
- निविदा में नाकाम कंपनी पर उद्यानिकी अफसरों की मेहरबानी
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने पर जोर दे रही है। लेकिन उद्यानिकी विभाग के अफसर सरकार की नीतियों को दरकिनार कर अपनी मनमानी कर रहे हैं। ताजा मामला एससी-एसटी वर्गों को बांटे जाने वाले बीज का है। जानकारी के अनुसार उद्यानिकी विभाग निविदा में नाकाम रही कंपनी नाफेड से दो-तीन गुना महंगा बीज खरीदकर दलितों-और आदिवासियों में बांटने जा रही है। सूत्रों के अनुसार, उद्यानिकी विभाग ने जिलों को बीज आदेश जारी कर किया है। इस आदेश के अनुसार जिस कंपनी नाफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित) के बीजों की दर जिलों को भेजी गई, वह बीज कंपनी पूर्व में एमपी एग्रो की दर निविदा में तकनीकी अर्हता पूरी नहीं कर सकी है। फिर भी एससी-एसटी वर्गों को बांटे जाने वाले बीज एमपी एग्रो के बजाय नाफेड से दो से तीन गुना ज्यादा कीमत पर खरीदना पड़ेंगे।
तीन गुना अधिक दर पर नाफेड से खरीदी की तैयारी
गौरतलब है कि विशेष केंद्रीय सहायता से एससी-एसटी वर्ग के लिए वर्ष 2019-20 में योजना की स्वीकृति इस वर्ष मिली। अब उद्यानिकी संचालनालय द्वारा अपने ही विभाग की संस्था एमपी एग्रो को दरकिनार करके तीन गुना अधिक कीमत पर केंद्रीय संस्थान नाफेड से खरीदी की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए संचालनालय की ओर से जिलों को नाफेड, एनएससी या एमपी एग्रो से बीज लेने के आदेश के साथ सिर्फ नाफेड के हाइब्रिड सब्जी बीजों की दर सूची भेजी गई है। उल्लेखनीय है कि तत्कालीन एसीएस इकबाल सिंह बैंस ने मप्र के लिए अनुकूल बीज ट्रायल के बाद एमपी एग्रो से ही बीज खरीदी के लिए निर्देश दिए थे।
मूल कार्य क्षेत्र में भी बदलाव
योजना के अनुमोदित मूल कार्य क्षेत्र में भी बदलाव कर दिया गया है। पहले ग्वालियर, नीमच, इंदौर, धार,अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी, बड़वानी, खंडवा, बुरहानपुर, भोपाल, सीहोर, बैतूल, हरदा, नरसिंहपुर, मंडला, सिंगरोली, सीधी, शहडोल. उमरिया, अनूपपुर जिले थे। इनको बदलकर मुरैना, भिंड, ग्वालियर, शिवपुरी, दमोह, भोपाल, सीहोर, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, होशंगाबाद कर दिया गया है। यही नहीं नाफेड की दर सूची लागू करते समय जबलपुर में हुई कृषि कैबिनेट के निर्णयों और नियमों को दरकिनार कर दिया गया है। राज्य शासन ने बीज वितरण से पहले कृषि विश्वविद्यालय में ट्रायल अनिवार्य किया है।
अफसर बोले किसान खरीदी के लिए स्वतंत्र
मामला सामने आने के बाद अफसर बचाव की मुद्रा में आ गए हैं। संचालक उद्यानिकी मनोज अग्रवाल का कहना है कि एससी एसटी उपयोजना के लिए सिर्फ नाफेड की बीज दर उदाहरण के लिए है। वैसे किसान खरीदी के लिए स्वतंत्र हैं। नाफेड की दर एमपी एग्रो से तीन गुना हों या चार गुना, यह तो कृषक को तय करना है। वह कहते हैं कि एमपी एग्रो की निविदा में नाफेड नाकाम कंपनी की सूची में है, यह मुझे पता नहीं है।