बजट ने लगाया दवाओं के निर्माण पर ब्रेक

दवाओं

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ केन्द्र सरकार का पूरा फोकस स्वदेशी उत्पादन पर है तो दूसरी ओर प्रदेश में कई इसी तरह के प्रोजेक्ट धनाभाव की वजह से अटके हुए हैं। ऐसा ही एक प्रोजेक्ट है स्वदेशी दवा निर्माण का , जिसके लिए प्रदेश सरकार ने कोई बजट ही नहीं दिया है, जिसकी वजह से इस पर काम ही शुरू नहीं हो पा रहा है। दरअसल प्रदेश में प्रस्तावित पहली होम्योपैथिक पद्धति की फार्मेसी से दवा निर्माण की योजना तैयार की गई थी। इसके तहत तय किया गया था कि यह फार्मेसी जनवरी माह से दवा निर्माण का काम शुरु कर देगी, लेकिन इसके लिए पैसा ही नहीं दिया गया , लिहाजा दवा बनाने का काम अटक गया है। अब माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद नए बजट में इसके लिए बजट मिलने पर ही काम शुरु हो पाएगा। गौरतलब है कि बीते साल ही केन्द्र सरकार ने  होम्योपैथी चिकित्सा महाविद्यालय में फार्मेसी शुरू करने की अनुमति प्रदान कर दी थी। जिसकी वजह से यह देश का पहला कॉलेज बन गया है, जहां पर फार्मेसी शुरू होना थी। इसमें सभी प्रकार की दवाओं का निर्माण किया जाना था। फार्मेसी के लिए बकायदा अलग से भवन भी तैयार है और केन्द्र सरकार ने भी एक करोड़ रुपए की मदद दी है। इसके साथ ही उन दवाओं की सूची भी तैयार कर ली गई थी, जिनका निर्माण शुरुआती तौर पर किया जाना था।  कॉलेज में इसके लिए सभी तरह की तैयारियों पहले ही पूरी कर ली गई थीं, लेकिन राज्य सरकार से राशि नहीं मिलने की वजह से मामला अटक गया है। अहम बात यह है कि इस मामले में महाविद्यालय द्वारा आयुष विभाग को कई पत्र भी लिखे गए, लेकिन विभाग ने कोई कदम ही नहीं उठाया है।
पहले सीरप बनाने की योजना
फार्मेसी शुरू होते ही सबसे पहले बुखार, पेट, हड्डी के रोगों एवं डायबिटीज जैसी बीमारियों के सीरप तैयार करने की  योजना बनाई गई थी। कॉलेज में फार्मेसी के लिए तैयार विशेषज्ञों ने बाकायदा इसका चार्ट तैयार किया था। सीरप के बाद फिर सभी रोगों के टेबलेट तैयार किए जाने थे। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में शोध के लिए भी व्यवस्था की गई है। भारत सहित अन्य देशों के शोधार्थियों को यहां आमंत्रित किया जाना था। ताकि यह अनुसंधानकर्ता यह पता लगा सकें कि होम्योपैथी पद्धति से किन बीमारियों में कौन सी स्वदेशी दवा का निर्माण किया जा सकता है।
विक्रय करने की है योजना  
अभी तक होम्योपैथी चिकित्सा महाविद्यालय अपने अस्पताल के लिए मप्र सहित दूसरे राज्यों से विदेशों में निर्मित दवाओं की खरीदी करता रहा है। कॉलेज का मानना है कि इसमें विभाग की बड़ी राशि खर्च हो रही है। जब अपनी स्वयं की फार्मेसी होगी तो अस्पताल में सभी दवाओं की सप्लाई होगी। इन दवाओं का निर्माण मप्र सहित दूसरे राज्यों के अस्पतालों को सप्लाई किया जाएगा। इसमें जहां विभाग को फायदा होगा वही शासन को भी राजस्व की प्राप्ति हो सकेगी।

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