शिवराज की लाड़ली बहना से लडख़ड़ाया बजट

 लाड़ली बहना

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। लाड़ली बहना योजना की आठवीं किस्त 10 जनवरी को बहनों के खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी। इसके लिए वित्त विभाग ने जैसे-तैसे 1,596 करोड़ रुपये जुटा तो लिए हैं, लेकिन अब यह राशि सरकार के लिए बड़ा बोझ साबित होने लगी है। वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि इस योजना से सरकार का बजट पूरी तरह लडखड़़ा गया है। स्थिति यह है कि कई महत्वपूर्ण योजनाओं में से कटौती कर लाड़ली बहना योजना की राशि जुटाई जा रही है। यानी मोहन सरकार के लिए यह योजना बड़ी वित्तीय चुनौती बन सकती है। संचालक, महिला एवं बाल विकास आरआर भोंसलें  का कहना है कि वित्त विभाग ने लाड़ली बहना योजना के 1,596 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। जनवरी माह की 10 तारीख को लाड़ली बहनों के बैंक खातों में किस्त की राशि डाली जाएगी। गौरतलब है कि जब मप्र में भाजपा की सरकार चुनाव जीतकर सत्ता में आई तो एक नाम सबकी जुबान पर था, और वो था लाड़ली बहना का नाम। कहा गया कि मप्र में शिवराज सरकार की ओर से चलाई गई लाड़ली बहना योजना की वजह से महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के लिए वोटबैंक बना। इस योजना के तहत महिलाओं को हर माह लगभग 1,596 करोड़ रुपये की जो राशि सरकार की ओर से दी जा रही है, उसका बड़ा फायदा पहुंचा। लेकिन अब लग रहा है कि पिछली सरकार में दिल खोलकर योजनाओं पर किए गए खर्चे इस सरकार के सिर का दर्द बन गए हैं। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि और किसी योजना-परियोजना को आगे बढ़ाया जाए या नहीं लेकिन लाड़ली बहना है कि 1,596 करोड़ रुपये राशि जुटानी ही होगी।
फरवरी की किस्त की अभी से चिंता
वित्त विभाग के सूत्रों की मानें तो पूर्ववर्ती शिवराज सरकार में लागू हुई लाड़ली बहना योजना के लिए बजट का अभाव बना हुआ है और इसकी वजह से वित्तीय चुनौती बढ़ी हुई है। दिसंबर, 2023 में प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद जनवरी में दी जाने वाली योजना की आठवीं किस्त की व्यवस्था जैसे-तैसे हो पाई है। वित्त विभाग ने महिला एवं बाल विकास विभाग को किस्त की राशि 1,596 करोड़ रुपये जारी कर दी है। 10 जनवरी को लाड़ली बहनों के खाते में 1,250 रुपये के हिसाब से यह राशि अंतरित की जाएगी, लेकिन फरवरी की किस्त को लेकर विभाग अभी से चिंतित है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने वित्त विभाग से फरवरी की किस्त जारी करने के लिए बजट मांगा है। इधर, वित्त विभाग पहले ही 38 से अधिक योजनाओं में बिना अनुमति के वित्तीय आहरण पर रोक लगा चुका है। लाड़ली बहना योजना की पहली किस्त मई, 2023 में जारी की गई थी। तब से अब तक आठ किस्त जारी की जा चुकी है। मध्य प्रदेश में योजना की शुरुआत में एक करोड़ 31 लाख लाड़ली बहना थीं। इनमें कुछ की मृत्यु होने या 60 साल से अधिक होने के कारण हितग्राहियों की संख्या कुछ घटकर एक करोड़ 30 लाख हो गई है।
3000 हजार देना बड़ी चुनौती
बता दें, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मई में लाड़ली बहना योजना की शुरुआत की थी, जिसमें 1000 रुपये प्रतिमाह से धीरे-धीरे बढ़ाकर 3000 हजार रुपये देने की घोषणा की गई थी। इसमें छठवीं किस्त में लाड़ली बहनों के खाते में 1,250 रुपये अंतरित किए गए थे। इसके बाद से इतनी ही राशि दी जा रही है। बहनों को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरकार योजना की राशि बढ़ा सकती है। वहीं विधानसभा चुनाव में इस योजना का फायदा देख चुकी भाजपा भी चाहेगी की योजना की राशि बढ़ाई जाए। लेकिन वर्तमान स्थिति में राशि बढ़ाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनसभा में कहा था कि लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत जो बहनें आवेदन करने से चूक गईं, उनके लिए भाजपा सरकार बनने के बाद तीसरा चरण शुरू किया जाएगा। इसके तहत 21 से 23 वर्ष की छूटी हुई लाड़ली बहनें या फिर जिनके पास ट्रैक्टर नहीं है या जिनकी उम्र 24 से 60 के बीच है, उन्हें शामिल किया जाएगा, लेकिन नई सरकार ने फिलहाल योजना में नई लाड़ली बहनों को जोडऩे पर रोक लगा रखी है। यह अभियान चुनाव के बाद चलाया जाना था, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने के बाद नई सरकार में नए समीकरण बनने से योजना में नए पात्र नहीं जोड़े जाएंगे।
 नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा – शुरू हो गई छंटनी
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी लाड़ली बहना योजना की अगली किश्त आगामी 10 जनवरी को लाड़ली बहनों के खातों में डाली जानी है। इससे पहले इस योजना को को लेकर विवाद शुरू हो गया है। दरअसल, महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक पत्र जारी किया है। सभी जिला अधिकारियों से पात्र हितग्राहियों की सूची मांगी है। मप्र के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इस पत्र पर सवाल उठाएं है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने ट्वीट कर कहा कि शुरू हो गई पात्र और अपात्र की छंटनी। सिंघार ने आगे लिखा है कि महिला एवं बाल विकास आयुक्त ने लाड़ली बहना योजना के तहत अजीब सा आदेश निकाला। इस आदेश में जिलों के कार्यक्रम अधिकारियों को पात्र हितग्राहियों की सूची बैंकों को भेजने के लिए कहा गया है! जब पिछले चार-पांच महीनों से जिस सूची के आधार पर लाड़ली बहनों को आर्थिक मदद दी जा रही है, क्या वो पात्र हितग्राहियों की सूची नहीं है! इस आदेश की भाषा संदेह उत्पन्न करती है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार इस योजना में कुछ खुरपेंच करने वाली है। पात्र और अपात्र की पड़ताल करके ज्यादातर बहनों को योजना का लाभ देने से वंचित कर दिया जाए तो आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए!

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