बुंदेलखंड: तीसरे दलों की दमदारी से उलझे दोनों दलों के प्रत्याशी

भाजपा और कांग्रेस

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। बीते चुनाव में प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल से एक सीट जीतने वाली बहुजन समाज पार्टी इस बार कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। अब चुनाव परिणाम आने में महज 24 घंटे का ही समय रह गया है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज परिणामों के अनुमानों में उलझ कर रह गए हैं। इस अंचल में कुल 26 सीटें  हैं, जिनमें से फिलहाल भाजपा के पास 14 सीटें हैं, जबकि एक सपा व एक बसपा के पास है। शेष सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इस बार पार्टी विधायकों की संख्या यही रहेगी, इसे लेकर अब भी भाजपा पूरी तरह से आश्वस्त नहीं दिख रही है। इसकी वजह है इस बार भी इस अंचल की अधिकांश सीटों के परिणाम बसपा और सपा के कारण किंतु- परन्तु में उलझे हुए हैं। इस अंचल के तहत प्रदेश के पांच जिले आते हैं। इनमें सागर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह और छतरपुर जिले शामिल हैं। पिछली बार 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा का  प्रदर्शन प्रभावित हुआ था , जिसकी वजह से उसे 2013 की तुलना में छह सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था, जिसकी वजह से कांग्रेस को 4 सीटोंं का फायदा हुआ था। जबकि दो सीटों पर बसपा व सपा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद भी अंचल में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी रही थी। इस बार कांग्रेस और भाजपा के लिए समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी बड़ा रोडा़ बनकर उभरे हैं। कई सीटों पर तो इन दलों के प्रत्याशी -सीधे टक्कर देते नजर आ रहे हैं। अंचल की निवाड़ी सीट पर समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी मीरा यादव भाजपा के अनिल जैन को सीधी टक्कर दे रही है। यहां कांग्रेस से अमित राय और बसपा से  अवधेश प्रताप सिंह राठौर मैदान में हैं, जिसकी वजह से चतुष्कोणीय मुकाबला हो गया है। इसमें समाजवादी पार्टी पार्टी भाजपा का  खेल ज्यादा बिगाड़ रही है। इसी तरह से जतारा में मुकाबला तो भाजपा के हरिशंकर खटीक और कांग्रेस की किरण अहिरवार के बीच ही है, लेकिन इस सीट पर बसपा प्रत्याशी आर आर बंसल दोनों दलों को चुनौती देते दिख रहे हैं। बंसल पिछली बार भी चुनाव लड़े थे और दूसरे नंबर पर रहे थे।
इसी तरह से छतरपुर में पिछली बार पौने चार हजार मतों से जीतने वाले कांग्रेस के आलोक चतुर्वेदी का मुकाबला इस बार भाजपा की पूर्व मंत्री ललिता यादव से है। इस सीट पर बसपा प्रत्याशी डीलमणि सिंह बब्बू राजा कांग्रेस के लिए मुसीबत बने हुए हैं। उधर, राजनगर सीट पर भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे घासीराम पटेल बसपा के हाथी पर सवार होकर चुनौती दे रहे हैं। उनकी वजह से इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी अरविंद पटेरिया के लिए मुश्किल बनी हुई है। बीते चुनाव में पटेरिया कांग्रेस के विक्रम सिंह नाती राजा से मामूली मतों के अंतर से हार गए थे। इस बार उनकी ही पार्टी के बागी उनके लिए चुनौती बन गए हैं। महाराजपुर में चुनाव भाजपा के कामाख्या प्रताप सिंह और कांग्रेस के नीरज दीक्षित के बीच है, पर इस सीट पर कांग्रेस के बागी दौलत तिवारी साइकिल पर सवार होकर चुनावी मैदान में हैं। उनकी वजह से कांग्रेस का गणित बिगड़ा नजर आ रहा है। बीते चुनाव में दमोह जिले की एक सीट पर जीत दर्ज करने वाली बसपा इस बार तीन सीटों पर मुकाबले में आ गई है। यह वो जिला है, जहां पर चुनाव पूरी तरह से जातिगत समीकरणों में उलझा हुआ है। जबेरा से भाजपा ने धर्मेन्द्र लोधी को और कांग्रेस ने प्रताप लोधी को उतारा है, वहीं बीएसपी से विनोद राय मैदान में हैं। उन्होंने अन्य समाजों के वोट अपने पक्ष में करने के प्रयास किए हैं। हटा में भाजपा ने वर्तमान विधायक पुरुषोत्तम तंतुवाय का टिकट काट कर उमादेवी खटीक को मैदान में उतारा है, उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रदीप खटीक से हो रहा है, लेकिन बसपा ने भगवानदास अहिरवार को उतारकर दोनों ही दोनों दलों का गणित बिगाड़ दिया है।
इसकी वजह है, इस सीट पर अहिरवार समाज का अच्छा खासा वोट होना। सागर में पिछली बार आठ से छह सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार यहां से अपनी संख्या बढऩे की उम्मीद में है। पिछली बार जिले की बंडा और देवरी सीटों पर ही कांग्रेस जीत सकी थी। इस बार वह सागर, बीना समेत सुरखी में भाजपा को कड़ी टक्कर दे रही हैं। बसपा और सपा इस जिले में ज्यादा प्रभावी नहीं है।
लगातार गिरा है बसपा का वोट
बहुजन समाज पार्टी भले कई स्थानों पर कांग्रेस, भाजपा का खेल बिगाड़ रही है, पर इस दल का वोट बैंक प्रदेश में लगातार कम हुआ है। 2008 के विधानसभा चुनाव में इस दल को 8.97 प्रतिशत मत मिले थे। वही 2013 के चुनाव में यह घटकर 6.28 प्रतिशत रह गई थी। पिछले चुनाव में बसपा का मत प्रतिशत 5 पर सिमट गया था। उधर, सपा को भले ही प्रदेश में बीते चुनाव में 1.30 फीसदी वोट मिला था, लेकिन उसने न केवल एक सीट जीत ली थी, बल्कि निवाड़ी सीट पर दूसरे स्थान पर रहकर कांग्रेस को चौथे स्थान पर धकेल दिया था।

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