद भी वे सिर्फ औपचारिकता ही निभा रहे हैं, ऐसे चुनाव नहीं जीते जाते। यह चुनाव आसान नहीं हैं। उन्होंने निवाड़ी जिले के प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव और चुनाव के लिए तैनात मंत्री अरविंद भदौरिया को भी क्षेत्र में ही कैम्प करने की हिदायत दी। उन्होंने रैगांव और पृथ्वीपुर की चर्चा करते हुए कहा कि रैगांव हमारे पास थी लेकिन इस बार चुनौती कठिन है। इसी तरह खंडवा और जोबट के बारे में भी उन्होंने हिदायत दी।
    कांग्रेस के पक्ष में माहौल की वजह
    महंगाई, खासतौर पर डीजल- पेट्रोल और रसोई गैस की कीमतों के चलते सत्ता पक्ष की चुनौती बढ़ी हुई हैं। इसके अलावा भ्रष्टाचार और खराब सड़कों ने भी सरकार की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। कांग्रेस खंडवा उपचुनाव को लेकर कांग्रेस मुस्लिम, यादव और गुर्जर वोटों के अलावा एंटी इन्कम्बेंसी के कारण ज्यादा उत्साहित है। यहां वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों ने 4 सीटों पर जीत दर्ज कराई थी जबकि एक सीट पर उसका बागी जीता था जबकि भाजपा 3 सीटें ही जीत सकी थी।

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