उपचुनाव: सर्वाधिक भरोसा शिव-वीडी के चेहरे पर

 शिव-वीडी

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में एक लोकसभा व तीन विधानसभा के उपचुनावों में भाजपा प्रत्याशियों को अपने से अधिक भरोसा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा पर बना हुआ है। यही वजह है कि इन नेताओं की मांग भी लगातार प्रत्याशियों द्वारा अपने-अपने इलाकों में की जा रही है। यही वजह है कि पार्टी व प्रत्याशियों द्वारा प्रचार में भी इन दोनों ही चेहरों को आगे रखा जा रहा है। इसकी वजह से इन दोनों ही नेताओं को लगातार उपचुनाव वाले इलाकों में सक्रिय रहना पड़ रहा है। उधर कांग्रेस प्रत्याशियों को खुद की ही दम पर चुनावी किला लड़ाना पड़ रहा है। हालत यह है कि शिव व वीडी चुनावी तारिखों से पहले से इन इलाकों में सक्रिय हैं, जबकि कांग्रेस में अब तक कोई बड़ा नेता इन इलाकों में नहीं पहुंचा है। इसकी वजह से कांग्रेस प्रत्याशियों को खुद के ही चेहरों पर भरोसा करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इस बीच चुनावी प्रचार से अधिक मेहनत दोनों ही दलों के नेताओं को रुठे हुए नेताओं को मनाने में करनी पड़ रही है। दरअसल शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें बच्चों से लेकर आम आदमी तक न केवल चेहरे से पहचानता है, बल्कि उनकी छवि भी मामा के रुप में बसाता है। इसी तरह से प्रदेश की कमान सम्हालने के बाद से वीडी शर्मा की सक्रियता व सतत् संवाद की वजह से उनकी अपनी भी पहचान लोगों में बन चुकी है। यह बात अलग है कि यह उपचुनाव जब होने जा रहे हैं जबकि प्रदेश में टीम वीडी का गठन किया गया है। यह चुनाव इस टीम के लिए भी अग्नि परीक्षा के रूप में देखी जा रही है। इन चुनावों को प्रदेश भाजपा के दोनों नेता शिवराज और वीडी कितनी गंभीरता से ले रहे हैं इससे ही समझा जा सकता है की उनके द्वारा हर दिन रात में पूरे दिन का लेखा जोखा तो लिया ही जाता है साथ ही अगले दिन के प्रचार की पूरी रूपरेखा भी पूछी जाती है। अब प्रचार धीरे-धीरे तेज होता जा रहा है, लेकिन अब भी वह मान मनौव्वल के आसपास सिमटा दिख रहा है। इसकी वजह है दोनों दलों के नाराज नेताओं का न मानना। हालत यह है कि फिलहाल चुनावी प्रचार से राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दे  पूरी तरह से गायब हैं। प्रत्याशी और नेता अपने रूठों को मनाने के लिए मंच से उनकी तारीफ में कसीदे पड़ रहे हैं। बड़े नेता भी नाराज नेताओं को समझाइश देने में लगे हुए हैं।  
नहीं नजर आ रहे हर्षवर्धन
भाजपा प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल के किसी भी कार्यक्रम में अब तक हर्षवर्धन सिंह नजर नहीं आए हैं। इसी तरह से टिकट के दावेदार रहे अशोक पालीवाल और राजपाल सिंह भी दूरी बनाए हुए हैं। पाटिल मंच से हर्ष की तारीफ कर रहे हैं कि हर्षवर्धन हमारे साथ हैं। उनकी तबीयत कुछ खराब थी। इसलिए वे नहीं आए। प्रचार में वे साथ आएंगे।
अरुण को बता रहे त्यागी
कांग्रेस प्रत्याशी राजनारायण सिंह के साथ भी यही स्थिति बनी हुई है। बुरहानपुर में राजनारायण के सामने अरुण यादव के पक्ष में नारेबाजी से वे कुछ देर के असहज हो गए। इसके बाद उनके द्वारा मौके की नजाकत समझते हुए अरुण यादव की तारीफ में कहा गया कि ऐसे त्याग करने वाले बहुत कम होंगे, जिनमें एक मेरा भतीजा अरुण भी है। मेरे दो कमांडर (अरुण) और (शेरा) चुनाव लड़ रहे हैं।
भाजपा के मोर्चा विभागों की टीम की परीक्षा: प्रदेश भाजपा की नई टीम के सामने तीन विधानसभा और एक लोकसभा चुनाव को पहली बड़ी परीक्षा के रुप में देख जा रहा है। इसकी वजह है उनके गठन के बाद प्रदेश में यह पहले उपचुनाव है। इसके परिणामों से नवनियुक्त पदाधिकारियों के लिए परफॉर्मेंस का आंकलन हो जाएगा।
मंत्री नहीं निकल पा रहे इलाके से
सीएम व प्रदेशाध्यक्ष द्वारा हर रोज उनके प्रभार वाले इलाके का फीडबैक लेने की वजह से कई मंत्री बीते कई दिनों से अपने गृह क्षेत्र में भी नहीं जा पा रहे हैं। खास बात यह है कि सख्ती इतनी है कि अगर किसी मंत्री को किसी जरुरी काम से क्षेत्र छोड़ना है तो उसे पहले इसकी जानकारी के साथ ही वजह भी प्रदेश अध्यक्ष या फिर मुख्यमंत्री को बतानी होती है। मंत्रियों से रोज यह भी पूछा जा रहा है कि दिनभर में कहां गए और कितनी बैठकें ली । इस दौरान उन इलाकें में प्रत्याशी को लेकर क्या स्थिति है और अगर स्थिति ठीक नहीं है तो उसे बेहतर बनाने के लिए क्या किया जा सकता है।
मंत्रियों से ली जा रही हर दिन की कैफियत
प्रदेश में इन उपचुनावों  को सत्ता के सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा है। यही वजह है कि भाजपा के लिए यह चुनाव बेहद अहमियत वाले हो चुके हैं। इसकी वजह से  सीएम शिवराज सिंह चौहान इन चुनावों को लेकर बेहद संजीदा बने हुए हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री द्वारा हर दिन चुनावी जिम्मेदारी वाले मंत्रियों के साथ हर दिन रात दस बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर उनसे दिनभर की चुनावी गतिविधियों की जानकारी ली जाती है और उसके बाद अगले दिन की रणनीति पर भी चर्चा की जा रही है। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के अलावा संगठन के प्रमुख पदाधिकारी भी मौजूद रहते हैं। गौरतलब है कि  रिक्त होने से पहले खंडवा लोकसभा और रैगांव पर भाजपा का कब्जा था तो पृथ्वीपुर और जोबट की सीट पर कांग्रेस को। भाजपा इन उपचुनावों में क्लीन स्वीप की इच्छा रखती है। इसकी वजह है अभी से 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बेहतर माहौल बन सके। इसकी वजह से ही भाजपा ने तीन माह पहले से ही उपचुनावों की तैयारी शुरू कर दी थी।

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