पांव पांव वाले भैया का मोटी चमड़ी के अफसरानों पर कोई असर नहीं

 शिवराज सिंह चौहान

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जिस सुशासन और सुराज की कल्पना को हकीकत में बदलने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं उसे उनके ही मोटी चमड़ी के अफसरान पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पांव-पांव वाले भैया के नाम की पहचान वाले शिवराज सिंह चौहान इसके लिए न केवल कई बार नसीहत दे चुके हैं, बल्कि लगभग हर बैठक में इसके लिए निर्देश भी देने से नहीं चूकते हैं, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश की मदमस्त नौकरशाही पर इसका कोई असर ही पड़ता नहीं दिख रहा है।
यही वजह है कि अब तो खुद मुख्यमंत्री ने तंज कसते हुए यह तक कह दिया है कि मंत्रालय में बैठो तो अफसर रंगीन पिक्चर दिखाते हैं कि सब जगह आनंद ही आनंद है, लेकिन जब बाहर निकलकर मैदानी दौरे पर जाकर आम आदमी से मिलो तो हकीकत कुछ और निकलती है। अगर यह हकीकत किसी सूबे के मुखिया द्वारा सार्वजनिक रुप से बयां की जाती है तो समझा जा सकता है कि प्रदेश में अब तो हद की सीमा ही पार हो गई है। जब मुख्यमंत्री नौकरशाही पर यह तंज कस रहे थे , तभी प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर लोकायुक्त पुलिस द्वारा रिश्वत के एक नहीं बल्कि पांच-पांच मामलों में कार्रवाई की जा रही थी। इसमें भी खास बात यह है कि प्रभारी एसडीएम से लेकर चपरासी तक को रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े गए हैं। इसके बाद भी बेशर्म नौकरशाही सफेदपोश होने का
लबादा ओढ़कर अपनी खीशें निपोरकर कर
ईमानदारी होने का डिंडोरा पीटती रहती है। समय के हालात को भांपकर अब तो इन दिनों मध्य प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी (नौकरशाही) पूरी तरह से भाजपा नेताओं और सरकार के निशाने पर है। अभी कुछ दिनों पहले ही प्रदेश के एक मंत्री ने भी सार्वजनिक रुप से नौकरशाही को लेकर अपनी पीड़ा का सार्वजनिक रुप से इजहार किया था , तो वहीं तीन पहले इसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती इस मामले में कड़ा बयान दे चुकी हैं। इसके बाद अब पांच दिन में दूसरी बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ब्यूरोक्रेसी पर तंज कसा है।  मुख्यमंत्री ने राजधानी में बीते रोज मध्य प्रदेश इंडिया इमर्जिंग एक्सपोर्ट टाइगर कॉन्क्लेव में कहा कि प्रदेश में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए स्टेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित की जाए।
क्योंकि कई बार मुख्यमंत्री की आंख का इशारा देखकर काम होते हैं। मुख्यमंत्री जिस पर फोकस कर लें, वहीं तेज विकास होता है। उन्होंने कहा कि वल्लभ भवन में बैठने से काम नहीं चलेगा। यहां तो रंगीन पिक्चर खींच दी जाती है। जय हो महाराज, सब दूर आनंद ही आनंद है। असलियत तो फील्ड में जाकर जनता से मिलकर पता चलती है। इसके पहले मुख्यमंत्री ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी के शुभारंभ अवसर पर संबोधित करते हुए इशारों ही इशारों में कहा था कि सरकार चलाने वालों सावधान, मैं न खाऊंगा और न खाने दूंगा। उन्होंने कहा था कि सुराज का मतलब बगैर लिए-दिए निश्चित समय पर जनता को सेवाओं का लाभ देना है।
चेतावनी व कार्रवाई भी बेअसर
अभी एक सप्ताह पहले ही मुख्यमंत्री ने निवाड़ी में प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने का कहते हुए दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था। कहा था-डंडा लेकर निकला हूं और गड़बड़ी करने वालों को छोडूंगा नहीं। इसके बाद भी सरकारी कर्मचारी अपना रवैया सुधारने को तैयार नही है। इस पूरे हफ्ते में करीब एक दर्जन सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते पकड़े जा चुके हैं। यह बात अलग है कि अब भी करीब दो सैकड़ा मामले चालान पेश करने के लिए अनुमति से कई सालों से अटके हुए हैं। इस वजह से गड़बड़ी करने वालों को कुछ भी नहीं बिगड़ता है और वे मनमानी करते रहते हैं।
इस तरह खा रहे हैं अफसर
लोकायुक्त पुलिस ने बीते रोज ही प्रदेश की राजधानी सहित बुरहानपुर, भिंड और मंडीदीप में रिश्वतखोरों को रंगे हाथों पकड कर सुराज और सुशासन में नौकरशाही की भूमिका की कलई खोल कर रख दी। पहली कार्रवाई भोपाल में विद्युत सुरक्षा विभाग के सुप्रिटेंडेंट इंजीनियर (एसई) अजय प्रताप जादौन को एक लाख की घूस लेते हुए ट्रैप किया है। रिश्वत की मांग गुडगांव की कंपनी दर्श रिन्युवल प्राइवेट लिमिटेड की एनर्जी कंसलटेंट से की जा रही थी। कंपनी को सिंगरौली में 25 मेगावाट सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट के चार्जिंग व विद्युत ठेकेदारी लाइसेंस लेना है। लाइसेंस के नाम पर एसई ने 15 लाख मांगे थे। इसी तरह से बुरहानपुर जिले के नेपानगर के प्रभारी एसडीएम दीपक चौहान के दलाल सूर्यकांत सिंह को लोकायुक्त पुलिस ने बुधवार को एक लाख रुपए की घूस लेते गिरफ्तार कर लिया। एसडीएम, सूर्यकांत सिंह और कलेक्टर कार्यालय के लिपिक किशन कनेश पर केस दर्ज किया है। आठ साल पहले किसी और से खरीदी आदिवासी की जमीन की पिता के नाम पर रजिस्ट्री कराने के मामले में कार्रवाई का डर दिखाकर रिश्वत मांगी बई थी। इसी तरह से खकनार एसी ट्राइबल बीईओ कार्यालय के लेखपाल रामचरण पटेल को 30 हजार रु. की रिश्वत लेते पकड़ा। इस बीच मंडीदीप में प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राही से 20 हजार रु. की रिश्वत मांगने वाले नगर पालिका जल शाखा प्रभारी परमानंद विश्वकर्मा को लोकायुक्त पुलिस ने धरदबोचा।  इस बीच लोकायुक्त पुलिस ने भिंड में फर्जी डॉक्टर का क्लीनिक चलवाने के लिए छह हजार रुपए की सालाना रिश्वत मांगने वाले स्वास्थ्य विभाग के बाबू अजेंद्र सिंह को भी मौके से गिरफ्तार कर लिया।

Related Articles