फेक बिल से हो रहा था बिजनेस

फेक बिल
  • मप्र जीएसटी घोटाले में बड़ा खुलासा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। देश में  शेल कंपनियों और फर्जी बिल के माध्यम से जीएसटी मे फर्जीवाड़ा कर सरकार को चपत लगाई जा रही है। मप्र सहित चार राज्यों में फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में 130 करोड़ रुपये की जीएसटी घोटाले में बड़ी जानकारी सामने आई है। गिरफ्तार आरोपितों ने पूछताछ में बताया है कि चोरी के कोयले का कारोबार करने के लिए फर्जी बिलिंग की जा रही थी। मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू की टीम ने बिलासपुर से कोयला कारोबारी शेख जफर को गिरफ्तार भी किया है।
ईडी और दूसरी जांच एजेंसियां भी इस नेटवर्क पर नजर रख रही हैं। यह मामला मप्र से लेकर छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र तक फैले एक बड़े जीएसटी फर्जीवाड़े का हिस्सा माना जा रहा है। जांच में पता चला है कि शेख जफर मध्य प्रदेश के अनूपपुर का रहने वाला है। वह विनोद सहाय के साथ मिलकर फर्जी बिल बनाता था। ये लोग शेल कंपनियों के नाम पर कोयले का व्यापार दिखाते थे। इस तरह उन्होंने करोड़ों रुपये की हेराफेरी की। इसी तरह से सीमेंट की जीएसटी चोरी में पता चला है कि निर्माण कार्यों में ठेकेदार फर्जी बिल लेकर मापदंड के अनुसार सीमेंट उपयोग करना दिखाते थे। जांच एजेंसी के निशाने पर सीमेंट, कोयला और स्टील के कई बड़े कारोबारी हैं। यह गड़बड़ी वर्ष 2018 से प्रारंभ हुई थी। फर्जीवाड़े का नेटवर्क मध्य प्रदेश के अतिरिक्त छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र में फैल चुका है।
इस तरह किया फर्जीवाड़ा
ईओडब्ल्यू की टीम ने सबसे पहले झारखंड के रांची से जबलपुर के रहने वाले विनोद सहाय को गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ के आधार पर बिलासपुर से शेख जफर और भोपाल से राजा शेख को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि इन दोनों ने विनोद सहाय के कहने पर फर्जी फर्म बनाकर कारोबार दिखाया था। अभी तक मिले 512 करोड़ रुपये के फर्जी बिलों में से अधिकतर सीमेंट, कोयला और स्टील कारोबार के हैं। इन इनवाइस से कई बड़े कारोबारी व ठेकेदार गड़बड़ी कर रहे थे। ईओडब्ल्यू की जांच टीम यह भी पता करने में जुटी है कि इसमें वाणिज्यिक कर या अन्य किसी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत तो नहीं है। बता दें कि जीएसटी चोरी को लेकर यह अब तक का सबसे बड़ा राजफाश है। विभाग की तरफ से जीएसटी चोरी के प्रकरण पकड़े जा रहे थे, पर इस तरह संगठित गिरोह के माध्यम से फर्जीवाड़ा पहली बार सामने आया है। वाणिज्यिक कर विभाग जबलपुर के सहायक आयुक्त की सूचना पर जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने इसी माह प्रकरण पंजीबद्ध किया था।
जांच एजेंसी के निशान पर कई बड़े अधिकारी
जांच एजेंसी के निशाने पर सीमेंट, कोयला और स्टील के कई बड़े कारोबारी हैं। यह गड़बड़ी वर्ष 2018 से प्रारंभ हुई थी। फर्जीवाड़े का नेटवर्क मध्य प्रदेश के अतिरिक्त छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र में फैल चुका है। आरोपितों ने फर्जी (बोगस) कंपनियां बनाकर इनवाइस तैयार की थी। इन इनवाइस से कई बड़े कारोबारी व ठेकेदार गड़बड़ी कर रहे थे। ईओडब्ल्यू की जांच टीम यह भी पता करने में जुटी है कि इसमें वाणिज्यिक कर या अन्य किसी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत तो नहीं है। बता दें कि जीएसटी चोरी को लेकर यह अब तक का सबसे बड़ा राजफाश है। विभाग की तरफ से जीएसटी चोरी के प्रकरण पकड़े जा रहे थे, पर इस तरह संगठित गिरोह के माध्यम से फर्जीवाड़ा पहली बार सामने आया है। वाणिज्यिक कर विभाग जबलपुर के सहायक आयुक्त की सूचना पर जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने इसी माह प्रकरण पंजीबद्ध किया था।

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