- खोई हुई ताकत पाने की कर रही है कवायद
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। एक बार फिर से प्रदेश में तीसरी सियासी ताकत के रूप में बसपा उभरने के प्रयासों में लग गई है। यही वजह है कि बसपा सुप्रीमो ने प्रदेश के चुनाव का जिम्मा अपनी भतीजे को सौंप रखा है। दो माह बाद होने वाले चुनावों की तारीखों को भले ही एलान नही हुआ है , लेकिन बसपा ने भी अपने सात उम्मीदवार घोषित कर जता दिया है कि वह इस बार मप्र को लेकर गंभीर है। पार्टी में अब दूसरी सूची जारी करने के लिए विचार मंथन का दौर चल रहा है। उप्र में लगातार खराब प्रदर्शन करने वाली बसपा की नजर अब मप्र पर है। बसपा सुप्रीमों चाहती है कि उनके पास इतनी सियासी ताकत हो जाए की प्रदेश में बगैर उनकी मदद के सरकार न बन सके।
यही वजह है कि बसपा विंध्य के अलावा श्रीमंत के गढ़ ग्वालियर -चंबल अंचल पर अपना फोकस किए हुए है। बसपा की नजर इस अंचल की करीब एक दर्जन सीटों पर है। दरअसल यह वो अंचल है, जहां पर बसपा का सर्वाधिक प्रभाव है। इस अंचल से पूर्व में भांडेर से इं. फूलसिंह बरैया तो गिर्द (भितरवार ) से लाखन सिंह यादव बसपा के टिकट पर जीत दर्ज कर चुके हैं। अगर बीते चुनाव को देखें तो इस अंचल की 33 सीटों पर बसपा ने चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत महज एक ही सीट पर मिल सकी थी। इसमें भिंड से भाजपा के बागी संजीव सिंह कुशवाह बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और 69107 वोट हासिल कर जीत दर्ज करने में सफल रहे थे। अगर अंचल की अन्य सीटों की बात की जाए तो सबलगढ़ में को लाल सिंह 45689 , ग्वालियर ग्रामीण में कांग्रेस के बागी साहब सिंह गुर्जर को बसपा के टिकट पर 49516 मत, जौरा में मनीराम धाकड़ को 41014 , पोहरी में कैलाश कुशवाह 52736 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे । इसी प्रकार विजयपुर में बाबूलाल मेवरा (भाजपा के बागी) 35628 , सुमावली में मानवेंद्र गांधी 31331 , लहार में भाजपा के बागी बसपा प्रत्याशी अंबरीश शर्मा 31367 , मुरैना में बलवीर डंडौतिया 21149 , अंबाह में सत्यप्रकाश 22179 , भितरवार में बीनू पटेल 18728 , चंदेरी में भाजपा के बागी राजकुमार यादव 34302 , सेंवढ़ा में लाखन यादव ने 18006 मत पाकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया था। बसपा के प्रदेश में तब कुल दो विधायक जीते थे, जिसमें भिंड से संजीव कुशवाह के अलावा पथरिया से रामबाई परिहार शामिल हैं। अब भिंड विधायक संजीव कुशवाहा भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
दो चुनावों में मिल चुकी हैं 11 -11 सीटों पर सफलता
बसपा के लिए 1993 व 1998 के चुनाव भाग्यशाली रहे थे, उन चुनावों में उसने 11-11 सीटें हासिल की थीं। ग्वालियर-चंबल संभाग में बसपा के टिकट पर जौरा में सोनेराम कुशवाह, सुमावली से ऐंदल सिंह कंषाना, मेहगांव से नरेश गुर्जर, डबरा से जवाहर सिंह रावत, सबलगढ़ से बूंदीलाल रावत, गिर्द से लाखनसिंह यादव, भांडेर से फूल सिंह बरैया, अशोकनगर से बलवीर सिंह कुशवाह विधायक रह चुके हैं। इसी प्रकार वर्ष 2008 के चुनाव में बसपा ने 9 प्रतिशत वोट पाकर प्रदेश में 7 सीटें जीती थीं। जबकि वर्ष 2018 में उसे 5 प्रतिशत वोट मिले और 2 सीटें ही जीत सकी। 2020 में हुए उपचुनाव में उसे कोई सीट नहीं मिली, लेकिन 5.75 प्रतिशत वोट पाकर उसने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। बसपा नेताओं का मानना है कि प्रदेश की करीब 70 सीटों पर अजा वर्ग का प्रभाव है। वर्ष 2018 में भाजपा-कांग्रेस के बीच जीत-हार का अंतर 0.6 प्रतिशत था। जबकि हमें 1.3 प्रतिशत वोट मिले थे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा को 2008 के चुनावों में 7 सीटें मिलीं और वोट 9 प्रतिशत मिले। जबकि 2018 के चुनाव में भले ही उसे दो सीटों पर जीत मिली, लेकिन करीब 65 सीटों पर उसके प्रत्याशियों ने 10 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। इसलिए अचंल में बसपा कई सीटों पर हार-जीत में अहम भूमिका निभाती है।
चार जोन में बांटा मप्र को
बसपा सूत्रों का कहना है कि चुनाव के लिए हमने अपनी रणनीति बनाई है। प्रदेश को चार जोन में विभक्त किया गया है। बसपा की पहली सूची जारी की जा चुकी है, जबकि दूसरी सूची पर मंथन चल रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता इसके लिए लगातार सक्रिय हैं, वहीं सूत्रों का कहना है कि बसपा की नजर कांग्रेस और भाजपा की सूची पर है। इन दलों की सूची आने के बाद वह कई सीटों पर अपना निर्णय करेगी। भाजपा-कांग्रेस के असंतुष्टों में से कई पर वह दांव लगाकर मैदान में उतारेगी। भाजपा-कांग्रेस के ऐसे अनेक नेता हैं, जिन्हें अपने दल से टिकट मिलने की उम्मीद कम दिख रही है, वे बहुजन समाज पार्टी के नेताओं के संपर्क में हैं। और प्रत्याशियों की सूची जारी होते ही यह नेता बसपा का दामन थाम मैदान में उतरेंगे। फिलहाल बसपा अभी इंतजार करो की नीति अपनाए हुई है।
बसपा के लिए खास सीटें
बहुजन समाज पार्टी के लिए ग्वालियर-चंबल की 34 सीटों में से करीब एक दर्जन सीटें खास हैं और वह अपनी रणनीति के तहत इन पर फोकस किए हुए है। इन सीटों में ग्वालियर ग्रामीण, सबलगढ़, जौरा, भिंड, मेहगांव, श्योपुर, विजयपुर, दिमनी, अंबाह, लहार, भांडेर, करैरा, पोहरी, चंदेरी, सुमावली शामिल हैं।