
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही चुनाव आयोग ने प्रदेश में रिक्त चल रही एक लोकसभा व तीन विधानसभा सीटों पर चुनाव की तारीखें घोषित नहीं की हैं, लेकिन भाजपा व कांग्रेस ने अपने स्तर पर अभी से चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस मामले में कांग्रेस ने भाजपा को फिलहाल पीछे छोड़ दिया है। कांग्रेस ने इन चार में तीन सीटों पर तो संभावित प्रत्याशियों को क्षेत्र में सक्रिय होने के लिए हरी झंडी तक दे दी है। एक सीट रैगांव पर ही अब पेंच फंसा हुआ है। माना जा रहा है कि इस सीट पर भी आज से शुरू हुई मैराथन बैठकों में नाम तय कर लिया जाएगा। इसके साथ ही अब उपचुनाव वाली सीटों पर नेताओं के दौरे शुरू करने की भी तैयारी कर ली गई है। हालांकि दो दिन पहले बुरहानपुर गए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दौरे को भी उपचुनाव की तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है। यह बात अलग है कि भाजपा में अब भी प्रत्याशी चयन को लेकर शांति बनी हुई है। फिलहाल दमोह उपचुनाव में मिली जीत से कांग्रेस खेमा पूरी तरह उत्साह से लबरेज है।
कांग्रेस की कमलनाथ द्वारा आज से अपने आवास पर शुरू की गई बैठकें इन उपचुनावों और संगठन को मजबूती पर ही केन्द्रित हैं। इन बैठकों में विधानसभा प्रभारी, संबंधित कांग्रेस जिला अध्यक्ष व स्थानीय नेताओं को बुलाकर उनसे न केवल फीडबैक लिया जा रहा है, बल्कि सुझाव भी लिए जा रहे हैं।
दरअसल लंबे समय बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व सीएम कमलनाथ दिल्ली से भोपाल आए हैं। वे यहां पर चार दिन रहने वाले हैं। इसके बाद दो दिन के लिए छिंदवाड़ा चले जाएंगे। गौरतलब है कि मार्च में खंडवा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान का निधन हो गया था। इस सीट को खाली हुए 4 माह से अधिक का समय हो चुका है, नियमानुसार सीट खाली होने के 6 माह के अंदर उपचुनाव कराए जाने का प्रावधान है। वर्तमान में प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से भाजपा के पास 27 और कांग्रेस के पास सिर्फ एक सीट है, जबकि अभी एक सीट रिक्त है।
इसी तरह से कोरोना काल में ही पृथ्वीपुर से कांग्रेस विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर, जोबट से कांग्रेस विधायक कलावती भूरिया और रैगांव से भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी का भी निधन हो चुका है। इसकी वजह से यह तीनों सीटें भी रिक्त चल रही हैं। खंडवा लोकसभा के साथ ही इन तीनों सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं। फिलहाल प्रदेश की 230 विस सीटों में से भाजपा के 125 कांग्रेस के 95, निर्दलीय 4, बसपा के 2 सपा का एक सदस्य है और 3 सीटें रिक्त चल रही हैं।
फिलहाल कांग्रेस की ओर से खंडवा लोकसभा सीट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री अध्यक्ष अरुण यादव का नाम लगभग तय कर दिया गया है। यही वजह है कि वे खुद और उनके छोटे भाई पूर्व मंत्री सचिन यादव लगातार इस सीट पर सक्रिय बने हुए हैं। इसी तरह से पृथ्वीपुर विस सीट पर पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के बेटे नितेंद्र सिंह राठौर का टिकट भी तय किया जा चुका है। इसकी वजह से वे भी लगातार क्षेत्र में दौरे कर रहे हैं। इसी तरह से दूसरी विस सीट जोबट के लिए तीन नामों का पैनल पहले से ही तैयार। इसमें झाबुआ से बीता चुनाव हारने वाले वर्तमान युवा कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांति लाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया, अलीराजपुर के कांग्रेस जिलाध्यक्ष महेश पटेल और पूर्व राज्य मंत्री सुलोचना रावत के नाम हैं। इनमें से विक्रांत या सुलोचना रावत में से किसी एक नाम पर मुहर लग सकती है।
रैगांव सीट पर दावेदारों की फौज से फंसा पेंच
भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन से रिक्त हुई रैगांव विधानसभा सीट पर कांग्रेस से प्रत्याशी बनने के लिए दावेदारों की भीड़ लगी हुई है। इस सीट पर अब तक आठ लोगों द्वारा पूरी ताकत के साथ दावेदारी की जा रही है। इनमें 2003 में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके वाल्मीकि बागरी, वर्ष 2003 में कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके गया बागरी, बीता चुनाव हारने वाली कल्पना वर्मा, पूर्व में बीएसपी से विधायक रही उषा चौधरी, पूर्व जनपद सदस्य सुदामा प्रजापति, मनोज बागरी, राजेंद्र बागरी और डॉक्टर मालती भगत शामिल है। इन दावेदारों की संख्या की वजह से फिलहाल इस सीट पर अब तक कोई एक नाम तय नहीं हो पाया है।
नाथ करेंगे अब दौरा
कमलनाथ पहले ही प्रदेश के दौरे की बात कह चुके हैं। इन दौरों में फिलहाल उपचुनाव वाले इलाकों पर विशेष फोकस रहने वाला है। उनके दौरे का कार्यक्रम भी आज से शुरू हुई चार दिवसीय बैठकों में तैयार किया जाएगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अन्य क्षेत्रों में उपचुनाव के बाद दौरे की शुरुआत की जाएगी। इनमें भी उन जिलों पर ज्यादा फोकस किया जाएगा, जहां पर बीते विधानसभा चुनाव में अपेक्षा के अनुरूप पार्टी को सफलता नहीं मिली थी।
कोरोना की वजह से हो सकती है उपचुनाव में देरी
रिक्त चल रही एक लोकसभा और तीनों विधानसभा सीटों पर उप चुनाव कब होंगे यह आने वाले महीनों में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर निर्भर है। यही वजह है कि माना जा रहा है कि इन सीटों पर उपचुनाव कराने में देरी हो सकती है। माना जा रहा है कि अगर अगस्त सितंबर में कोरोना की तीसरी लहर आती है या फिर कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती है तो उपचुनावों को नहीं कराया जाएगा। यदि कोरोना नियंत्रण में रहता है तो सितंबर अक्टूबर में उपचुनाव कराए जाने की संभावना है। दरअसल इसी साल अप्रैल में दमोह विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान बड़ी संख्या में लोग कोरोना संक्रमण का शिकार बन गए थे, जिसके बाद आयोग और सरकार आम आदमी के निशाने पर आ गए थे।